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Punjab: कनाडा में पीआर लेने के लिए बेहद काम आएगा हुनर, प्लंबर-हैवी ड्राइविंग जैसे क्षेत्रों में ज्यादा मौके
कंवरपाल, संवाद न्यूज एजेंसी, हलवारा/लुधियाना (पंजाब)
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Tue, 09 Jan 2024 03:47 PM IST
सार
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर भारतीय विद्यार्थी ऐसे किसी भी काम में महारत हासिल कर कनाडा आएं तो उन्हें काम भी ज्यादा मिलेगा और पीआर भी आसानी से मिलेगी। आईटी और हेल्थ केयर सेक्टर में अच्छी नौकरियां मिलती हैं।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : Social Media
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विस्तार
भारत से बिगड़ते रिश्तों के बीच कनाडा सरकार द्वारा जीआईसी की रकम में दोगुना बढ़ोतरी और पीआर के लिए जरूरी सीआरएस स्कोर उच्चतम करने से भारतीय छात्रों में बेचैनी का माहौल है।
कनाडा सरकार के इन सख्त फैसलों से घबराए विद्यार्थियों ने पीआर के लिए हाथ पांव मारने शुरू कर दिए हैं। हालांकि कनाडा सरकार ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। एक तरफ ये भारत सरकार के साथ कड़वाहट का जवाब माना जा रहा है, वहीं, जिन बेहद ठंडे और बेआबाद राज्यों में कनाडा सरकार आबादी बढ़ाना चाहती है उस टारगेट को पूरा करने की तरफ यह सख्त लेकिन असरदार कदम माने जा रहे हैं।
पीआर के लिए पीजीडब्ल्यूपी (पोस्ट ग्रेजुएट वर्क परमिट) धारक भारतीय अब ओंटारियो और ब्रिटिश कोलंबिया प्रमुख प्रोविंस से दूर मैनिटोबा, सस्केचवान, प्रिंस एडवर्ड, न्यू ब्रुंस्विक, न्यू फाउंडलैंड एंड लैब्राडोर, अल्बर्टा और नोवा स्कोशिया बेहद ठंडे और कम आबादी वाले इलाकों की तरफ जाने को विवश हो गए हैं।
कनाडा की इन प्रोविंस में पीआर पाना आसान है लेकिन ठंड के चलते जीवन बहुत कठिन माना जाता है। सख्ती के बावजूद जो भारतीय छात्र पढ़ाई पूरी होने के बाद भी ओंटारियो और ब्रिटिश कोलंबिया जैसी चमक धमक वाली प्रोविंस में ही रहना चाहते हैं वे एक्सप्रेस एंट्री सिस्टम के तहत पीआर के लिए जरूरी सीआरएस स्कोर तक पहुंचने को फ्रेंच भाषा भी सीख रहे हैं।
कनाडा सरकार फ्रेंच भाषा के ज्ञाता लोगों के लिए कम अंकों के ड्रा निकालती रहती है जिससे पीआर पाने में आसानी होती है। इमीग्रेशन कानून के माहिर और समाजसेवी सतवंत सिंह तलवंडी कनाडा ने भारतीय स्टूडेंटस को सलाह दी है कि किसी न किसी काम का हुनर और महारत हासिल करके ही आएं ताकि पढ़ाई पूरी करने के बाद आसानी से पीआर ले सकें।
उन्होंने कहा कि खाड़ी देशों की तरह कनाडा में भी प्लंबर, इलेक्ट्रिशन, बारबर, मेसन, हैवी ड्राइवर, ऑपरेटर और छोटी बड़ी गाड़ियों के मैकेनिक के लिए नौकरियों की भरमार है।
इसके अलावा कई ऐसे काम है जिनमें हुनरमंद लोगों की कनाडा को जरूरत है। कनाडा सरकार का मकसद कम आबादी वाले ठंडे इलाकों को आबाद करना है। लेकिन भारत से कनाडा आने वाले 90 प्रतिशत स्टूडेंट बिजनेस, एयरलाइन की पढ़ाई और हॉस्पिटैलिटी जैसे आसान कोर्स करने आते हैं | उनका मकसद सिर्फ कनाडा पहुंचना होता है।
अधिकतर स्टूडेंट कनाडा पहुंचते ही डॉलर कमाने के लिए रेस्टॉरेंट में वेटर और वेयरहाउस आदि में सिक्योरिटी गार्ड का काम करने लगते हैं | इसके अलावा केएफसी मैक्डोनाल्ड आदि चेन्स में नॉक थ्री की नौकरी में लग जाते हैं | ऐसे स्टूडेंटस को पीआर के लिए भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
