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बीजापुर वनमंडल में कूप कटाई: वन विभाग ने पीसी कर स्थिति स्पष्ट की, ग्रामीणों की आपत्तियों पर दिया जवाब

अमर उजाला नेटवर्क, बीजापुर Published by: अनुज कुमार Updated Wed, 17 Dec 2025 11:03 PM IST
सार

बीजापुर वनमंडल में कूप कटाई को लेकर ग्रामीणों के बीच उपजे असमंजस और आपत्तियों के बीच, वन विभाग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर पूरे मामले पर स्थिति स्पष्ट की है। विभाग ने जोर देकर कहा है कि कूप कटाई की प्रक्रिया पूरी तरह से शासन के प्रावधानों, पर्यावरणीय नियमों और ग्रामसभा की अनुमति के अनुरूप ही की जा रही है।

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Bijapur forest division held a press conference to clarify situation
वन विभाग की प्रेस कॉन्फ्रेंस - फोटो : अमर उजाला
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वनमंडल अंतर्गत कूप कटाई को लेकर हाल के दिनों में ग्रामीणों के बीच असमंजस और आपत्तियों की स्थिति बनी हुई थी। इसी संदर्भ में वन विभाग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे मामले पर स्थिति स्पष्ट की है। विभाग ने कहा है कि कूप कटाई पूरी तरह शासन के प्रावधानों पर्यावरणीय नियमों और ग्रामसभा की प्रक्रिया के अनुरूप ही की जा रही है। 

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वन विभाग के अनुसार बीजापुर वनमंडल में वर्ष 1992-93 तक कूप कटाई का कार्य किया गया था। जिसमें सीमित मात्रा में काष्ठ उत्पादन होता था। इसके बाद क्षेत्र को नक्सल प्रभावित घोषित किए जाने और सुरक्षा कारणों से कटाई कार्य लंबे समय तक बंद रहा। अब राज्य सरकार की नक्सल मुक्त ग्राम योजना के तहत बीजापुर वनमंडल के सुदूर वन क्षेत्रों में पुनः नियोजित और नियंत्रित कूप कटाई की अनुमति दी गई है। 
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विभाग ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा राज्य शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत कूप कटाई की जा रही है। इसके अंतर्गत केवल मृत, रोगग्रस्त, क्षतिग्रस्त और अत्यधिक घनत्व वाले वृक्षों की ही कटाई की जाएगी। 

इससे जंगलों का संतुलन बना रहेगा और नए पौधों के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में डीएफओ रामाकृष्णा ने बताया गया कि कूप कटाई से कुल 12,443 वृक्षों का विदोहन प्रस्तावित है, जिससे लगभग 4,057.707 घन मीटर काष्ठ उत्पादन होगा। इससे प्राप्त होने वाली राशि की आय में से 20 प्रतिशत राशि ग्राम वन प्रबंधन समिति के खाते में जमा की जाएगी। इस राशि का उपयोग गांव की मूलभूत सुविधाओं वन संरक्षण और विकास कार्यों पर समिति की सहमति से किया जाएगा। इस मौके पर डीएफओ आईटीआर संदीप बलगा भी मौजूद थे।

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