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ADGP Suicide Case: आठ दिन से पूरण कुमार का परिवार सहमत नहीं, क्या पुलिस बिना अनुमति करा सकती है पोस्टमार्टम?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: अंकेश ठाकुर
Updated Tue, 14 Oct 2025 03:13 PM IST
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सार
हरियाणा के आईपीएस एडीजीपी वाई पूरण कुमार ने 7 अक्तूबर को चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपने घर पर खुद को गोली मारी थी। उन्होंने सात पन्नों का सुसाइड नोट लिखा था।

ADGP Suicide Case
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
हरियाणा के आईपीएस एडीजीपी वाई पूरण कुमार आत्महत्या मामले को मंगलवार को पूरे आठ दिन हो गए हैं। 8 दिन बीत जाने के बावजूद वाई पूरण कुमार के शव का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया है। सरकार की तरफ से परिवार को मनाने की सारे कोशिशें नाकाम रही हैं। वाई पूरण कुमार की आईएएस पत्नी अमनीत पी कुमार व परिवार के अन्य सदस्य पोस्टमार्टम के लिए सहमत नहीं हैं।

ऐसे में अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या मृतक का पोस्टमार्टम में देरी की वजह से क्या जांच प्रभावित हो सकती है। बता दें कि ऐसी स्थिति में साक्ष्यों के नष्ट होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जब किसी की मौत मेडिको-लीगल केस (एमएलसी) के तहत होती है तो जांच एजेंसी या पुलिस मृतक के परिजनों की अनुमति के बिना भी पोस्टमार्टम करा सकती है।
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चंडीगढ़ पुलिस के सेवानिवृत्त डीएसपी जगबीर सिंह ने बताया कि पुलिस मानवता के आधार पर परिवार को सहमत करने की कोशिश करे ये अलग बात है लेकिन साक्ष्य नष्ट होने की परिस्थिति में सीआरपीसी की धारा 174 और 175 के तहत उसके पास बिना अनुमति पोस्टमार्टम करवाने का अधिकार है। इसके लिए पुलिस को मजिस्ट्रेट से आदेश लेने के लेकर उनकी उपस्थिति में प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
पूरण कुमार के मामले में कई अधिकारियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने की धाराओं में एफआईआर दर्ज हो चुकी है इसलिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 194 के तहत पोस्टमार्टम जरूरी है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि मौत वास्तव में आत्महत्या थी या किसी अन्य कारण से हुई।
बता दें कि एडीजीपी वाई पूरण कुमार ने 7 अक्तूबर को चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपने घर पर खुद को गोली मारी थी। उन्होंने सात पन्नों का सुसाइड नोट लिखा था, जिसमें उन्होंने हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर, रोहतक के एसएसपी नरेंद्र बिजारणिया समेत पुलिस विभाग के 13 अधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगाए थे।