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पीयू में चैसकॉन-2025 की शुरुआत, वक्ता बोले- 6जी तकनीक 2030 तक आने की उम्मीदशोध और तकनीक को समाज के हित में इस्तेमाल करें : रेनू विग
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चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी में तीन दिवसीय चंडीगढ़ साइंस कांग्रेस (चेसकॉन 2025) की शुरुआत हुई। इस बार का विषय मानवता का सशक्तीकरण: सभी के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सेवा है। इस कार्यक्रम में देशभर के वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं समेत करीब 1,200 प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं।
कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति प्रो. रेणु विग ने किया। उनके साथ मुख्य अतिथि कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार, ट्राई सदस्य मुख्य वक्ता आरआर मित्तर और उद्योगपति संजीव सिंह सेठी मौजूद थे। प्रो. रेणु विग ने कहा कि यह सम्मेलन विज्ञान और समाज को जोड़ने का एक बड़ा मंच है। उन्होंने छात्रों और वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वह अपने शोध और तकनीक को समाज के हित में इस्तेमाल करें।
मुख्य वक्ता आरआर मित्तर ने भारत में डिजिटल क्रांति पर कहा कि देश में अब 1.22 अरब से अधिक मोबाइल उपभोक्ता हैं, जिनमें से आधे से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। उन्होंने कहा कि 6जी तकनीक 2030 तक आने की उम्मीद है जो शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुलभ बनाएगी। डॉ. संजय कुमार ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन चीजों का घरेलू उत्पादन जरूरी है जो अभी तक आयात की जाती हैं।
उन्होंने युवाओं से कहा कि वह विज्ञान और नवाचार के जरिए मेड इन इंडिया को आगे बढ़ाएं। उद्योगपति संजीव सिंह सेठी ने कहा कि तकनीक का उद्देश्य हमेशा मानवता की सेवा होना चाहिए और मशीनों के दौर में मानवीय संवेदनाएं सबसे अहम हैं। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और संस्थानों की शोध प्रदर्शनी भी शुरू हुई। तीन दिन चलने वाला यह सम्मेलन 8 नवंबर को संपन्न होगा।
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कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति प्रो. रेणु विग ने किया। उनके साथ मुख्य अतिथि कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार, ट्राई सदस्य मुख्य वक्ता आरआर मित्तर और उद्योगपति संजीव सिंह सेठी मौजूद थे। प्रो. रेणु विग ने कहा कि यह सम्मेलन विज्ञान और समाज को जोड़ने का एक बड़ा मंच है। उन्होंने छात्रों और वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वह अपने शोध और तकनीक को समाज के हित में इस्तेमाल करें।
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मुख्य वक्ता आरआर मित्तर ने भारत में डिजिटल क्रांति पर कहा कि देश में अब 1.22 अरब से अधिक मोबाइल उपभोक्ता हैं, जिनमें से आधे से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। उन्होंने कहा कि 6जी तकनीक 2030 तक आने की उम्मीद है जो शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुलभ बनाएगी। डॉ. संजय कुमार ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन चीजों का घरेलू उत्पादन जरूरी है जो अभी तक आयात की जाती हैं।
उन्होंने युवाओं से कहा कि वह विज्ञान और नवाचार के जरिए मेड इन इंडिया को आगे बढ़ाएं। उद्योगपति संजीव सिंह सेठी ने कहा कि तकनीक का उद्देश्य हमेशा मानवता की सेवा होना चाहिए और मशीनों के दौर में मानवीय संवेदनाएं सबसे अहम हैं। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और संस्थानों की शोध प्रदर्शनी भी शुरू हुई। तीन दिन चलने वाला यह सम्मेलन 8 नवंबर को संपन्न होगा।