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Chhattisgarh News: रेडियोलॉजी में एआई से बदलेगा इलाज का स्वरूप, दूरस्थ इलाकों के मरीजों को मिलेगा सीधा लाभ
अमर उजाला नेटवर्क, रायपुर
Published by: अमन कोशले
Updated Sun, 14 Dec 2025 12:55 PM IST
सार
रायपुर स्थित पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय में इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन (IRIA) छत्तीसगढ़ चैप्टर द्वारा आयोजित आईरा सीजीकॉन 2025 (IRIA-CGCON-2025) के 15वें वार्षिक राज्यस्तरीय सम्मेलन का शुभारंभ किया गया।
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आईरा सीजीकॉन 2025 के 15वें वार्षिक राज्यस्तरीय कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
रायपुर स्थित पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय में इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन (IRIA) छत्तीसगढ़ चैप्टर द्वारा आयोजित आईरा सीजीकॉन 2025 (IRIA-CGCON-2025) के 15वें वार्षिक राज्यस्तरीय सम्मेलन का शुभारंभ किया गया। दो दिवसीय इस सम्मेलन का आयोजन चिकित्सा महाविद्यालय के स्व. अटल बिहारी वाजपेई सभागार में किया जा रहा है, जिसमें देशभर से 150 से अधिक रेडियोलॉजिस्ट भाग ले रहे हैं।
सम्मेलन का उद्घाटन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि रेडियोलॉजी और इमेजिंग विज्ञान के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा बदलाव ला सकता है। विशेष रूप से दूरस्थ और संसाधनविहीन क्षेत्रों में एआई आधारित तकनीक मरीजों के लिए वरदान साबित होगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एआई आधारित इमेजिंग से जांच की गुणवत्ता में सुधार होगा, रिपोर्टिंग की प्रक्रिया तेज होगी और विशेषज्ञ रेडियोलॉजिस्टों की कमी से जूझ रहे इलाकों में भी सटीक निदान संभव हो सकेगा। इससे मरीजों को इलाज के लिए बड़े शहरों का रुख करने की जरूरत कम पड़ेगी और समय पर उपचार मिल सकेगा।
उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित रेडियोलॉजिस्टों और विशेषज्ञों से आह्वान किया कि वे तकनीकी नवाचारों को अपनाते हुए एआई को स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ें, ताकि छत्तीसगढ़ के दूर-दराज क्षेत्रों में रहने वाले मरीजों तक भी अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं पहुंच सकें। मंत्री के विचारों को सम्मेलन में मौजूद विशेषज्ञों और प्रतिभागियों ने सराहा और रेडियोलॉजी में एआई के व्यापक उपयोग पर गहन चर्चा की आवश्यकता जताई।
इस अवसर पर आयोजन समिति के पेट्रन एवं मेडिकल कॉलेज के डीन विवेक चौधरी, अंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक संतोष सोनकर, आयोजन अध्यक्ष आनंद जायसवाल, उपाध्यक्ष विवेक पात्रे, आईआरआईए के पूर्व अध्यक्ष ए. ए. उस्मान, सचिव विकास भोजसिया सहित कई वरिष्ठ चिकित्सक और विशेषज्ञ उपस्थित रहे।
सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रख्यात वक्ताओं—सी. कृष्णा, वर्षा जोशी, प्रशांत ओंकार, नितिन सहित अन्य फैकल्टी सदस्यों ने भी अपने विचार साझा किए। सम्मेलन की थीम “रेडियोलॉजी एवं इमेजिंग विज्ञान में ज्ञान और सहयोग की नई दिशा” रखी गई है, जिसके तहत नवीन तकनीकों और शोध पर विस्तृत मंथन किया जा रहा है।
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सम्मेलन का उद्घाटन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि रेडियोलॉजी और इमेजिंग विज्ञान के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा बदलाव ला सकता है। विशेष रूप से दूरस्थ और संसाधनविहीन क्षेत्रों में एआई आधारित तकनीक मरीजों के लिए वरदान साबित होगी।
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स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एआई आधारित इमेजिंग से जांच की गुणवत्ता में सुधार होगा, रिपोर्टिंग की प्रक्रिया तेज होगी और विशेषज्ञ रेडियोलॉजिस्टों की कमी से जूझ रहे इलाकों में भी सटीक निदान संभव हो सकेगा। इससे मरीजों को इलाज के लिए बड़े शहरों का रुख करने की जरूरत कम पड़ेगी और समय पर उपचार मिल सकेगा।
उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित रेडियोलॉजिस्टों और विशेषज्ञों से आह्वान किया कि वे तकनीकी नवाचारों को अपनाते हुए एआई को स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ें, ताकि छत्तीसगढ़ के दूर-दराज क्षेत्रों में रहने वाले मरीजों तक भी अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं पहुंच सकें। मंत्री के विचारों को सम्मेलन में मौजूद विशेषज्ञों और प्रतिभागियों ने सराहा और रेडियोलॉजी में एआई के व्यापक उपयोग पर गहन चर्चा की आवश्यकता जताई।
इस अवसर पर आयोजन समिति के पेट्रन एवं मेडिकल कॉलेज के डीन विवेक चौधरी, अंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक संतोष सोनकर, आयोजन अध्यक्ष आनंद जायसवाल, उपाध्यक्ष विवेक पात्रे, आईआरआईए के पूर्व अध्यक्ष ए. ए. उस्मान, सचिव विकास भोजसिया सहित कई वरिष्ठ चिकित्सक और विशेषज्ञ उपस्थित रहे।
सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रख्यात वक्ताओं—सी. कृष्णा, वर्षा जोशी, प्रशांत ओंकार, नितिन सहित अन्य फैकल्टी सदस्यों ने भी अपने विचार साझा किए। सम्मेलन की थीम “रेडियोलॉजी एवं इमेजिंग विज्ञान में ज्ञान और सहयोग की नई दिशा” रखी गई है, जिसके तहत नवीन तकनीकों और शोध पर विस्तृत मंथन किया जा रहा है।