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CG News: जशपुर में एनटीपीसी और जिला प्रशासन के बीच हुआ एग्रीमेंट, 20 करोड़ से बनेगा अत्याधुनिक तीरंदाजी केंद्र
अमर उजाला नेटवर्क, रायपुर
Published by: अमन कोशले
Updated Tue, 28 Oct 2025 06:03 PM IST
सार
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की उपस्थिति में मंगलवार को जशपुर जिले के बगीचा स्थित मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में सन्ना पंडरापाठ में तीरंदाजी अकादमी स्थापित करने के लिए जिला प्रशासन और एनटीपीसी के बीच एग्रीमेंट किया गया।
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जशपुर में एनटीपीसी और जिला प्रशासन के बीच हुआ एग्रीमेंट
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की उपस्थिति में मंगलवार को जशपुर जिले के बगीचा स्थित मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में सन्ना पंडरापाठ में तीरंदाजी अकादमी स्थापित करने के लिए जिला प्रशासन और एनटीपीसी के बीच एग्रीमेंट किया गया। यह परियोजना कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) के तहत 20 करोड़ 53 लाख रुपए की लागत से संचालित की जाएगी। इस अवसर पर जशपुर कलेक्टर रोहित व्यास और एनटीपीसी के अपर महाप्रबंधक (मानव संसाधन) बिलाश मोहंती उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एनटीपीसी द्वारा सीएसआर के माध्यम से आर्चरी सेंटर की स्थापना के लिए दी जा रही राशि स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने कहा कि जशपुर क्षेत्र के युवाओं में तीरंदाजी के प्रति अपार संभावनाएं हैं और इस अकादमी के आरंभ होने से उन्हें प्रशिक्षण और संसाधनों की बड़ी सुविधा प्राप्त होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2036 में भारत ने ओलंपिक खेलों की मेज़बानी के लिए दावेदारी प्रस्तुत की है। हमारी कोशिश होगी कि छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में अधिक संख्या में शामिल हों और पदक जीतकर प्रदेश व देश का नाम रोशन करें। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है जब राज्य में तीरंदाजी जैसे खेलों के लिए आधुनिक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाएं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने घोषणा की है कि ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेताओं को 3 करोड़ रुपए, रजत पदक विजेताओं को 2 करोड़ रुपए और कांस्य पदक विजेताओं को 1 करोड़ रुपए की पुरस्कार राशि दी जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य खेल अलंकरण समारोह को पुनः आयोजित किया गया है, जिसके माध्यम से प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को सम्मानित किया जा रहा है। इसके साथ ही ‘खेलो इंडिया’ योजना के तहत नए प्रशिक्षण केंद्रों की शुरुआत की गई है और जनजातीय क्षेत्रों में खेल अधोसंरचना के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
सन्ना पंडरापाठ में बनने वाला यह तीरंदाजी अकादमी 10.27 एकड़ भूमि में विकसित किया जाएगा। यहां निम्न सुविधाएं विकसित की जाएंगी। जिसमें आधुनिक आउटडोर तीरंदाजी रेंज, खिलाड़ियों के लिए छात्रावास और स्टाफ क्वार्टर, खिलाड़ियों की सुविधा हेतु भवन, जैविक खेती के लिए नर्सरी, पुस्तकालय, चिकित्सा केंद्र, कौशल विकास केंद्र, हर्बल वृक्षारोपण और प्रशिक्षण मैदान। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत प्राचीन काल से तीरंदाजी में अग्रणी रहा है। महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथों में भी इस कला का विशेष उल्लेख है। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षित मार्गदर्शन के माध्यम से अब नए आर्चर्स तैयार किए जाएंगे, जो प्रदेश और देश का नाम रोशन करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एनटीपीसी द्वारा सीएसआर के माध्यम से आर्चरी सेंटर की स्थापना के लिए दी जा रही राशि स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने कहा कि जशपुर क्षेत्र के युवाओं में तीरंदाजी के प्रति अपार संभावनाएं हैं और इस अकादमी के आरंभ होने से उन्हें प्रशिक्षण और संसाधनों की बड़ी सुविधा प्राप्त होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2036 में भारत ने ओलंपिक खेलों की मेज़बानी के लिए दावेदारी प्रस्तुत की है। हमारी कोशिश होगी कि छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में अधिक संख्या में शामिल हों और पदक जीतकर प्रदेश व देश का नाम रोशन करें। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है जब राज्य में तीरंदाजी जैसे खेलों के लिए आधुनिक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाएं।
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मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने घोषणा की है कि ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेताओं को 3 करोड़ रुपए, रजत पदक विजेताओं को 2 करोड़ रुपए और कांस्य पदक विजेताओं को 1 करोड़ रुपए की पुरस्कार राशि दी जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य खेल अलंकरण समारोह को पुनः आयोजित किया गया है, जिसके माध्यम से प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को सम्मानित किया जा रहा है। इसके साथ ही ‘खेलो इंडिया’ योजना के तहत नए प्रशिक्षण केंद्रों की शुरुआत की गई है और जनजातीय क्षेत्रों में खेल अधोसंरचना के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
सन्ना पंडरापाठ में बनने वाला यह तीरंदाजी अकादमी 10.27 एकड़ भूमि में विकसित किया जाएगा। यहां निम्न सुविधाएं विकसित की जाएंगी। जिसमें आधुनिक आउटडोर तीरंदाजी रेंज, खिलाड़ियों के लिए छात्रावास और स्टाफ क्वार्टर, खिलाड़ियों की सुविधा हेतु भवन, जैविक खेती के लिए नर्सरी, पुस्तकालय, चिकित्सा केंद्र, कौशल विकास केंद्र, हर्बल वृक्षारोपण और प्रशिक्षण मैदान। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत प्राचीन काल से तीरंदाजी में अग्रणी रहा है। महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथों में भी इस कला का विशेष उल्लेख है। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षित मार्गदर्शन के माध्यम से अब नए आर्चर्स तैयार किए जाएंगे, जो प्रदेश और देश का नाम रोशन करेंगे।