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अध्ययन: यूपीआई लेनदेन-ओपन बैंकिंग से कर्ज तक लोगों की पहुंच हुई आसान, फिनटेक कंपनियों का भी आकार बढ़ा

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Sun, 08 Dec 2024 04:48 AM IST
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सार

को-ओपन बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट्स एप्लीकेशन फॉर क्रेडिट एक्सेस के अध्ययन के मुताबिक कोई क्रेडिट इतिहास नहीं रखने वाले उधारकर्ताओं को भी ऋण सुविधा में मदद की है। 30 करोड़ लोग और 5 करोड़ व्यापारी निर्बाध डिजिटल लेनदेन करने में सक्षम हो गए हैं। 

UPI Usage in India open banking loan access digital transactions business and individual need study
UPI - फोटो : AdobeStock
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भारत ने एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से कर्ज तक लोगों की पहुंच को आसान बनाया है। भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) व इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) प्रोफेसरों की अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक विशेष रूप से वंचित उधारकर्ताओं के लिए यह खासा उपयोगी साबित हुआ है। 2016 में शुरू होने के बाद से यूपीआई ने लाखों लोगों के लिए डिजिटल लेनदेन की सुविधा उपलब्ध कराई है।

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को-ओपन बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट्स एप्लीकेशन फॉर क्रेडिट एक्सेस के अध्ययन के मुताबिक कोई क्रेडिट इतिहास नहीं रखने वाले उधारकर्ताओं को भी ऋण सुविधा में मदद की है। 30 करोड़ लोग और 5 करोड़ व्यापारी निर्बाध डिजिटल लेनदेन करने में सक्षम हो गए हैं। यूपीआई लेनदेन में 10 फीसदी की वृद्धि से ऋण उपलब्धता में 7 फीसदी वृद्धि हुई। यह दर्शाता है कि कैसे डिजिटल फाइनेंस ने ऋणदाताओं को उधारकर्ताओं का बेहतर मूल्यांकन करने में सक्षम बनाया। रिपोर्ट के मुताबिक अक्तूबर 2023 तक भारत में सभी खुदरा डिजिटल भुगतानों में 75 फीसदी यूपीआई के माध्यम से हो रहे हैं। नए ऋण लेने वालों को दिए गए ऋण में 4 फीसदी की वृद्धि हुई।
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कर्ज देने वाली फिनटेक कंपनियों का भी आकार बढ़ा
रिपोर्ट के मुताबिक यूपीआई का लाभ उठाते हुए कर्ज देने वाली फिनटेक कंपनियों ने तेजी से अपना आकार बढ़ाया। इनकी ऋण की मात्रा में 77 गुना वृद्धि हुई। यह पारंपरिक बैंकों से कहीं आगे है। अध्ययन में कहा गया है कि डिजिटल प्रौद्योगिकी की सामर्थ्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समान रूप से यूपीआई को व्यापक रूप से अपनाया जा सका।

कर्ज बढ़े पर डिफॉल्ट दर नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक कर्ज का आकार बढ़ने के साथ साथ इसकी अदायगी दर भी बढ़ी है। आसान भुगतान प्रणाली होने के चलते कर्ज लेने वाले समय पर इसे वापस कर रहे हैं। जिसके चलते डिफॉल्ट दर में वृद्धि नहीं हुई।

दुनिया ने माना यूपीआई का लोहा
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि यूपीआई का लोहा दुनिया के कई देशों ने भी माना है। यूपीआई के साथ भारत की सफलता अन्य देशों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल पेश करती है। यह दिखाता है कि कैसे सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे को खुली बैंकिंग नीतियों के साथ जोड़कर वित्तीय बहिष्कार को कम किया जा सकता है। यूपीआई नवाचार के साथ-साथ समान आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है।

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