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SBI Research: सोने पर भारत में एक व्यापक नीति अपनाने का समय आया, जानिए एसबीआई रिसर्च ने ऐसा क्यों कहा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Wed, 05 Nov 2025 05:11 PM IST
सार

एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने की बढ़ती मांग के बीच भारत को इसे लेकर एक स्पष्ट नीति की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भू-राजनीतिक तनाव, आर्थिक अनिश्चितता और कमजोर अमेरिकी डॉलर के कारण सोने की कीमत नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही है।

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Time has come for a comprehensive gold policy in India, here's why SBI Research said so
सोने का भाव - फोटो : PTI
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विस्तार
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सोने की कीमतें नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के बीच बुधवार को एक अध्ययन में पीली धातु के लिए एक व्यापक नीति की आवश्यकता बताई गई है। इसमें कहा गया है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े सर्राफा बाजारों में से एक है, जो चमकदार धातु के प्रति सांस्कृतिक लगाव और निवेश मांग से प्रभावित है।

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भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग की ओर से जारी 'कमिंग ऑफ (ए ट्रबलंट) एज: द ग्रेट ग्लोबल गोल्ड रश' शीर्षक रिपोर्ट में कहा गया है कि भू-राजनीतिक तनाव, आर्थिक अनिश्चितता और कमजोर अमेरिकी डॉलर के कारण सोने की कीमत नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही है।
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वर्ष 2025 में सोने की कीमतों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई

रिपोर्ट में बताया गया  है कि वर्ष 2025 में सोने की कीमत में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। अक्तूबर में कुछ दिनों के लिए कीमत 4,000 डॉलर प्रति औंस से नीचे आ गई, लेकिन नवंबर में फिर से 4,000 डॉलर प्रति औंस से ऊपर चली गई।

भारत में कुल उपभोक्ता मांग बढ़कर 802.8 टन हो गई

रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने की घरेलू आपूर्ति भारत में कुल सोने की आपूर्ति का केवल एक अंश है। वहीं विश्व स्वर्ण परिषद के अनुमान के अनुसार 2024 में कुल आपूर्ति में आयात का योगदान लगभग 86 प्रतिशत है। भारत में सोने की कुल उपभोक्ता मांग 2024 में बढ़कर 802.8 टन हो गई। यह वैश्विक सोने की मांग का 26 प्रतिशत है, जिससे भारत 815.4 टन की उपभोक्ता मांग के साथ चीन के बाद दूसरे स्थान पर आ गया है।

दीर्घकालिक स्वर्ण नीति अपनाने का समय आ गया है

रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू परिवारों द्वारा पोषित, निवेशकों द्वारा प्रशंसित, केंद्रीय बैंकों द्वारा संचित और सट्टेबाजों द्वारा प्रशंसित, इस चमकदार धातु का हालिया उतार-चढ़ाव भरा सफर किसी कहानी की किताब जैसा है। लेकिन यह आने वाले तूफान के प्रति एक आशंका का संकेत भी है। भारत के लिए एक समर्पित दीर्घकालिक स्वर्ण नीति अपनाने का समय आ गया है जो स्थानीयकरण का समर्थन करती हो।

सोने की कीमतों का असर डॉलर- रुपये की विनियम दर पर पड़ रहा

इसमें कहा गया है कि सोने की कीमतों का डॉलर-भारतीय रुपये की विनिमय दर पर भी सीधा असर पड़ता है, क्योंकि देश सोने के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। 

सोने की नीति विकसित पर अधिक बहस की जरूरत 

इसमें कहा गया है कि सोने पर एक व्यापक नीति विकसित करने पर भी अधिक बहस की आवश्यकता है, जैसे कि स्वर्ण-समर्थित पेंशन योजना, जो व्यापक वित्तीय क्षेत्र सुधारों और पूंजी खाते पर मुद्रा परिवर्तनीयता के साथ एकीकृत होगी।

रिपोर्ट के अनुसार, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) जैसे नीतिगत उपायों, जिनका उद्देश्य भौतिक सोना रखने का विकल्प प्रदान करना और इसके आयात को कम करना था, के कारण सरकारी ऋण में वृद्धि हुई है। बकाया एसजीबी इकाइयों के लिए अकेले पूंजीगत हानि 93,284 करोड़ रुपये है।

इसके अलावा, एक परिसंपत्ति वर्ग के रूप में सोने के बढ़ते रिटर्न ने गोल्ड ईटीएफ में भारी निवेश को बढ़ावा दिया है। वित्त वर्ष 2025 (अप्रैल-सितंबर) में, गोल्ड ईटीएफ में निवेश 2.7 गुना बढ़ा, और वित्त वर्ष 2026 में यह 2.6 गुना बढ़ा। सितंबर 2025 तक गोल्ड ईटीएफ की प्रबंधनाधीन शुद्ध परिसंपत्ति बढ़कर 901.36 अरब रुपये हो गई, जो साल-दर-साल (वर्ष-दर-वर्ष) 165 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।

परिसंपत्ति आवंटन बढ़ाने पर विचार 

रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने में अब परिसंपत्ति आवंटन बढ़ाने पर सक्रियता से विचार किया जा रहा है। वैश्विक स्तर पर परिसंपत्ति आबंटनकर्ताओं और फंड प्रबंधकों द्वारा की जा रही दृढ़ पहल से सोने की कीमतें 'उच्चतम स्तर' पर बनी रह सकती हैं। यह निवेशकों और सट्टेबाजों की सनक और कल्पनाओं के अनुरूप हो सकती हैं, जिससे यह पारखी और भविष्यवक्ताओं द्वारा समान रूप से लंबे समय से संजोए गए 'आंतरिक मूल्य' से अलग रह सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका और जर्मनी जैसे देश अपने कुल भंडार का 77 प्रतिशत से अधिक सोने के रूप में रखते हैं। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 (10 अक्टूबर तक) में अपने भंडार का 15.2 प्रतिशत सोना रखा, जबकि वित्त वर्ष 2025 में यह 13.8 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2024 में 9.1 प्रतिशत था।

रिजर्व परिवर्तन के संदर्भ में, आरबीआई के स्वर्ण भंडार में वित्त वर्ष 2025 में 25 अरब डॉलर और वित्त वर्ष 2026 में 10 अक्टूबर, 2025 तक 27 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य कारण मूल्यांकन में वृद्धि है। मात्रा के संदर्भ में, रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2026 (अप्रैल-सितंबर) में केवल 0.6 टन सोना जोड़ा, जबकि वित्त वर्ष 2025 (अप्रैल-सितंबर) में यह 31.5 टन था।

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