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किसने की हरदीप निज्जर की हत्या: जस्टिन त्रूदो के आरोप के बाद भारत ने मांगे सबूत, कनाडा मुश्किल में क्योंकि...

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Sat, 23 Sep 2023 12:28 PM IST
सार

कनाडा के सूत्रों के मुताबिक कनाडा पुलिस ने निज्जर को आगाह भी किया था कि उसकी हत्या को लेकर डार्क वेब पर कोडिंग की गई है। अपनी हत्या की आशंका हरदीप निज्जर ने गुरुद्वारा की संगत को संबोधित करते हुए व्यक्त भी की थी।

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Row between India and Canada over murder of terrorist Hardeep Singh Nijjar
खालिस्तान समर्थक हरदीप निज्जर - फोटो : twitter
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विस्तार
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कनाडा के सरी में गुरु नानक गुरुद्वारा के प्रधान और भारत में घोषित आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की जून में हत्या की गई थी। अब इस मामले में कनाडा के पीएम जस्टिम ट्रूडो के आरोपों पर दोनों देशों के बीच विवाद गहरा गया है। ट्रूडो ने भारतीय खुफिया एजेंसियों पर निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था। इसके बाद भारत ने आरोपों के सबूत मांगे थे। हालांकि कनाडा के लिए ये आसान नहीं होगा।  
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शार्प शूटर का हुआ था इस्तेमाल
निज्जर की हत्या के लिए शार्प शूटरों का इस्तेमाल किया गया था। हत्या के लिए वैसे ही शूटर थे, जैसे परमजीत सिंह पंजवड़ व हरमीत सिंह पीएचडी के लिए पाकिस्तान में इस्तेमाल हुए थे। ऐसे ही शूटरों का इस्तेमाल कनिष्क विमान विस्फोट के आरोपी रिपुदमन सिंह की हत्या के लिए भी इस्तेमाल किया गया था। 
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डार्क वेब से दी गई थी सुपारी

कनाडा की आरसीएमपी इस बात को लेकर जांच कर रही है कि निज्जर की हत्या कांट्रेक्ट किलिंग के जरिए की गई है और इसके लिए डार्क वेब का इस्तेमाल किया गया। कनाडा के सूत्रों के मुताबिक कनाडा पुलिस ने निज्जर को आगाह भी किया था कि उसकी हत्या को लेकर डार्क वेब पर कोडिंग की गई है। अपनी हत्या की आशंका हरदीप निज्जर ने गुरुद्वारा की संगत को संबोधित करते हुए व्यक्त भी की थी। अब कनाडा पुलिस के लिए डार्क वेब को डिकोड करना भी आसान नहीं है।

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क्या होता है डार्क वेब...
डार्क वेब इंटरनेट का वो हिस्सा है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कार्यों को अंजाम दिया जाता है। इंटरनेट का 96 फीसद हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है। हम इंटरनेट कंटेंट के केवल 4% हिस्से का इस्तेमाल करते हैं, जिसे सरफेस वेब कहा जाता है। डीप वेब पर मौजूद कंटेंट को एक्सेस करने के लिए पासवर्ड की जरूरत होती है जिसमें ई-मेल, नेट बैंकिंग आते हैं। डार्क वेब को खोलने के लिए टॉर ब्राउजर का इस्तेमाल किया जाता है।

डार्क वेब पर ड्रग्स, हथियार, पासवर्ड, चाइल्ड पॉर्न, सुपारी किलिंग आदि वे तमाम बातें होती हैं, जिन तक पहुंचना आसान नहीं होता है। दरअसल, डार्क वेब ओनियन राउटिंग टेक्नोलॉजी पर काम करता है। यह यूजर्स को ट्रैकिंग और सर्विलांस से बचाता है और उनकी गोपनीयता बरकरार रखने के लिए सैकड़ों जगह रूट और री-रूट करता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो डार्क वेब ढेर सारी आईपी एड्रेस से कनेक्ट और डिस्कनेक्ट होता है, जिससे इसको ट्रैक कर पाना असंभव हो जाता है। यूजर की इन्फॉर्मेशन इंक्रिप्टेड होती है, जिसे डिकोड करना नाममुकिन है। डार्क वेब पर डील करने के लिए वर्चुअल करेंसी जैसे बिटकॉइन का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा इसलिए होता है, ताकि ट्रांजेक्शन को ट्रेस न किया जा सके।

मंजिल तक पहुंचना नामुमकिन
कनाडा के वरिष्ठ लेखक व पत्रकार गुरप्रीत सिंह कहते हैं कि हत्या की कड़ी डार्क वेब की तरफ है, जहां पर निज्जर की सुपारी दी गई थी। आरसीएमपी की जांच भी डार्क वेब पर चल रही है लेकिन इसकी मंजिल तक पहुंचना नामुमकिन है।  
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