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ईडी का दावा: शराब घोटाले में सिंडिकेट के प्रमुख हैंडलर थे चैतन्य बघेल, एक हजार करोड़ रुपए किये थे मैनेज

अमर उजाला ब्यूरो, रायपुर Published by: ललित कुमार सिंह Updated Tue, 16 Sep 2025 04:16 PM IST
सार

Chhattisgarh Liquor Scam: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी अभियोजन शिकायत में आरोप लगाया है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल छत्तीसगढ़ में "शराब घोटाले" के सिंडिकेट के मुखिया थे।

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Liquor Scam in CG: ed blame on Bhupesh baghel son Chaitanya Baghel for liquor scam in Chhattisgarh
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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विस्तार
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Chhattisgarh Liquor Scam: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी अभियोजन शिकायत में आरोप लगाया है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल छत्तीसगढ़ में "शराब घोटाले" के सिंडिकेट के मुखिया थे। उन्होंने इससे करीब एक हजार करोड़ रुपये का प्रबंधन व्यक्तिगत रूप से किया था। ईडी ने कोर्ट में पेश चालान में चैतन्य को सिंडिकेट का प्रमुख हैंडलर बताया है।
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ईडी ने दावा किया है कि चैतन्य ने सिंडिकेट के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर जानबूझकर अपराध की आय को छिपाने, रखने और प्राप्त करने और उपयोग करने में मदद की। ईडी ने सोमवार को जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (चतुर्थ) दमरुधर चौहान की अदालत में दायर अपनी चौथी पूरक अभियोजन शिकायत (आरोप पत्र) में यह दावा किया।
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ईडी ने चैतन्य बघेल को 18 जुलाई को दुर्ग जिले के भिलाई शहर में उनके घर की तलाशी के बाद गिरफ्तार किया था, जो उनके पिता के साथ साझा है। कथित 2,500 करोड़ रुपये का शराब घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ था, जब राज्य में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में थी।

ये थे प्रमुख चेहरे
ईडी ने अब तक इस मामले में एक अभियोजन शिकायत और चार पूरक शिकायतें दर्ज की है और दावा किया है कि कथित घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब सिंडिकेट के लोगों की जेबें भरी गईं। ईडी ने रायपुर की एक विशेष अदालत में 7,039 पेजों की पूरक अभियोजन शिकायत (आरोप पत्र) दाखिल करते हुए कहा कि साल 2019 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के गठन के बाद एक संगठित शराब सिंडिकेट बनाया गया था। इस सिंडिकेट के संचालन के लिए तत्कालीन आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और शराब व्यवसायी अनवर ढेबर (दोनों को पिछली अभियोजन शिकायतों में आरोपी बनाया गया था) को प्रमुख चेहरे के रूप में चुना गया था। 

पप्पू एकत्र करता था रुपये
इस सिंडिकेट पर चैतन्य का राज था और उसकी भूमिका केवल प्रतीकात्मक ही नहीं, बल्कि प्रभावशाली और निर्णायक भी थी। वह सिंडिकेट के एकत्र किए गए सभी अवैध धन का 'हिसाब' (हिसाब) रखने के लिए जिम्मेदार थे। धन के संग्रह, चैनलाइज़ेशन और वितरण से संबंधित सभी बड़े फैसले उसके निर्देशों पर लिए जाते थे। मुख्यमंत्री के बेटे के रूप में उसकी स्थिति ने उसे सिंडिकेट का नियंत्रक और अंतिम अधिकारी बना दिया।  ईडी ने दावा किया कि चैतन्य "अपराध की आय" का प्राप्तकर्ता है, जिसे उसने अपनी रियल एस्टेट परियोजना में शामिल किया है और इस तरह विकसित की गई इन संपत्तियों को बेदाग संपत्ति के रूप में पेश और दावा कर रहा है। जांच से पहले ही पता चला है कि अपराध की आय का एक बड़ा हिस्सा लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू नामक व्यक्ति द्वारा एकत्र किया जा रहा था, जिसने ईडी के समक्ष अपने बयान में खुलासा किया है कि उसने चैतन्य के साथ मिलकर शराब घोटाले से उत्पन्न एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की अपराध की आय को संभाला था।

