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बीजापुर: 12 साल से फाइलों में कैद बीजापुर बायपास, बढ़ता ट्रैफिक–दुर्घटनाएं और शासन की चुप्पी, बेहाल हुआ शहर

अमर उजाला नेटवर्क, बीजापुर Published by: Digvijay Singh Updated Wed, 17 Dec 2025 01:12 PM IST
सार

बीजापुर नगर की सबसे बड़ी और बहुप्रतीक्षित जरूरत बन चुकी बायपास सड़क आज भी केवल कागज़ों और फाइलों तक सीमित है। बीते 12 वर्षों से बीजापुर बायपास सड़क का प्रस्ताव सरकारी दफ्तरों में धूल खा रहा है।

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Bijapur Bypass captured in files for 12 years increasing traffic accidents and silence of the government the c
12 साल से फाइलों में कैद बीजापुर बायपास - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बीजापुर नगर की सबसे बड़ी और बहुप्रतीक्षित जरूरत बन चुकी बायपास सड़क आज भी केवल कागज़ों और फाइलों तक सीमित है। बीते 12 वर्षों से बीजापुर बायपास सड़क का प्रस्ताव सरकारी दफ्तरों में धूल खा रहा है, जबकि शहर की सड़कों पर हर दिन बढ़ता यातायात, भारी वाहनों का दबाव और दुर्घटनाओं का खतरा आम नागरिकों की परेशानी को लगातार बढ़ा रहा है।वर्ष 2012-13 के अनुपूरक बजट में शामिल यह बायपास परियोजना आज तक जमीन पर उतर नहीं सकी। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा द्वारा बायपास का शिलान्यास किया गया था। इसके बाद कांग्रेस सरकार के पाँच वर्ष और वर्तमान भाजपा सरकार के दो वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन निर्माण कार्य आज भी शुरू नहीं हो पाया।

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बाजार और मुख्य सड़कों पर ट्रकों का कब्जा
बायपास के अभाव में भारी मालवाहक वाहन सीधे शहर के मुख्य बाजार और रिहायशी इलाकों से होकर गुजरते हैं। इससे रोजाना जाम की स्थिति बनती है, व्यापार प्रभावित होता है और दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और दोपहिया चालकों के लिए यह मार्ग लगातार जोखिम भरा होता जा रहा है।
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47.66 करोड़ की योजना, फिर भी अधर में
प्रस्तावित बायपास बीजापुर बस स्टैंड से तुमनार होते हुए लगभग 10 किलोमीटर लंबा है, जिसकी स्वीकृत लागत 47.66 करोड़ रुपए बताई गई है।इस परियोजना के लिए कुल 19.095 हेक्टेयर राजस्व व निजी भूमि शामिल है। 44 निजी भूमिस्वामियों को जमीन के बदले जमीन और मुआवजा भी दिया जा चुका है, इसके बावजूद निर्माण शुरू नहीं हो सका। मुख्य अड़चन वन भूमि बनी हुई है। बायपास मार्ग में 19.503 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड आ रही है, जिसके बदले दूसरी जगह भूमि उपलब्ध करानी थी। तत्कालीन कलेक्टर द्वारा जांजगीर-चांपा में भूमि देने का प्रस्ताव भी रखा गया, लेकिन वह भी ठंडे बस्ते में चला गया।इसके बाद भोपालपट्टनम क्षेत्र के तारुड़ बीट, भद्राकाली पीएफ 876 (कुल रकबा 271.155 हेक्टेयर) में से 40 हेक्टेयर भूमि चयनित कर 10 सितंबर 2025 को संयुक्त डीजीएस सर्वे किया गया। सर्वे के बाद वन विभाग को अवगत कराया गया, लेकिन पीएफ वन क्षेत्र होने के कारण वन व्यपर्वतन की अनुमति निरस्त कर दी गई। इसी कारण यह योजना पिछले 12 वर्षों से पीडब्ल्यूडी विभाग में अटकी हुई है।

यह सिर्फ सड़क नहीं, शहर की जरूरत है
बीजापुर के व्यापारी, समाजसेवी और आम नागरिक अब इस मुद्दे पर एकजुट होते दिख रहे हैं। उनका कहना है कि बायपास केवल एक विकास परियोजना नहीं, बल्कि शहर की सुरक्षा, सुव्यवस्थित यातायात और व्यापारिक भविष्य से जुड़ा सवाल है।ईश्वर सोनी, अध्यक्ष व्यापारी संघ, बीजापुर भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारों के समय हमने निवेदन किया। जमीन भी दिखाई गई, कुछ लोगों को मुआवजा भी मिला, लेकिन पता नहीं क्यों इस योजना को गंभीरता से आगे नहीं बढ़ाया गया।पी. राकेश, व्यापारी बीजापुर में बायपास अब अनिवार्य हो गया है। भारी वाहनों की संख्या बढ़ चुकी है। खासकर स्कूली बच्चों के लिए रोज़ाना सड़क पार करना जोखिम भरा हो गया है। प्रेम बाफना, व्यापारी कुछ साल पहले इस योजना को लेकर हलचल थी, लेकिन अब सब शांत है। नगरवासियों की साफ मांग है बायपास बने, ताकि दुर्घटनाओं से निजात मिले। राजू गांधी, समाजसेवी बीजापुर अब पहले जैसा नहीं रहा। यह अंतरराज्यीय मार्ग है। नगरनार से लोहा लेकर रोज़ सैकड़ों वाहन गुजरते हैं। सड़कें इस दबाव को झेल नहीं पा रहीं। दिलु केला, व्यापारी भारी वाहन डिवाइडर और खंभे तोड़ते हुए निकल जाते हैं। इससे दुर्घटनाएं हो रही हैं। बायपास का काम तुरंत शुरू होना चाहिए। अशोक लुंकड़, व्यापारी हम वर्षों से बायपास की मांग कर रहे हैं। वाहनों का दबाव लगातार बढ़ रहा है, लेकिन शासन-प्रशासन का ध्यान अब तक इस ओर नहीं गया।


 
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