पीआर होने के लिए नॉक टू और नॉक वन श्रेणी की नौकरी अच्छी मानी जाती है | ऐसे में पीआर के लिए उन्हें एलएमआईए या जॉब ऑफर पर लाखों रुपये अलग से खर्च करने पड़ते हैं। कई को तो दो से तीन साल लगातार एलएमआईए लेनी पड़ती है।
सतवंत सिंह तलवंडी ने बताया कि ओंटारियो और ब्रिटिश कोलंबिया आदि के देहात इलाकों में भी पीआर मिल सकती हैं लेकिन भारतीय स्टूडेंट घनी आबादी वाले चुनिंदा बडे़ शहरों में डेरा डाले बैठे रहते हैं| उन्होंने बताया कि ओंटारियो और ब्रिटिश कोलंबिया के मुकाबले कनाडा के राज्य प्रिंस एडवर्ड आइलैंड में पीइआई पीएनपी प्रोग्राम, सस्केचवान के इंटरनेशनल स्किल्ड वर्कर प्रोग्राम, अल्बर्टा में एक्सप्रेस एंट्री सिस्टम, नोवा स्कोशिया के लेबर मार्किट प्रिऑरिटीज स्ट्रीम आदि में पीआर पाना बेहद आसान है।
कनाडा सरकार का मकसद कम आबादी वाले बेहद ठंडे इलाकों को आबाद करना है। कनाडा में कई ऐसे इलाके हैं जहां सरकार आसानी से पीआर देने के साथ घर और कारोबार खड़ा करने के लिए बहुत कम कीमत या फिर बिलकुल मुफ्त जमीन देती है।
मैनिटोबा प्रोविंस में भी पीआर पाना आसान है। सतवंत सिंह तलवंडी ने बताया कि कनाडा सरकार कभी भी स्टूडेंटस को वीजा देते समय पीआर का वादा नहीं करती। मौजूदा लिबरल पार्टी की ट्रूडो सरकार इमिग्रेंट्स के प्रति नरम रवैया रखती है। सरकार विभिन्न कार्यक्रम के तहत हर साल लाखों लोगों को पीआर या फिर रेफ्यूजी स्टे देकर कनाडा में पक्के तौर पर रहने की इजाजत देती है।
स्टूडेंटस को पीआर होने के लिए सीआरएस स्कोर तक पहुंचना पड़ता है जो आजकल काफी हाई नंबर पर चल रहा है और इसके कम होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही। कनाडा सरकार द्वारा एक्सप्रेस एंट्री सिस्टम के तहत पिछले दो ड्रा 561 और 542 स्कोर तक के निकाले गए हैं।
कनाडा में भारत के अलावा चीन के स्टूडेंट सबसे अधिक गिनती में पीआर के लिए आवेदन करते हैं | इसके अलावा युद्ध झेल रहे अफगानिस्तान सीरिया यूक्रेन जैसे देशों के नागरिक लाखों की गिनती में हर साल रेफ्यूजी स्टे के आधार पर कनाडा की पीआर अप्लाई करते हैं, जिसके चलते कनाडा का वार्षिक पीआर कोटा स्टूडेंटस रेफ्यूजी और अन्य कैटेगरी में पूरा हो जाता है। बहुतायत में स्टूडेंटस पीआर के अगले वर्ष आने वाले कोटा के इंतजार में तड़पते रहते हैं।
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कनाडा सरकार के इन सख्त फैसलों से घबराए विद्यार्थियों ने पीआर के लिए हाथ पांव मारने शुरू कर दिए हैं। हालांकि कनाडा सरकार ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। एक तरफ ये भारत सरकार के साथ कड़वाहट का जवाब माना जा रहा है, वहीं, जिन बेहद ठंडे और बेआबाद राज्यों में कनाडा सरकार आबादी बढ़ाना चाहती है उस टारगेट को पूरा करने की तरफ यह सख्त लेकिन असरदार कदम माने जा रहे हैं।
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पीआर के लिए पीजीडब्ल्यूपी (पोस्ट ग्रेजुएट वर्क परमिट) धारक भारतीय अब ओंटारियो और ब्रिटिश कोलंबिया प्रमुख प्रोविंस से दूर मैनिटोबा, सस्केचवान, प्रिंस एडवर्ड, न्यू ब्रुंस्विक, न्यू फाउंडलैंड एंड लैब्राडोर, अल्बर्टा और नोवा स्कोशिया बेहद ठंडे और कम आबादी वाले इलाकों की तरफ जाने को विवश हो गए हैं।
कनाडा की इन प्रोविंस में पीआर पाना आसान है लेकिन ठंड के चलते जीवन बहुत कठिन माना जाता है। सख्ती के बावजूद जो भारतीय छात्र पढ़ाई पूरी होने के बाद भी ओंटारियो और ब्रिटिश कोलंबिया जैसी चमक धमक वाली प्रोविंस में ही रहना चाहते हैं वे एक्सप्रेस एंट्री सिस्टम के तहत पीआर के लिए जरूरी सीआरएस स्कोर तक पहुंचने को फ्रेंच भाषा भी सीख रहे हैं।
