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India-UK FTA: वैश्विक व्यापार को नई दिशा देगा भारत-ब्रिटेन के बीच हुआ समझौता, जेम्स-ज्वेलरी का निर्यात बढ़ेगा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: नविता स्वरूप Updated Thu, 24 Jul 2025 07:03 PM IST
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सार

भारत और यूके के बीच एफटीए का स्वागत करते हुए उद्योग जगत ने कहा कि इससे व्यापार बाधाओं में कमी आने, निवेशकों का विश्वास बढ़ने और संयुक्त उद्यमों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह समझौता भारत और यूके के व्यापार को ही नहीं विश्व व्यापार को नई दिशा देगा, तब जब अमेरिकी टैरिफ को लेकर इतना उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है।

The India Britain FTA will give a new direction to global trade, export of gems and jewellery will increase
भारत-ब्रिटेन एफटीए - फोटो : x.com/@narendramodi
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भारत और यूनाइटेड किंडम (यूके) ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में नया अध्याय जुड़ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की उपस्थिति में इस समझौते को औपचारिक रूप दिया गया। भारत और यूके के बीच एफटीए का स्वागत करते हुए उद्योग जगत ने कहा कि इससे व्यापार बाधाओं में कमी आने, निवेशकों का विश्वास बढ़ने और संयुक्त उद्यमों व प्रौद्यौगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह समझौता भारत और यूके के व्यापार को ही नहीं विश्व व्यापार को नई दिशा देगा, तब जब अमेरिकी टैरिफ को लेकर इतना उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है।

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भारतीय उद्योग एफटीए का उत्साह से कर रहा स्वागत - मित्तल
प्रधानमंत्री के साथ गए प्रतिनिधिमंडल में भारतीय उद्योग जगत के 16 प्रमुख व्यापारिक नेता शामिल थे। इनका नेतृत्व भारतीय एंटरप्राइजेज के संस्थापक एवं अध्यक्ष और भारत-ब्रिटेन सीईओ फोरम के सह अध्यक्ष सुनील मित्तल कर रहे थे। इस पर बोलते हुए मित्तल ने कहा कि सभी क्षेत्रों के भारतीय उद्योग भारत-यूके एफटीए का उत्साह के साथ स्वागत कर रहे हैं। यह समझौता एक आधुनिक, दूरदर्शी साझेदारी स्थापित करता है। यह नवाचार को प्रोत्साहित करेगा, बाजार पहुंच को आसाना बनाएगा और निवेशक को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन दोनों के व्यवसायों को इससे बहुत लाभ होगा क्योंकि यह प्रमुख विकास क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने की नींव को रखता है।

यह एफटीए अगली पीढ़ी की साझेदारियों के लिए मजबूत आधार
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई ) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा सीआईआई लंबे समय से एक व्यापक और दूरदर्शी भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता का समर्थक रहा है। यह एफटीए हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक निर्णायक क्षण है, जो समावेशी विकास, आर्थिक लचीलेपन और औद्योगिक परिवर्तन के प्रति साझा प्रतिबद्धता को दिखाता है। यह भारतीय और ब्रिटिश व्यवसायों के बीच गहन बाजार पहुंच, नियामक सहयोग और अगली पीढ़ी की साझेदारियों के लिए मजबूत आधार तैयार करता है।

भारत ने ब्रिटने के साथ सकारात्मक व्यापार संतुलन बनाए रखा
सीआईआई के अनुसार पिछले पांच वर्षों में भारत ने ब्रिटेन के साथ एक सकारात्मक व्यापार संतुलन को बनाए रखा है, जो प्रमुख व्यापारिक साझेदार बना हुआ है। दोनों अर्थव्यवस्थाओं का लक्ष्य 2030 तक  द्विपक्षीय व्यापार दोगुना करके 120 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। वर्तमान समय में 970 से अधिक भारतीय कंपनियां ब्रिटेन में कार्यरत हैं, जे कॉपोरेटे कर में लगभग 1.17 अरब पाउंड का योगदान देती है और लगभग 11 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं। यह स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं और आजीविका को सहारा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

