बालोद: सरपंच का पद तो मिला लेकिन फंड नहीं मिला, गांव का विकास ठप, मूलभूत सुविधाओं का आभाव
ये हैं छत्तीसगढ़ के सरपंच जिनके कंधे पर गांव के विकास की जिम्मेदारी है आज वे स्वयं ही परेशान है मसला है पैसे का, क्योंकि इन्हें सरपंच का पद तो मिला है लेकिन वह राशि नहीं मिली जिनसे ये गांव का विकास कर सके।
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ये हैं छत्तीसगढ़ के सरपंच जिनके कंधे पर गांव के विकास की जिम्मेदारी है आज वे स्वयं ही परेशान है मसला है पैसे का, क्योंकि इन्हें सरपंच का पद तो मिला है लेकिन वह राशि नहीं मिली जिनसे ये गांव का विकास कर सके, आलम यह है कि गांव की गलियां सड़कें पानी और बिजली सारी व्यवस्थाएं बेजान पड़ी हुई है।यहां तक कि 15 वे वित्त की राशि उन्हें नहीं मिल पाई है आलम ये है कि सरपंच खुद को अब डिफॉल्टर बता रहे हैं और अब सड़क पर उतरने को मजबूर हो चुके हैं सरपंचों ने बताया कि गांव में मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए भी उनके पास कोई फंड नहीं है आखिर ऐसे में कैसे गांव का विकास हो पाएगा वहीं काम तो दूर की बात एक विकास का नींव भी नहीं रखा गया है वहीं पूरे मसले पर सरपंचों ने विधायक से भी मदद की गुहार लगाई है वहीं विधायक ने पूरे मामले पर विधानसभा में आवाज उठाने की बात कही।
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के सरपंच अब अपनी मूलभूत सुविधाओं को लेकर काफी परेशान हो चुके हैं सरपंच संघ के अध्यक्ष डाकेश साहू ने बताया कि सरपंचों का की एक जो छवि होती है वह अब डिफाल्टर के रूप में वेंडर के समक्ष बनने लगी है क्योंकि 15 व वित्त की राशि अब तक सरपंचों को नहीं डाली गई है जिसके कारण छोटे-छोटे काम के लिए हमें दुकानदारों पर निर्भर रहता है और समय पर भुगतान न कर पाने की वजह से हमें उनके सामने बेइज्जत होना पड़ रहा है उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले हमने प्रभारी मंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा है।
वहीं सरपंच संघ के उपाध्यक्ष हेमलता साहू ने कहा कि जनता हमें चुनकर लाई है और जनता का विश्वास हमसे उठते जा रहा है, उन्होंने कहा कि विकास कार्य तो दूर मूल पैसा जो 15वे वित्त का है वो भी हमे नहीं मिल पा रहा है पहले तो खनिज संस्थान न्यास का पैसा पंचायतों को मिल जाता था लेकिन अब वो भी खनन प्रभावित जगहों को दिया जा रहा है, आखिर अब हम सरपंच करें तो करें क्या यहीं समस्या आज हमारे पास है।
विधानसभा में उठाएंगे मुद्दा
सरपंच संघ ने पूरे मसले पर विधायक संगीता सिन्हा को भी मांग पत्र सौंपा है जिसे लेकर विधायक ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरपंच लोग आज विष्णुदेवसाय के सरकार में ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं जो सरपंच गांव का नेतृत्व करते हैं उन्हें भी आज सड़क पर उतरना पड़ रहा है, सरकार सरपंचों को संज्ञान में नहीं ले रहे हैं विकास का काम रुका हुआ है प्रदेश के लिए यह बड़े ही दुर्भाग्य का विषय है जिसे देखते हुए हमने यह निर्णय लिया है कि सरपंचों की आवाज को मैं विधानसभा में बुलंद करूंगी।