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राज्यपाल अभी नए आए हैं: अफसरों से पंजाब गवर्नर की मीटिंग; सीएम मान बोले- मुझे आपत्ति नहीं, शिअद ने उठाए सवाल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: अंकेश ठाकुर Updated Wed, 14 Aug 2024 08:00 PM IST
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सार

पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया की प्रदेश के आईएएस अधिकारियों के साथ बैठक पर शिरोमणि अकाली दल ने सवाल खड़े किए हैं। हालांकि पंजाब सीएम भगवंत मान का कहना है कि उन्हें बैठक से कोई परेशानी नहीं है। 

Punjab Governor Gulab chand kataria meeting with IAS officers CM Mann said I have no objection SAD raise issue
मुख्यमंत्री भगवंत मान। - फोटो : अमर उजाला
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पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने बीते दिनों पंजाब के आईएएस अफसरों के साथ राजभवन में बैठक की थी। इस बैठक को लेकर अब सियासत गरमा गई है। बुधवार को सीएम आवास पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मीडिया से बातचीत में एक सवाल के जवाब में इस बैठक पर तंज कसते हुए कहा कि राज्यपाल अभी नए आए हैं, वह अफसरों से मिल रहे हैं, ताकि वह जान सकें कि कौन सेक्रेटरी और कौन से आईएएस अफसर हैं ताकि कल को सरकार के लिए कोई चिट्ठी या आदेश जारी करना हुआ तो उन्हें सब पता होना चाहिए। सीएम ने कहा कि राज्यपाल अफसरों से मिल रहे हैं। उन्हें कोई परेशानी नहीं है, गुवाहटी से अभी उनका पूरा सामान भी नहीं आया है। राज्यपाल की इस बैठक को लेकर प्रदेश में अब विपक्षी दलों ने भी निशाना साधना शुरू कर दिया है। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने कहा है कि राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया की प्रशासनिक सचिवों के साथ मीटिंग संविधान में निहित संघवाद की भावना के खिलाफ है और यह केंद्र सरकार द्वारा राज्य के आंतरिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप है। पार्टी ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को सलाह दी है कि उनको राज्य के मामलों में केंद्र के हस्तक्षेप से बचने के लिए अपने घर को व्यवस्थित करना चाहिए।
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शिअद के वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि राज्यपालों द्वारा राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सीधी मीटिंग करने के नए चलन से केंद्र की कमान दोगुनी बढ़ जाएगी और यह राज्य के हितों के लिए बेहद हानिकारक होगा। ऐसी मीटिंगों से केंद्र-राज्य संबंधों पर गहरा असर पड़ेगा।
डॉ. चीमा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अकाली दल हमेशा से राज्यों को अधिक अधिकार देने के समर्थन में खड़ा रहा है। यह बेहद निंदनीय है कि हाल के सालों में राज्य सरकारों को केंद्र द्वारा अधीन किया जा रहा है और उन्हें अपनी राज्य-विशिष्ट योजनाओं को बनाने और उन्हें लागू करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप हाल के साल में राज्यों और केंद्र के बीच टकराव पैदा हुआ है और पंजाबियों के लिए भी दुख बी बात है कि पंजाब को ग्रामीण विकास निधि (आरडीएफ) की बकाया राशि से वंचित किया गया और राज्य के बाॅर्डर क्षेत्रों पर केंद्रीय नियंत्रण का अनुचित विस्तार किया जा रहा है।
डॉ. चीमा ने कहा कि राज्य में दो समानांतर सरकारें नही चल सकतीं, एक पंजाब के लोगों द्वारा चुनी गई और दूसरी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त की गई। उन्होंने कहा कि राज्यों को अपने मामले खुद चलाने की अनुमति दी जानी चाहिए। पंजाब जैसे बाॅर्डर राज्य में यह बेहद महत्वपूर्ण है। राज्य चलाने की पूरी जिम्मेदारी चुनी हुई सरकार के पास होनी चाहिए।
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