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RBI: सरकारी खर्च के लिए बॉन्ड बिक्री से 32000 करोड़ रुपये जुटाएगी केंद्र सरकार, 31 अक्तूबर को होगी नीलामी

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Tue, 28 Oct 2025 12:35 PM IST
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सार

भारत सरकार ने एक नीलामी के माध्यम से कुल 32,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए चार दिनांकित प्रतिभूतियों की बिक्री की घोषणा की है।सरकार अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए जनता, बैंकों और अन्य संस्थाओं से धन उधार लेने के लिए बॉन्ड जारी करती है।

The central government will raise Rs 32000 crore from the sale of bonds for government expenditure
आरबीआई - फोटो : PTI
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विस्तार
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केंद्र सरकार ने चार दिनांकित प्रतिभूतियों की बिक्री (पुनर्निर्गम) के जरिए 32,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना घोषित की है। इन प्रतिभूतियों की नीलामी भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 31 अक्तूबर, 2025 को आयोजित की जाएगी।



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5,000 करोड़ से लेकर 11,000 करोड़ के बॉन्ड होंगे जारी 

  1. पहली 5.91 प्रतिशत ब्याज दर वाली सकारी प्रतिभूति 2028 है, जिससे 9,000 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे। यह 30 जून, 2028 को परिपक्व होगी।
  2. दूसरा 6.28 प्रतिशत ब्याज दर वाली सरकारी प्रतिभूति 2032 है, जिससे 11,000 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे। यह 14 जुलाई 2032 को परिपक्व होगी।
  3. तीसरा, 7.24 प्रतिशत वाली सराकरी प्रतिभूति 2055, जिसकी परिपक्वता 18 अगस्त 2055 को होगी। इससे 7,000 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे।  
  4. चौथा बांड 6.98 प्रतिशत ब्याज दर वाला भारत सरकार का सॉवरेन ग्रीन बांड (एसजीआरबी) 2054 है, जो 16 दिसंबर 2054 को परिपक्व होगा। इसकी अधिसूचित राशि 5,000 करोड़ रुपये है।

वहीं निवेशकों की प्रतिक्रिया के आधार पर, इनमें से प्रत्येक प्रतिभूति पर 2,000 करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त सदस्यता रखने का विकल्प भी खुला रखा है।

सरकार क्यों करती है बॉन्ड जारी?

सरकार अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जनता, बैंकों और अन्य संस्थाओं से धन उधार लेने हेतु बॉन्ड जारी करती है। जब सरकार करों और अन्य राजस्वों से होने वाली कमाई से ज्यादा खर्च करती है, तो उसे राजकोषीय घाटे का सामना करना पड़ता है। इसी कमी को पूरा करने के लिए, वह बॉन्ड,  जिन्हें सरकारी प्रतिभूतियां भी कहा जाता है, जारी करती है।

निवेशक इन बॉन्डों को खरीदते हैं और बदले में, सरकार एक निश्चित अवधि के बाद ब्याज सहित राशि वापस करने का वादा करती है। इसके जरिए सरकार को करों में तत्काल वृद्धि किए बिना बुनियादी ढांचे, कल्याणकारी योजनाओं, वेतन, सब्सिडी और अन्य विकास कार्यक्रमों के लिए धन जुटाने में मदद मिलती है। बांड को सुरक्षित निवेश माना जाता है क्योंकि वे सरकार द्वारा समर्थित होते हैं।

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