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भाटापारा: आधी रात को पकड़ी गई रेत से भरी गाड़ियां, फोन कॉल के बाद छोड़े जाने पर उठे सवाल

अमर उजाला नेटवर्क, भाटापारा Published by: Digvijay Singh Updated Mon, 02 Jun 2025 08:10 PM IST
सार

भाटापारा में बीती रात एक जून और दो जून की मध्य रात्रि करीब दो बजे ग्रामिण थाना क्षेत्र में पुलिस द्वारा रेत से भरे पांच हाईवा वाहनों को रोका गया।

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Vehicles loaded with sand were caught at midnight questions raised on their release after a phone call in Bha
आधी रात को पकड़ी गई रेत से भरी गाड़ियां - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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भाटापारा में बीती रात एक जून और दो जून की मध्य रात्रि करीब दो बजे ग्रामिण थाना क्षेत्र में पुलिस द्वारा रेत से भरे पांच हाईवा वाहनों को रोका गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, पुलिस ने सभी वाहनों के नंबर नोट किए और चालकों से पूछताछ की। इसी दौरान वाहन मालिक और मुंशी ने चालकों के मोबाइल फोन पर पुलिस कर्मियों से बात कराई। फोन बातचीत के कुछ देर बाद सभी वाहनों को मौके से छोड़ दिया गया।

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सूत्रों के अनुसार, इनमें से कुछ वाहनों के पास रॉयल्टी की पर्ची नहीं थी, जो खनिज परिवहन के लिए अनिवार्य होती है। इस पूरी घटना ने प्रशासनिक प्रक्रिया और निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब इस घटना के बारे में 2 जून की सुबह भाटापारा एसडीओपी तारेश साहू से बातचीत की गई, तो उन्होंने कहा कि वह मामले की जानकारी ले रहे हैं। कुछ देर बाद उन्होंने व्हाट्सएप के माध्यम से एक खनिज परिवहन पास की फोटो भेजी, जिसमें खनिज रियायत धारक श्री पंकज कुमार चंद्राकर का नाम दर्ज है। यह पास 15 घन मीटर रेत के परिवहन के लिए था, वाहन नंबर CG 22 Y 7790 के नाम पर जारी किया गया था, जिसका गंतव्य अंबुजा सीमेंट प्लांट बताया गया।
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हालांकि, पूरे प्रकरण में प्रशासन के दो अधिकारियों के बयानों में विरोधाभास देखने को मिला। बलौदा बाजार-भाटापारा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हेमसागर सिदार ने बताया कि रात में सूचना मिली थी कि रेत से भरी कोई गाड़ी एक कार को अर्जुनी क्षेत्र में टक्कर मारकर भाग रही थी। इस वजह से भाटापारा क्षेत्र में सभी वाहनों की पूछताछ की जा रही थी। जब अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक से यह पूछा गया कि सूत्रों के अनुसार बिना रॉयल्टी वाले वाहनों को सिर्फ फोन आने पर क्यों छोड़ दिया गया, तो उन्होंने कहा कि वे मामले की जांच कराएंगे।

प्रमुख सवाल जो उठते हैं:
क्या वाकई सभी वाहनों के पास वैध रॉयल्टी पर्चियां थीं?
यदि नहीं, तो सिर्फ फोन पर बात करने के बाद वाहन कैसे छोड़े गए?
पुलिस व प्रशासन के दो वरिष्ठ अधिकारियों के बयानों में फर्क क्यों है?

इस पूरी घटना ने खनिज परिवहन में संभावित अनियमितताओं और प्रशासनिक पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि वास्तव में बिना वैध दस्तावेजों के रेत से भरे वाहनों को छोड़ दिया गया, तो यह एक बड़ी चूक मानी जाएगी जिसकी निष्पक्ष जांच अत्यंत आवश्यक है।

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