{"_id":"68146c6e5b37c41216013712","slug":"akti-festival-was-celebrated-with-great-enthusiasm-in-korba-2025-05-02","type":"story","status":"publish","title_hn":"CG: कोरबा में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया अक्ती तिहार, ठाकुर देव की पूजा के साथ सुख-समृद्धि की कामना","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
CG: कोरबा में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया अक्ती तिहार, ठाकुर देव की पूजा के साथ सुख-समृद्धि की कामना
अमर उजाला नेटवर्क, कोरबा
Published by: श्याम जी.
Updated Fri, 02 May 2025 12:45 PM IST
विज्ञापन
सार
कोरबा जिले के ग्राम बोईदा में अक्ती तिहार उत्साहपूर्वक मनाया गया। ग्रामीणों ने ठाकुर देव की पूजा और अक्ती बियासी रस्म के साथ अच्छी फसल व समृद्धि की कामना की।

अक्ती तिहार
- फोटो : अमर उजाला

Trending Videos
विस्तार
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के पाली ब्लॉक स्थित ग्राम बोईदा में अक्ती तिहार का पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर ग्रामीणों ने ठाकुर देव और अन्य ग्राम देवी-देवताओं की विधिवत पूजा-अर्चना कर अच्छी फसल, सुख-शांति और समृद्धि की कामना की।
विज्ञापन
Trending Videos
अक्ती तिहार के एक दिन बाद सभी ग्रामीण एकजुट होकर ठाकुर देव की पूजा करते हैं। बैगा उदय सिंह मरावी और बलदेव जगत के नेतृत्व में हर साल ग्रामीणों के सहयोग से ठाकुर देव को चल्होत्तरी (अनाज आदि) चढ़ाकर पूजा की जाती है। इस दौरान बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों ने मिलकर खेतों में बीज बोने की प्रतीकात्मक रस्म 'अक्ती बियासी' भी निभाई, जो वर्षा ऋतु की शुरुआत और कृषि जीवन से गहरे जुड़ाव का प्रतीक है।
विज्ञापन
विज्ञापन
ग्रामीणों का कहना है कि यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था, बल्कि गांव की एकता, परंपरा और सामूहिकता का भी प्रतीक है। पूजा के बाद प्रसाद वितरण किया गया। सुबह से ही गांव में उत्साह का माहौल था, जहां ग्रामीण परंपरागत विधि से ठाकुर देव स्थल पर एकत्रित हुए। बैगा और बुजुर्गों द्वारा विधि-विधान से पूजा संपन्न कराई गई, जिसमें युवाओं और बच्चों की सक्रिय भागीदारी रही।
बैगा उदय सिंह मरावी ने बताया कि इस गांव की अपनी अनूठी रीति-रिवाज है। भुखमरी, बीमारी या किसी भी परेशानी से बचाव और गांव में सुख-समृद्धि के लिए यह विशेष पूजा की जाती है, जिसमें सभी ग्रामीणों का सहयोग होता है। बैगा बलदेव जगत ने कहा कि अक्ती तिहार की अपनी विशिष्ट परंपरा है। इसके लिए गांव में पहले से तैयारी की जाती है और सभी ग्रामीण एकजुट होकर इस विशेष पूजा-अनुष्ठान में शामिल होते हैं। यह पर्व गांव की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को और मजबूत करता है। साथ ही ग्रामीण जीवन की परंपराओं को जीवंत रखता है।