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Tata Row: टाटा में विवाद बढ़ा, नोएल व दो और लोग मेहली मिस्त्री को फिर से ट्रस्टी नियुक्त करने के विरोध में

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Tue, 28 Oct 2025 02:08 PM IST
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सार

Tata Row: टाटा ट्रस्ट्स से जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। चेयरमैन नोएल टाटा और उनके करीबी माने जाने वाले दो अन्य प्रभावशाली ट्रस्टियों ने दिवंगत रतन टाटा के करीबी सहयोगी और कारोबारी मेहली मिस्त्री की ट्रस्टी के रूप में फिर से नियुक्ति को रोक दिया है। आइए इस बारे में विस्तार से जानें। 

Noel Tata, two others block Mehli Mistry's reappointment as trustee, deepening rift at Tata Trusts
टाटा ट्रस्ट में विवाद - फोटो : amarujala.com
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विस्तार
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टाटा ट्रस्ट्स से जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। चेयरमैन नोएल टाटा और उनके करीबी माने जाने वाले दो अन्य प्रभावशाली ट्रस्टियों ने दिवंगत रतन टाटा के करीबी सहयोगी और कारोबारी मेहली मिस्त्री की ट्रस्टी के रूप में फिर से नियुक्ति को रोक दिया है। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है। इससे टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी को नियंत्रित करने वाली परोपकारी शाखा में मतभेद और गहरा गए हैं। पिछले वर्ष टाटा समूह के संरक्षक रतन टाटा के निधन के बाद नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का प्रमुख नियुक्त किया गया था।

टीवीएस मोटर कंपनी के मानद चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह ने मंगलवार को मिस्त्री का तीन साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें ट्रस्टी के रूप में फिर से नियुक्त किए जाने के खिलाफ मतदान किया।

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उन्होंने बताया कि तीन अन्य ट्रस्टी- सिटीबैंक इंडिया के पूर्व सीईओ प्रमित झावेरी, मुंबई के वकील डेरियस खंबाटा और पुणे के समाजसेवी जहांगीर एचसी जहांगीर- जिन्हें मिस्त्री का करीबी माना जाता है, ने उनकी फिर से नियुक्ति का समर्थन किया। टाटा ट्रस्ट में मतों का यह विभाजन ट्रस्टियों की सर्वसम्मति से नियुक्ति के उसके दृष्टिकोण से अलग है। नोएल टाटा और मेहली मिस्त्री, टाटा ट्रस्ट्स में दो प्रमुख शक्ति केंद्र हैं। ये टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी रखते हैं। नोएल टाटा को श्रीनिवासन और पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह का समर्थन प्राप्त है, जबकि अन्य तीन मिस्त्री के साथ हैं।

दोनों समूहों के बीच मतभेद सितंबर में तब सामने आए, जब मिस्त्री और तीन अन्य ट्रस्टियों- झावेरी, खंबाटा और जहांगीर- ने टाटा संस के बोर्ड में टाटा ट्रस्ट्स के प्रतिनिधि के रूप में सिंह को हटाने के लिए मतदान किया। टाटा संस नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक के कारोबार करने वाले समूह की होल्डिंग कंपनी है। हालांकि, पिछले सप्ताह सर्वसम्मति से श्रीनिवासन को आजीवन ट्रस्टी बना दिया गया। हालांकि मिस्त्री ने अपने अगले कदम के बारे में कुछ नहीं कहा है, लेकिन संभावना है कि वे इसे अदालत में चुनौती देंगे।

पिछले वर्ष 17 अक्तूबर को सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट की संयुक्त बैठक में- रतन टाटा की मृत्यु के कुछ ही दिनों के भीतर- सभी ट्रस्टियों को स्थायी बनाने पर सहमति बनी थी। फिलहाल इस मामले में टाटा ट्रस्ट की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी जारी नहीं की गई है। पिछले सप्ताह, टाटा ट्रस्ट के सीईओ ने अन्य ट्रस्टियों को एक परिपत्र जारी कर सर रतन टाटा ट्रस्ट (एसआरटीटी), सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (एसडीटीटी) और बाई हीराबाई जमशेदजी टाटा नवसारी चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन में मिस्त्री की पुनः नियुक्ति की मांग की थी।

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