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कौन हैं मेहली मिस्त्री?: कभी अपने परिवार को छोड़ दिया दोस्त रतन टाटा का साथ, अब टाटा ट्रस्ट से विदाई का खतरा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Tue, 28 Oct 2025 02:44 PM IST
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सार

कभी रतन टाटा के सबसे करीबी विश्वासपात्रों में से एक माने जाने वाले मेहली मिस्त्री की जल्द ही टाटा ट्रस्ट से विदाई हो सकती है। चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी विजय सिंह ने उनके कार्यकाल के नवीनीकरण को मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया है। कौन हैं मेहली मिस्त्री? आइए उनके बारे में विस्तार से जानें।

Who is Mehli Mistry: The veteran who once chose Ratan Tata over his family now faces ouster from Tata Trusts
मेहली मेस्त्री - फोटो : amarujala.com
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विस्तार
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कभी रतन टाटा के सबसे करीबी विश्वासपात्रों में से एक माने जाने वाले मेहली मिस्त्री की जल्द ही टाटा ट्रस्ट से विदाई हो सकती है।चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी विजय सिंह ने उनके कार्यकाल के नवीनीकरण को मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया है। इससे उन्हें पद से हटाए जाने की आशंका है। मामले से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि इस नाटकीय घटनाक्रम से टाटा की शीर्ष धर्मार्थ संस्थाओं में उनका कार्यकाल प्रभावी रूप से समाप्त हो जाएगा। तीन ट्रस्टियों द्वारा उनके कार्यकाल के नवीनीकरण के खिलाफ मतदान करने के साथ, मिस्त्री का पद छोड़ना उन दोनों ट्रस्टों में बहुमत का फैसला बन गया है जहां वे कार्यरत हैं। सर रतन टाटा ट्रस्ट (SRTT) और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (SDTT) की टाटा संस में 51% हिस्सेदारी है , जबकि ट्रस्टों के व्यापक समूह की कुल मिलाकर 66% हिस्सेदारी है।

मेहली मिस्त्री कौन हैं?

मेहली मिस्त्री, शापूरजी मिस्त्री (और उनके दिवंगत भाई तथा टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष साइरस मिस्त्री ) के चचेरे भाई हैं। हालांकि वे अब अलग हो गए हैं। वे शापूरजी पल्लोनजी समूह के प्रवर्तक हैं, जो ट्रस्टों के बाद टाटा संस में दूसरा सबसे बड़ा शेयरधारक है। समूह की वेबसाइट के अनुसार, इसकी कंपनी स्टर्लिंग मोटर्स, टाटा मोटर्स की डीलर है । इस साइट पर टाटा समूह की टाटा स्टील , टाटा पावर और टाटा नाइक शिपिंग जैसी कंपनियों के "ग्राहक/सहयोगी" सूचीबद्ध हैं। वे ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल ट्रस्ट के भी ट्रस्टी हैं। हॉस्पिटल ने कहा है कि टाटा समूह ने सुविधाओं के सुधार के लिए 500 करोड़ रुपये दिए हैं। 2022 में उन्हें सर दोराबजी और सर रतन टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टी के रूप में पदोन्नत किया गया और उनकी कार्यकारी समितियों पर उनका प्रभाव बढ़ा। उन्होंने आरएनटी एसोसिएट्स में भी काम किया और टाटा की वसीयत के लाभार्थी थे

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रतन टाटा से दोस्ती की खातिर 'मिस्त्री बनाम मिस्त्री'?

2000 से रतन टाटा के कट्टर समर्थक, मिस्त्री ने साइरस मिस्त्री के चचेरे भाई होने के बावजूद, टाटा-मिस्त्री विवाद (साइरस मिस्त्री प्रकरण) के दौरान दिवंगत रतन टाटा का समर्थन किया था। चेयरमैन बनने के बाद 2016 में साइरस को टाटा संस के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। साइरस की बजाय रतन टाटा का समर्थन करने के मेहली के फैसले ने मिस्री परिवार की दरार को भी उजागर कर दिया था। मेहली और साइरस की मां बहनें हैं। दोनों मिस्त्री चचेरे भाई भी हैं। साइरस के दादा और मेहली के दादा भी भाई थे। एक सिविल ठेकेदार था और दूसरा पेंटिंग ठेकेदार था। परिवारों ने अलग-अलग व्यवसायों में शाखाएं खोलीं- शापूरजी पालोनजी समूह रतन टाटा के साथ मेहली मिस्त्री के रिश्ते की बात करें तो यह उस समय से शुरू हुआ जब टाटा उस अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स में रहते थे जहां मेहली का परिवार रहता था। मेहली की एक दोस्त ने बताया, "मेहली की उनसे पहली मुलाकात तब हुई थी जब वह 10 साल के थे।" दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई और उन्हें अक्सर साथ घूमते हुए देखा जाता था।

टाटा ट्रस्ट में अक्तूबर महीने में क्या-क्या हुआ?

आज, एक विडंबना कि मिस्त्री को उसी अक्तूबर महीने में टाटा ट्रस्ट से हटाने की नौबत आ गई है जिस महीने में उनके दिवंगत चचेरे भाई साइरस मिस्त्री को 2016 में टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाया गया था। अब, SDTT के ट्रस्टी नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन, विजय सिंह, मेहली मिस्त्री, प्रमित झावेरी और डेरियस खंबाटा हैं। SRTT में, ट्रस्टी नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन, विजय सिंह, जिमी टाटा, जहांगीर एचसी जहांगीर, मेहली मिस्त्री और डेरियस खंबाटा हैं। चूंकि मिस्त्री अपने नवीनीकरण पर वोट नहीं कर सकते, इसलिए SDTT में निर्णय पर बहुमत है। चूंकि जिमी टाटा आमतौर पर ट्रस्ट के विचार-विमर्श में भाग नहीं लेते हैं, इसलिए SRTT में भी यह प्रभावी रूप से बहुमत का निर्णय है।

टाटा ट्रस्ट में गुरुवार की देर रात और शुक्रवार की सुबह क्या-क्या हुआ?

सूत्रों ने कहा कि तीनों ट्रस्टियों ने गुरुवार देर रात और शुक्रवार सुबह-सुबह अपने फैसले से अवगत कराया। हालांकि ट्रस्टी डेरियस खंबाटा, प्रमित झावेरी और जहांगीर जहांगीर ने पहले ही अपनी सहमति दे दी थी। सर्वसम्मति नहीं बन पाने के कारण मिस्त्री की ट्रस्टी के तौर पर फिर से नियुक्ति की राह में बाधा पैदा हो गई है। अक्तूबर का महीना टाटा समूह के लिए उथल-पुथल वाला रहा है। इससे पहले आमतौर पर ट्रस्टियों की नियुक्ति, अन्य निर्णयों की तरह सर्वसम्मति से होती रही है। लेकिन ट्रस्टियों ने लंबे समय से सेवा कर रहे संरक्षक रतन टाटा की मौत के लगभग एक साल बाद 11 सितंबर को इस परंपरा को तोड़ दिया, जब उन्होंने बहुमत के फैसले से पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को टाटा संस के बोर्ड में नामित निदेशक के रूप में हटाने के लिए मतदान किया। इसने घटनाओं की एक शृंखला शुरू हुई और आटा ट्रस्ट के भीतर चल रहा विवाद सार्वजनिक हो गया।

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