कनाडाः जस्टिन ट्रूडो की कैबिनेट में चार भारतीय बने मंत्री, पहली हिंदू मंत्री बनीं अनिता आनंद
कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार में भारतीय मूल के चार लोगों को स्थान मिला है, जिसमें तीन पंजाबी मूल के हैं और एक हिंदू समुदाय की अनिता आनंद हैं। पिछली कैबिनेट में चार पंजाबी थे, लेकिन अमरजीत सोही इस बार चुनाव नहीं जीत पाए। इस कारण हिंदू समुदाय की अनिता आनंद को लिया गया है। अनिता आनंद टोरंटो यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं।
कैबिनेट में वाटरलू से फिर चुनाव जीतने वाले बर्दिश चग्गर युवा मामलों के मंत्री बनाई गई हैं। हरजीत सज्जन रक्षा मंत्री बने रहेंगे, जबकि नवदीप बैंस साइंस एंड इंडस्ट्री का जिम्मा संभालेंगे। 2015 में सरकार में शामिल भारतीय मूल के चौथे मंत्री अमरजीत सोही को चुनावी में हार के चलते इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है।
टोरंटो यूनिवर्सिटी में कानून की प्रोफेसर, अनिता आनंद का जन्म नोवा स्कोशिया प्रांत के केंटविले शहर में हुआ था। उनके माता-पिता, दोनों ही पेशे से चिकित्सक व भारतीय हैं। उनकी दिवंगत मां सरोज राम पंजाब के अमृतसर से थीं और उनके पिता एसवी आनंद तमिल हैं। अनिता आनंद कनाडा के प्रतिष्ठित नागरिकों में एक हैं। आनंद संग्रहालय ऑफ हिंदू सिविलाइजेशन की पहली चेयरपर्सन भी थीं। उन्होंने एयर इंडिया फ्लाइट 182 के आतंकवादी बम विस्फोट की जांच में जांच आयोग के लिए शोध भी किया।
तीन सिख मंत्री
कैबिनेट में वॉटरलू से चुनी गई बर्दिश चग्गर की भी वापसी हुई है। चग्गर को ट्रूडो ने मिनिस्टर ऑफ डाइवर्सिटी और युवा मामलों का विभाग सौंपा है। चग्गर इससे पहले कनाडा की स्माल बिजनेस और पर्यटन मंत्री रह चुकी हैं। उनके माता-पिता पंजाब के रहने वाले हैं और वह 1993 से ही राजनीति में सक्रिय हैं।
हरजीत सिंह सज्जन दोबारा कनाडा के रक्षा मंत्री बनाए गए हैं। वह पिछली सरकार में भी रक्षा मंत्री थे। नवदीप बैंस दोबारा कनाडा में मंत्री बने हैं, उनको साइंस एंड टेक्नोलॉजी खोज का मंत्री बनाया गया है। सज्जन होशियारपुर के बंबेली गांव के रहने वाले हैं। 2014 में दक्षिण वैंकूवर से पहली बार चुनाव जीतकर 2015 में जस्टिन ट्रूडो की सरकार में बतौर रक्षामंत्री के रूप में हरजीत सिंह सज्जन ने अपनी सेवाएं दी थी। नवदीप बैंस 2004 में 26 की उम्र में कनाडा के सबसे युवा लिबरल सांसद बने।
कनाडा में हिंदुओं का झंडा बुलंद
कनाडा में हिंदू महिला अनिता आनंद के मंत्री बनने से एक नए इतिहास की शुरुआत हो गई है। कनाडा में पिछली बार सिख समुदाय से मंत्री बने थे लेकिन इस बार ट्रूडो ने अनिता आनंद को स्थान देकर एक तीर से दो निशाने साधे हैं। पहला उन्होंने दोनों समुदाय में संतुलन बनाने की कोशिश की ।, वहीं दूसरा इस कदम से भारत व कनाडा के नए रिश्तों की शुरुआत हो सकती है। अभी तक ट्रूडो पर खालिस्तान समर्थक होने का आरोप लगता रहा है।
2018 की शुरुआत में जस्टिन ट्रूडो जब परिवार संग भारत आए तो उनका सात दिवसीय दौरा विवादों से घिर गया था। उस समय कहा गया कि कनाडा में खालिस्तान विद्रोही ग्रुप सक्रिय हैं और जस्टिन ट्रूडो की वैसे समूहों से सहानुभूति है। विदेशी मीडिया में कहा गया कि हाल के वर्षों में कनाडा और भारत की सरकार में उत्तरी अमरीका में स्वतंत्र खालिस्तान के प्रति बढ़े समर्थन के कारण तनाव बढ़ा है।
सिख अलगाववादियों से सहानुभूति के कारण ही भारत ने ट्रूडो की यात्रा को लेकर उदासीनता दिखाई थी। हालांकि भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। भारत दौरे के बाद उठे विवाद पर कनाडा की सरकार ने साफ किया था कि उनकी सरकार खालिस्तानियों के खिलाफ है।
2016 में कनाडा की कुल आबादी में अल्पसंख्यक 22.3 फीसदी थे। 1981 में कनाडा की कुल आबादी में महज 4.7 फीसदी अल्पसंख्यक थे। मौजूदा समय में कनाडा में भारतीय समुदाय के 15 से 16 लाख लोग हैं जिनमें करीब 5 लाख सिख हैं। बाकी गुजरात और अन्य राज्यों के हैं। गुजराती लोगों का कनाडा में खासा जनाधार है। 2015 में भारतीय के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कनाडा गए थे।
यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का 42 साल बाद कनाडा दौरा था। वहां हिंदू समुदाय की तरफ से मोदी के स्वागत के लिए खासा इंतजाम किया गया था। मोदी वैंकुवर गए तो वहां पर उनका जोरदार स्वागत हुआ। हिंदुओं की जनसंख्या कनाडा में 1.5 फीसदी के करीब है। कनाडा और भारत के बीच खालिस्तान के मुद्दे को लेकर पैदा हुई कड़वाहट को अनिता आनंद दूर कर सकती हैं। वैंकुवर में हिंदू नेता विनय शर्मा का कहना है कि एक नए रिश्तों की शुरुआत भारत व कनाडा में होने जा रही है। कनाडा विकसित देश है और भारतीय मूल के लोग इसकी तरक्की के हिस्सेदार हैं।