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चंडीगढ़ एनसीडी रजिस्ट्री के डराने वाले आंकड़े: जो दर्द हल्का लगा, उसी ने दिल पर किया साइलेंट अटैक

वीणा तिवारी, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Mon, 17 Nov 2025 09:26 AM IST
सार

चंडीगढ़ के पुरुषों में जहां बीमारी और मृत्यु दोनों का जोखिम दोगुना मिला, वहीं महिलाओं में हार्ट अटैक के संकेत पूरी तरह अलग और भ्रमित करने वाले मिले। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में हार्ट डिजीज का खतरा चंडीगढ़ की आबादी में शांत लेकिन तेजी से बढ़ रहा है।

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Chandigarh NCD Registry statistics about heart attack
हार्ट अटैक - फोटो : adobe stock photos
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विस्तार
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चंडीगढ़ की एनसीडी रजिस्ट्री ने छह साल का एक ऐसा डेटा जारी किया है जिसने डॉक्टरों की चिंताओं को दोगुना कर दिया है। रिपोर्ट कहती है कि दिल का दौरा आने से पहले शरीर कई तरह के संकेत देता है-कुछ तेज, कुछ बेहद हल्के, और कुछ इतने चालाक कि मरीजों को पता भी नहीं चलता कि उनके दिल पर खतरा मंडरा रहा है। 

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पुरुषों में हार्ट अटैक की संभावना दोगुनी

रजिस्ट्री में हार्ट अटैक जैसे एक्यूट कार्डियक इवेंट के हजारों मामलों का विश्लेषण किया गया। परिणाम बेहद चौंकाने वाले थे। पाया गया कि पुरुषों में हृदय रोग की घटना 37.16 प्रतिशत और महिलाओं में 18.32 प्रतिशत रही, यानी पुरुषों को दिल का हमला पड़ने की संभावना लगभग दोगुनी पाई गई। मौत के आंकड़े भी इसी पैटर्न को दोहराते हैं। जिसमें पुरुषों में मृत्यु दर 37.65 और महिलाओं में 20.52 प्रतिशत रही। 

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इस रजिस्ट्री में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पीजीआई कम्युनिटी मेडिसिन के प्रो जे एस ठाकुर का कहना है कि इसे पुरुषों की खराब लाइफस्टाइल, तनाव, शराब–तंबाकू सेवन और नियमित जांच की कमी से जोड़कर देखा है। उन्होंने बताया कि रजिस्ट्री की सबसे महत्वपूर्ण खोज यह रही कि महिलाओं में हार्ट अटैक के शुरुआती संकेत पुरुषों से अलग थे। जहां पुरुषों में छाती का दर्द सबसे प्रमुख लक्षण था, वहीं महिलाओं में यह लक्षण बेहद कम पाया गया। 41.4% पुरुष को छाती में दर्द हुआ जबकि सिर्फ 15% महिला को। इसके बजाय महिलाओं में सांस फूलना सबसे आम लक्षण रहा। इसकी शिकायत पुरुष में 28.7% और महिला में 31.3% प्रतिशत रही। प्रो जेएस ठाकुर का कहना है कि महिलाओं का हार्ट अटैक अक्सर मिस हो जाता है क्योंकि उनका शरीर पुरुषों की तुलना में अलग तरह से संकेत देता है।

दिल का दौरा आने से ठीक पहले शरीर देता है ये संकेत

रजिस्ट्री की रिपोर्ट के मुताबिक मरीजों में कई छोटे-छोटे संकेत दिखे जो मिलकर एक बड़े हमले की तैयारी का संकेत देते हैं। इनके अलावा, पेट दर्द, पीठ दर्द, जबड़े में दर्द, अपच, बेहोशी, धड़कन जैसे संकेत भी कई मरीजों में देखे गए। यह विविधता बताती है कि हार्ट अटैक का एक ही स्टैंडर्ड पैटर्न नहीं है। यह हर व्यक्ति में अलग रूप ले सकता है।


बाएं हाथ में सुन्नपन/झनझनाहट
पुरुष 8.8%, महिला 6.9%
अचानक ठंडा पसीना 
पुरुष 6.6%, महिला 7.3%
कमजोरी
पुरुष 10.3%, महिला 9.4%
बेचैनी/चिंता 
पुरुष 8.9%, महिला 10.7%
चक्कर
5.9% पुरुष, 5% महिला
वॉमिटिंग
पुरुष 3.4%, महिला 4.4%
खांसी
पुरुष 3%, महिला 3.6%

सबसे बड़ा खतरा साइलेंट हार्ट अटैक

रिपोर्ट का सबसे चिंता बढ़ाने वाला हिस्सा यह है कि 4.6% पुरुष और 4.3% महिलाएं ऐसे मरीज निकले जिन्हें कोई भी चेतावनी महसूस नहीं हुई। यानी हार्ट अटैक चुपचाप हुआ—बिना दर्द, बिना धड़कन बढ़े, बिना किसी स्पष्ट संकेत। विशेषज्ञ इसे सबसे खतरनाक स्थिति बताते हैं। प्रो जे एस ठाकुर का कहना है कि साइलेंट हार्ट अटैक सबसे घातक इसलिए है क्योंकि मरीज अस्पताल देर से पहुंचता है कभी-कभी बहुत देर से। यह रिपोर्ट हमें सिर्फ आंकड़े नहीं देती, बल्कि चेतावनी देती है। दिल के संकेत कई बार तेज नहीं बहुत धीमे, बहुत जटिल और बहुत सामान्य लगते हैं। लेकिन ये वही संकेत हैं जो आने वाले बड़े हार्ट अटैक की शुरुआती आवाज होते हैं।

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