अमर उजाला पड़ताल: करोड़ों की मशीन खरीदी, जांच शुल्क 10 गुना बढ़ाई फिर भी समय पर रिपोर्ट नहीं
छह करोड़ वाली मशीन से मानव शरीर के किसी भी हिस्से (अंग) के कैंसर की जांच की जाती है। वहीं, पोस्टमार्टम के बाद सभी जरूरी जांच इसमें होती हैं। इससे पहले से तीन गुना तक ज्यादा जांच करने का दावा किया गया था लेकिन नमूनों की संख्या आधे से भी कम हो गई है।
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चंडीगढ़ पीजीआई के हिस्टोपैथालॉजी विभाग में मरीजों की जांच रिपोर्ट डेढ़ महीने बाद भी लंबित है। मरीजों के परिजन रिपोर्ट के लिए विभाग का चक्कर काटकर थक चुके हैं। स्थिति यह है कि कैंसर के मरीजों की रिपोर्ट न मिलने से उनका इलाज बाधित हो रहा है। उनका मर्ज भी बढ़ रहा है। मरीजों के परिजन चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। दूसरी ओर, मरीजों के परिजनों को डर सता रहा है कि कहीं रिपोर्ट के इंतजार में मरीज की जान जोखिम में न पड़ जाए।
बता दें कि विभाग में पुरानी जांच मशीन के साथ कई अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई हैं। इस सुविधा के लिए मरीज कई गुना ज्यादा शुल्क भी दे रहे हैं लेकिन रिपोर्ट मिलने में देरी से ठगा महसूस कर रहे हैं। परिजनों का कहना है कि बेहतर इलाज के लिए पीजीआई आए हैं लेकिन रिपोर्ट के इंतजार में स्थिति गंभीर होती जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि विभाग में तैनात 10 कंसल्टेंट अगर प्रतिदिन महज एक से दो घंटे रिपोर्टिंग कर दें तो आधे से ज्यादा मरीजों को हफ्तेभर में रिपोर्ट मिलने लगे। गौरतलब है कि विभाग में प्रतिदिन 100 से ज्यादा मरीजों के जांच के नमूने आते हैं। वहीं लंबित नमूनों की संख्या 400 से ज्यादा है।
पहला केस: बिहार की 43 वर्षीय भोली देवी कैंसर की मरीज हैं। सर्जरी के बाद बायोप्सी के लिए जांच का नमूना एक जुलाई को पीजीआई हिस्टोपैथालॉजी के सर्जिकल लैब में जमा किया गया लेकिन अब तक उसकी रिपोर्ट नहीं मिल पाई है। परिवार ने रिपोर्ट के लिए दो अगस्त को विभाग से अनुरोध भी किया था लेकिन अब तक रिपोर्ट पेंडिंग है। मरीज की हालत खराब है और रिपोर्ट के बिना इलाज की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई जा पा रही है। मरीज का सीआर नंबर 201805000517 है।
दूसरा केस: पंजाब के फतेहगढ़ निवासी 60 वर्षीय जसबीर कौर को पेट का कैंसर है। उनके जांच का नमूना भी विभाग में 10 अगस्त को बायोप्सी के लिए जमा किया गया है लेकिन यहां भी स्थित वही है। मरीज के परिजन रिपोर्ट के लिए लगातार चक्कर लगा रहे हैं लेकिन रिपोर्ट की जगह निराशा हाथ लग रही है। मरीज का सीआर नंबर 20210367761 है।
करोड़ों की मशीन भी समस्या न कर सकी दूर
हिस्टोपैथालॉजी विभाग ने कुछ महीनों पहले ही 6 करोड़ 5 लाख 23 हजार 74 पैसे में इंटिग्रेटेड फुली ऑटोमेटेड हिस्टोपैथोलॉजी वर्क स्टेशन नाम की अत्याधुनिक मशीन को खरीदा गया था। इसके साथ ही सुविधा को और बेहतर बनाने के लिए तीन और नई मशीनें इंस्टॉल की गई थीं। इसमें 39 लाख 67 हजार 188 रुपये का ऑटोमैटिक स्लाइड स्टेनर, 32 लाख 87 हजार 24 रुपये का ऑटोमेटेड फिल्म कवर स्लीपर और 14 लाख 96 हजार 875 रुपये का ऑटोमेटेड स्लाइड लैबरर शामिल है। इन मशीनों के आ जाने के बाद भी मरीजों की परेशानी जस की तस है।
जनरल वार्ड के मरीज 500 और प्राइवेट रूम के 1000 रुपये चुका रहे
मरीजों की सुविधा के लिए विभाग ने मशीन खरीदी थी लेकिन मरीजों की परेशानी कम होने के बजाय और बढ़ गई। रिपोर्ट समय पर मिलना तो दूर शुल्क पांच से 10 गुना तक बढ़ा दिया गया है। इस जांच के लिए जनरल वार्ड के मरीज 100 रुपये के बजाय 500 रुपये और प्राइवेट रूम के मरीज एक हजार रुपये खर्च कर रहे हैं।
मशीन में क्या-क्या जांच होती है
छह करोड़ वाली मशीन से मानव शरीर के किसी भी हिस्से (अंग) के कैंसर की जांच की जाती है। वहीं, पोस्टमार्टम के बाद सभी जरूरी जांच इसमें होती हैं। इससे पहले से तीन गुना तक ज्यादा जांच करने का दावा किया गया था लेकिन नमूनों की संख्या आधे से भी कम हो गई है।
मरीजों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जांच रिपोर्ट के लिए एसएमएस सुविधा शुरू की गई है। अगर हिस्टोपैथोलॉजी में मरीजों को रिपोर्ट के लिए मानक से ज्यादा इंतजार करना पड़ रहा है तो व्यवस्था को ठीक करने का प्रयास किया जाएगा। कुमार गौरव डीडीए व पीजीआई प्रवक्ता।