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मुर्मू के साथ अकाली दल: सुखबीर बादल का एलान, कहा- सिखों पर अत्याचारों के कारण कांग्रेस के साथ कभी नहीं जाएंगे

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: ajay kumar Updated Fri, 01 Jul 2022 05:39 PM IST
सार

चंडीगढ़ में शुक्रवार को शिअद कोर कमेटी की बैठक हुई। बैठक के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि हमने एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का फैसला किया है।

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Shiromani Akali Dal to support NDA presidential candidate Droupadi Murmu
द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेगा शिरोमणि अकाली दल। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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शिरोमणी अकाली दल (शिअद) ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का फैसला किया है। पार्टी का मानना है कि ‘ वह अल्पसंख्यकों, शोषित और पिछड़े वर्गों के साथ-साथ महिलाओं की प्रतीक हैं और देश में गरीब व आदिवासी वर्गों के प्रतीक के रूप में उभरी हैं।' यही वजह है कि पार्टी राष्ट्रपति चुनाव में उनका समर्थन करेगी। सिख समुदाय पर अत्याचारों के कारण हम कांग्रेस के साथ कभी नहीं जाएंगे।

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अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी के नेता बलविंदर सिंह भूंदड़, प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा और चरणजीत सिंह अटवाल के साथ यूटी गेस्ट हाउस में द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और उन्हें अकाली दल के समर्थन की पेशकश की। 
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पार्टी की कोर कमेटी ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया। सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि अकाली दल कभी ऐसे उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर सकता जिसे कांग्रेस पार्टी ने समर्थन दिया है, क्योंकि कांग्रेस ने न केवल श्री दरबार साहिब पर हमला किया बल्कि 1984 में सिखों के कत्लेआम की भी जिम्मेदार है।

उन्होंने कहा कि बढ़ते विभाजनकारी और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मौजूदा माहौल में भाजपा के साथ हमारा गंभीर विरोध है। विशेष रूप से एनडीए सरकार के तहत अल्पसंख्यक समुदाय में असुरक्षा बरकरार है। अकाली दल फिर भी मुर्मू का समर्थन करता है क्योंकि वह न केवल महिलाओं की गरिमा का प्रतीक हैं बल्कि आदिवासी वर्ग से भी संबंधित हैं।

उन्होंने कहा कि कोर कमेटी की पार्टी मुख्यालय में तीन घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा के अंत में प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक के बाद अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि पार्टी मानवाधिकारों को विशेष रूप से धार्मिक सहिष्णुता और अभिव्यक्ति की आजादी जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खतरे से भी चिंतित है, जैसा कि सिखों के खिलाफ और पंजाब के साथ अन्याय को उजागर करने वाली सामग्री पर प्रतिबंध लगाने में देखा गया है। पार्टी अपने मूल पंजाबी समर्थक, अल्पसंख्यक समर्थक, किसानों की हितैषी और गरीबों के हितैषी एजेंडे से कभी नहीं हटेगी।
 

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