परिधान कारोबार को मिलेगा बढ़ावा
दी क्लोदिंग मैन्युफेक्चर्स एसोसिएशन के मेनटोर एवं पूर्व अध्यक्ष राहुल मेहता कहते हैं कि इस एफटीए से विशेषकर कपड़ा और परिधान को बढ़ावा मिलेगा। भारत पिछले कुछ वर्षों से अपने कपड़ा और परिधान कारोबार को बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है। बांग्लादेश के संकट के बाद भारत विदेशी खरीदारों के लिए एक विकल्प बनकर उभरा है। इस समझौता का असर कारोबार पर सकारात्मक पड़ेगा और व्यापार बढ़ाने में सहायक होगा। उनका कहना कपड़ा और परिधान के साथ ही चमड़े के सामान, रत्न एवं आभूषणों कारोबार को इसका फायदा होगा।

भू-राजनीति में भी आएगा बदलाव
एसबीआई रिसर्च के समूह मुख्य अर्थिक सलाहकार सौम्या कांति घोष बताते हैं कि भारत और यूके ने एक एतेहासिक एफटीए संपन्न किया है। यह न केवल महत्वपूर्ण है, जिसमें 90 प्रतिशत टैरिफ लाइनों में कटौती भी शामिल है। इस समझौते से भारतीय कंपनियों को उनके कारोबार को बढ़ाने में सहायता मिलेगी साथ ही नई संभावनाएं भी खुलेगी। यह भू-राजनीतिक में भी बदलाव लाएगा, क्योंकि चीनी आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भरता को कम करेगा करेगा, अमेरिकी संरक्षणवाद को दरकिनार करता है और ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन के आर्थिक व्याकरण को पूर्ण परिभाषित  करता है। यह एफटीए भारत और ब्रिटेन के बीच बढ़ते आर्थकि संबंधों की पृष्ठभूमि में हो रहे बदलावों को दर्शाता है। इसका उदाहरण लगभग 60 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है, जिसके 2030 तक दोगुना होने का अनुमान है।  

भारत पारस्परिक रूप से लाभकारी मुक्त व्यापार को देता है बढ़ावा
जियोजित इंवेस्टमेंट्स के मुख्य निवेशक रणनीतिकार डॉ वीके विजकुमार कहते हैं कि भारत और यूके व्यापार समझौता पर हस्ताक्षरस जिसमें द्विपक्षीय व्यापार में सालाना लगभग 34 अरब डॉलर की वृद्धि की उम्मीद है। वर्तमान परिपेक्ष में यह काफी महत्वपूर्ण है, जब भारत अमेरिका के साथ व्यापार और शुल्कों पर समझौता करने के लिए उत्सुक है। अब तक दर्जन से अधिक देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता ने यह संदेश दिया है कि भारत की पारस्परिक रूप से लाभकारी मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने के लिए इच्छुक है।

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सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Adobestock

आभूषण निर्यात के लिए नया अवसर- जीजेईपीसी
रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के अध्यक्ष किरीट भंसाली ने एक बयान में कहा कि यह ऐतिहासिक समझौता रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के लिए रोमांचक नए अवसरों के द्वार खोलता है। वर्तमान में ब्रिटेन को निर्यात 941 मिलियन अमेरिकी डॉलर का है। शुल्क रियायतों के साथ, यह आंकड़ा अगले तीन वर्षों में बढ़कर 2.5 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्र के समग्र द्विपक्षीय व्यापार को अनुमानित सात अरब डॉलर तक बढ़ाने में मदद मिलेगी।

दोनों पक्षों के व्यापार बाधाओं में आएगी कमी
भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित इस व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल की उपस्थिति ने भारत-ब्रिटेन आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाने में सरकार और उद्योग के बीच मजबूत सहयोग को रेखांकित किया। समझौता एक बार लागू होने के बाद भारत और यूके में आ रही व्यापार बाधाओं में कमी आएगी। इस समझौते से कपड़ा एवं परिधान, चमड़ा और चमड़े से बने सामान, रत्न आभूषण, समुद्री उत्पादों, श्रम प्रधन क्षेत्रों, स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल प्रौद्योगिकियों, जीवन विज्ञान और उन्नत विनिर्माण में नए अवसरों के द्वारा खोलने के लिए मजबूत ढांचा प्रदान करेगा।

भारत के तेजी से बढ़ते बाजार और विनिर्माण क्षमताएं, नवाचार, वित्त और उच्च स्तरीय सेवाओं में यूके की मजबूती के साथ मिलकर द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को और तेज करेगा। एफटीए एक पारस्परिक सामाजिक सुरक्षा समझौता है। यह यूके और भारतीय पेशेवरों को तीन साल तक अपने देश में योगदान जारी रखने की अनुमति देता है।

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