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SEBI: 'पूंजी जुटाने के लिए परिसंपत्तियों का तेजी से मोनेटाइजेशन जरूरी', सेबी प्रमुख पांडे ने दिया सुझाव

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Thu, 18 Sep 2025 07:27 PM IST
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सार

सेबी प्रमुख तुहिन कांत पांडे ने कहा कि रेलवे, सड़क, हवाईअड्डा और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सरकार के स्वामित्व वाली संपत्तियों के मौद्रीकरण में तेजी लाने की जरूरत है ताकि निवेशकों का पैसा ऐसी परियोजनाओं में लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि  सरकार की परिसंपत्ति मुद्रीकरण योजना ने अतीत में बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्टों (इनविट्स) के लिए बाजार के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

Rapid monetization of assets is necessary to raise capital, suggests SEBI chief Pandey
तुहिन कांत पांडे, सेबी चेयरमैन - फोटो : ANI
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रेलवे, सड़क, हवाई अड्डे और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सरकार के पास मौजूद परिसंपत्तियों के तेजी से मुद्रीकरण की जरूरत है, ताकि निवेशकों का धन इन परियोजनाओं की ओर आकर्षित किया जा सके। पूंजी बाजार नियामक सेबी के प्रमुख तुहिन कांत पांडे ने सुझाव दिया। 

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परिसंपत्ति मुद्रीकरण योजना के कई फायदे

पूर्व नौकरशाह और निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के प्रमुख रहे पांडे ने कहा कि अब भी अधिकांश राज्य सरकारों ने परिसंपत्ति मुद्रीकरण की योजनाएं तैयार नहीं की हैं। उनके मुताबिक, इस कमी को दूर करने से बुनियादी ढांचा निर्माण को नई रफ्तार मिलेगी और संसाधनों के नए स्रोत खुलेंगे।


उन्होंने जोर दिया कि बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए बेहद बड़े पैमाने पर पूंजी की आवश्यकता है, और केवल सरकार व बैंकों पर इस बोझ को डालना उचित नहीं है। पांडे ने पूंजी बाजार को इस चुनौती का समाधान बताते हुए कहा कि इसे वैकल्पिक संसाधन जुटाने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की परिसंपत्ति मुद्रीकरण योजना ने अतीत में बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्टों (इनविट्स) के लिए बाजार के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके लिए InvITs, रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs), पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप और सिक्युरिटाइजेशन जैसे कई विकल्प उपलब्ध हैं।

2017 से अब तक नगर निकाय बॉन्ड्स के जरिए 3,134 करोड़ रुपये जुटाए गए

पांडे ने यह भी कहा कि 2017 से अब तक नगर निकाय बॉन्ड्स के जरिए 21 निर्गमों से 3,134 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं, लेकिन निवेशकों के दायरे को और व्यापक बनाने की जरूरत है। इसके लिए म्यूचुअल फंड, पेंशन फंड और खुदरा निवेशकों को भी बुनियादी ढांचा प्रतिभूतियों में व्यवस्थित निवेश के लिए प्रोत्साहित करना होगा।

उन्होंने चेताया कि केवल बैंकों और सरकारी बजट पर निर्भर रहने से कंसंट्रेशन रिस्क बढ़ता है, जबकि पूंजी बाजार कॉरपोरेट बॉन्ड, इंडेक्स रेट्स और म्युनिसिपल बॉन्ड जैसे कई उपकरण उपलब्ध कराता है।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का योगदान बढ़ा 

इस मौके पर नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (NaBFID) के एमडी और सीईओ राजकिरण राय ने कहा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की इंफ्रा लोनिंग में रुचि घट रही है, जबकि नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों और इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड्स का योगदान बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अभी काफी प्रोत्साहन की जरूरत है।


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