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High Court: सेना के जवान की कैंसर से मौत, अदालत ने कहा- नौकरी में झेले तनाव से हुई बीमारी, मिलेगी फैमिली पेंशन
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चडीगढ़
Published by: अंकेश ठाकुर
Updated Sun, 05 Oct 2025 03:27 PM IST
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सार
पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट ने फैमिली पेंशन से जुड़े एक मामले में परिवार को राहत देते हुए केंद्र सरकार की अपील को खारिज किया है। वहीं यह भी कहा कि सेना के जवान को नौकरी के दौरान कैंसर की बीमारी हुई और उसकी मौत हो गई।

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- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट ने सेना के एक जवान की कैंसर से हुई मौत के मामले में केंद्र सरकार की उस अपील खारिज कर दिया, जिसमें मृतक के परिवार को विशेष फैमिली पेंशन के अधिकार को खत्म करने की मांग की गई थी। अदालत ने अपील को खारिज करते हुए कहा है कि सैन्य सेवा के दौरान लंबे समय तक झेले गए तनाव और दबाव से कैंसर जैसी बीमारी हो सकती है।

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हाईकोर्ट की खंडपीठ न्यायमूर्ति हरसिमरन सिंह सेठी और न्यायमूर्ति विकास सूरी ने यह टिप्पणी करते हुए केंद्र की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 2019 में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) चंडीगढ़ द्वारा विशेष पारिवारिक पेंशन देने के आदेश को चुनौती दी गई थी। एएफटी ने आदेश दिया था कि कुमारी सलोचना वर्मा को उनके पुत्र की मृत्यु की तिथि से विशेष पारिवारिक पेंशन दी जाए।
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केंद्र सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि सलोचना वर्मा के बेटे (सैन्य जवान) को रेट्रोपेरिटोनियल सारकोमा नामक कैंसर था, जो बेहद दुर्लभ और आक्रामक रूप का होता है। उनका निधन 24 जून 2009 को हुआ था। मेडिकल बोर्ड ने इसे सेना सेवा से न तो संबंधित और न ही उससे बढ़ी हुई बीमारी करार दिया था।
अदालत ने कहा कि जब सलोचना वर्मा का पुत्र 12 दिसंबर 2003 को सेना में भर्ती हुआ था, तब वह पूरी तरह से स्वस्थ था। अदालत ने एक अन्य मामले धरमवीर सिंह बनाम भारत सरकार (2013) का हवाला देते हुए कहा कि यदि कोई सैनिक भर्ती के समय फिट हो और बाद में बीमारी हो जाए, तो यह माना जा सकता है कि बीमारी सेवा के दौरान हुई या सेवा से बढ़ी है।
पीठ ने कहा कि कैंसर जैसी बीमारी अचानक एक दिन में नहीं होती, बल्कि यह एक बहु-स्तरीय प्रक्रिया है, जिसमें सामान्य कोशिकाएं धीरे-धीरे घातक कोशिकाओं में बदल जाती हैं। लंबे समय तक झेले गए निरंतर तनाव के कारण ऐसा होना संभव है। छह वर्षों तक सेना में सेवा देने और विभिन्न स्थानों पर तनावपूर्ण पोस्टिंग्स के चलते यह कहा जा सकता है कि लंबे समय के तनाव और दबाव से कैंसर हुआ है।
अदालत ने यह भी कहा कि केंद्र की ओर से कोई ठोस चिकित्सा प्रमाण या रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे यह साबित हो सके कि बीमारी का सेना सेवा से कोई संबंध नहीं था। इसलिए, अदालत ने निष्कर्ष दिया कि इस बीमारी को सैन्य सेवा से जुड़ा हुआ माना जाएगा।