कनाडा सरकार फ्रेंच भाषा के ज्ञाता लोगों के लिए कम अंकों के ड्रा निकालती रहती है जिससे पीआर पाने में आसानी होती है। इमीग्रेशन कानून के माहिर और समाजसेवी सतवंत सिंह तलवंडी कनाडा ने भारतीय स्टूडेंटस को सलाह दी है कि किसी न किसी काम का हुनर और महारत हासिल करके ही आएं ताकि पढ़ाई पूरी करने के बाद आसानी से पीआर ले सकें।
उन्होंने कहा कि खाड़ी देशों की तरह कनाडा में भी प्लंबर, इलेक्ट्रिशन, बारबर, मेसन, हैवी ड्राइवर, ऑपरेटर और छोटी बड़ी गाड़ियों के मैकेनिक के लिए नौकरियों की भरमार है।
इसके अलावा कई ऐसे काम है जिनमें हुनरमंद लोगों की कनाडा को जरूरत है। कनाडा सरकार का मकसद कम आबादी वाले ठंडे इलाकों को आबाद करना है। लेकिन भारत से कनाडा आने वाले 90 प्रतिशत स्टूडेंट बिजनेस, एयरलाइन की पढ़ाई और हॉस्पिटैलिटी जैसे आसान कोर्स करने आते हैं | उनका मकसद सिर्फ कनाडा पहुंचना होता है।
अधिकतर स्टूडेंट कनाडा पहुंचते ही डॉलर कमाने के लिए रेस्टॉरेंट में वेटर और वेयरहाउस आदि में सिक्योरिटी गार्ड का काम करने लगते हैं | इसके अलावा केएफसी मैक्डोनाल्ड आदि चेन्स में नॉक थ्री की नौकरी में लग जाते हैं | ऐसे स्टूडेंटस को पीआर के लिए भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
पीआर होने के लिए नॉक टू और नॉक वन श्रेणी की नौकरी अच्छी मानी जाती है | ऐसे में पीआर के लिए उन्हें एलएमआईए या जॉब ऑफर पर लाखों रुपये अलग से खर्च करने पड़ते हैं। कई को तो दो से तीन साल लगातार एलएमआईए लेनी पड़ती है।
सतवंत सिंह तलवंडी ने बताया कि ओंटारियो और ब्रिटिश कोलंबिया आदि के देहात इलाकों में भी पीआर मिल सकती हैं लेकिन भारतीय स्टूडेंट घनी आबादी वाले चुनिंदा बडे़ शहरों में डेरा डाले बैठे रहते हैं| उन्होंने बताया कि ओंटारियो और ब्रिटिश कोलंबिया के मुकाबले कनाडा के राज्य प्रिंस एडवर्ड आइलैंड में पीइआई पीएनपी प्रोग्राम, सस्केचवान के इंटरनेशनल स्किल्ड वर्कर प्रोग्राम, अल्बर्टा में एक्सप्रेस एंट्री सिस्टम, नोवा स्कोशिया के लेबर मार्किट प्रिऑरिटीज स्ट्रीम आदि में पीआर पाना बेहद आसान है।
कनाडा सरकार का मकसद कम आबादी वाले बेहद ठंडे इलाकों को आबाद करना है। कनाडा में कई ऐसे इलाके हैं जहां सरकार आसानी से पीआर देने के साथ घर और कारोबार खड़ा करने के लिए बहुत कम कीमत या फिर बिलकुल मुफ्त जमीन देती है।
मैनिटोबा प्रोविंस में भी पीआर पाना आसान है। सतवंत सिंह तलवंडी ने बताया कि कनाडा सरकार कभी भी स्टूडेंटस को वीजा देते समय पीआर का वादा नहीं करती। मौजूदा लिबरल पार्टी की ट्रूडो सरकार इमिग्रेंट्स के प्रति नरम रवैया रखती है। सरकार विभिन्न कार्यक्रम के तहत हर साल लाखों लोगों को पीआर या फिर रेफ्यूजी स्टे देकर कनाडा में पक्के तौर पर रहने की इजाजत देती है।
स्टूडेंटस को पीआर होने के लिए सीआरएस स्कोर तक पहुंचना पड़ता है जो आजकल काफी हाई नंबर पर चल रहा है और इसके कम होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही। कनाडा सरकार द्वारा एक्सप्रेस एंट्री सिस्टम के तहत पिछले दो ड्रा 561 और 542 स्कोर तक के निकाले गए हैं।
कनाडा में भारत के अलावा चीन के स्टूडेंट सबसे अधिक गिनती में पीआर के लिए आवेदन करते हैं | इसके अलावा युद्ध झेल रहे अफगानिस्तान सीरिया यूक्रेन जैसे देशों के नागरिक लाखों की गिनती में हर साल रेफ्यूजी स्टे के आधार पर कनाडा की पीआर अप्लाई करते हैं, जिसके चलते कनाडा का वार्षिक पीआर कोटा स्टूडेंटस रेफ्यूजी और अन्य कैटेगरी में पूरा हो जाता है। बहुतायत में स्टूडेंटस पीआर के अगले वर्ष आने वाले कोटा के इंतजार में तड़पते रहते हैं।