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निवेश मंत्रा: विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे, वृद्धि के साथ लाभांश देने वाली कंपनियों में करें निवेश

अजीत सिंह Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Mon, 08 Sep 2025 07:35 AM IST
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सार

पिछले एक साल में बाजार ज्यादातर स्थिर रहे हैं। कॉरपोरेट की कमाई भी खास नहीं रही। विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे हैं। ऐसे में वृद्धि के साथ लाभांश देने वाली कंपनियों में निवेश फायदेमंद हो सकता है। इसका पूरा गणित बताती रिपोर्ट-
 

Investment Foreign investors continuously selling invest in companies that give dividends along with growth
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : ANI
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विस्तार
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बाजार जब स्थिर हो या बहुत कम फायदा दे रहा हो, तो फ्लैक्सीकैप निवेश एक पसंदीदा विकल्प बन जाते हैं। हालांकि, एक और बढ़िया विकल्प डिविडेंड यील्ड इक्विटी फंड भी है। ये वो फंड होते हैं, जो वृद्धि वाली और साथ ही लाभांश देने वाली कंपनियों में निवेश करते हैं। ये उन कंपनियों पर ध्यान देते हैं, जो अधिक डिविडेंड देती हैं। लेकिन, इससे लंबे समय में पूंजी में वृद्धि कम होती है। इससे रिटर्न भी अक्सर औसत से कम रहता है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल डिविडेंड यील्ड इक्विटी बाकी फंड्स से अलग इसलिए है, क्योंकि ये ऐसी कंपनियों में निवेश करता है, जो न केवल स्थिर लाभांश देती हैं, बल्कि लंबे समय में अच्छे ग्रोथ का भी वादा करती हैं। फंड को बाजार पूंजी और प्रबंधन के तरीके में पूरी आजादी होती है। इसलिए, ये मध्यम से लंबे समय में अपने बेंचमार्क और बाकी फंड्स से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।

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11 वर्षों में सालाना 19 फीसदी मिला रिटर्न
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी निफ्टी-500 टीआरआई को देखें तो इसने 2014 से अगस्त, 2025 तक 14.9 फीसदी चक्रवृद्धि दर से रिटर्न दिया है। 10,000 रुपये का मासिक एसआईपी निफ्टी में 32.6 लाख हो गया।  

  • इस अवधि में आईप्रू डिविडेंड यील्ड फंड में यह रकम 41.3 लाख रुपये हो गई है। यानी 18.7 फीसदी सालाना रिटर्न मिला है। इस फंड ने एक, तीन, पांच और 10 साल में निफ्टी-500 टीआरआई से 9 फीसदी और कैटेगरी से दो से छह फीसदी ज्यादा फायदा दिया है।
  • जनवरी, 2018 से अगस्त, 2025 तक के 5 साल में इस फंड ने बेंचमार्क को अच्छे खासे अंतर से पीछे छोड़ दिया है।
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जोखिम पर भी रहता है फंड का नियंत्रण
जोखिम के समय ये फंड अच्छा प्रदर्शन करते हैं। ऐसे फंडों ने पिछले वर्षों में बड़ी पूंजी वाले शेयरों में ज्यादा निवेश किए हैं। 2014 से 2024 के मध्य तक जब मिड और स्मॉल कैप्स अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे तो पोर्टफोलियो में 30-35 फीसदी हिस्सा मिड और स्मॉलकैप का था। लेकिन, जून, 2024 के बाद फंड ने छोटे कैप्स में कम निवेश किया और स्थिर एवं बड़ी कंपनियों में अपना निवेश बढ़ा दिया।

  • 2020 में ज्यादा निवेश आईटी, फार्मा और पावर कंपनियों में था। ये क्षेत्र वृद्धि के साथ लाभांश भी दे रहे थे। बाद में वृद्धि में मंदी आने पर तीनों क्षेत्रों में निवेश कम कर दिया गया।

लाभांश वाले फंड पोर्टफोलियो का समय-समय पर पांच से 11 फीसदी हिस्सा कैश, डेट और अन्य संपत्तियों में रखते हैं। इससे बाजार में गिरावट के समय निवेश को सुरक्षित रखने में काफी मदद मिलती है। -मितुल कलावाडिया, वरिष्ठ फंड प्रबंधक, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल

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