राम गोपाल अग्रवाल को पहुंचाई जाती थी रकम
ईडी ने आरोप लगाया कि उन्होंने (बंसल ने) स्पष्ट रूप से कहा है कि चैतन्य के निर्देश पर 2019 और 2022 के बीच राज्य कांग्रेस इकाई के तत्कालीन कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल और अन्य को बड़ी मात्रा में नकदी पहुँचाई गई। बंसल कथित तौर पर दीपेन चावड़ा के माध्यम से अनवर ढेबर से अपराध की यह रकम इकट्ठा करते थे और उसके बाद चैतन्य के साथ मिलकर अग्रवाल को यह रकम पहुँचाई जाती थी।

कोड वर्ड था 'कुछ सामान भेजेंगे'
ईडी ने शिकायत पत्र में आरोप लगाते हुए कहा कि "बंसल ने अपने बयान में खुलासा किया कि वह भूपेश बघेल को पिछले 25 साल से जानते हैं और दोनों के पारिवारिक संबंध हैं। वह नियमित रूप से रायपुर स्थित मुख्यमंत्री आवास जाते थे, उस समय चैतन्य के साथ। रायपुर स्थित मुख्यमंत्री आवास की ऐसी ही एक यात्रा के दौरान भूपेश बघेल ने उन्हें स्पष्ट रूप से बताया था कि अनवर ढेबर उन्हें कुछ 'सामान' भेजेंगे और उसे अग्रवाल को देना होगा। इसके बाद चैतन्य बघेल ढेबर से नकदी की कथित डिलीवरी से एक दिन पहले उसे सूचित करता था। उसने स्पष्ट किया कि 'सामान' शब्द नकदी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक कोड वर्ड है। अग्रवाल फिलहाल फरार है।

रियल एस्टेट में 28.90 करोड़ रुपए निवेश
ईडी ने आरोप लगाया कि "चैतन्य शराब सिंडिकेट का केंद्रीय व्यक्ति और नियंत्रक था जो इसके वित्त पर सीधा नियंत्रण रखता था। अवैध धन के प्रवाह की निगरानी करता था और अपराध की आय का इस्तेमाल निजी और व्यावसायिक कार्यों के लिए करता था। चैतन्य बघेल ने अपराध की आय से 18.90 करोड़ रुपये अपनी रियल एस्टेट परियोजना, विट्ठल ग्रीन और 3.10 करोड़ रुपये अपनी रियल एस्टेट फर्म मेसर्स बघेल डेवलपर्स एंड एसोसिएट्स में इस्तेमाल किए थे। चालान में 10 करोड़ रुपए कैश में निवेश करने का उल्लेख है। जांच में आरोपियों के मोबाइल फोन से बरामद व्हाट्सएप चैट के रूप में महत्वपूर्ण डिजिटल साक्ष्य भी दर्ज किए गए हैं। ईडी ने उक्त आरोप चैतन्य के सीए, सलाहकार इंजीनियर से जब्त डिजिटल एविडेंस और साइट में काम करने वाले इंजीनियरों के बयान के आधार पर लगाया है।

अकाउंट मैनेज करते थे सौम्या और अनवर
बरामद चैट से यह भी पता चलता है कि चैतन्य खातों के निपटान, बैठकों के कार्यक्रम तय करने और धन के सुचारू हस्तांतरण के लिए ढेबर और मुख्यमंत्री कार्यालय में तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया के साथ सक्रिय रूप से समन्वय कर रहे थे। राज्य की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू)/भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने पिछले साल 17 जनवरी को "शराब घोटाले" में एक प्राथमिकी दर्ज की थी, जो विधानसभा चुनावों में भाजपा द्वारा कांग्रेस को हराने के लगभग एक महीने बाद हुई थी। इसमें पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड सहित 70 व्यक्तियों और कंपनियों के नाम शामिल थे।



 
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