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हादसे के बाद निर्माण कंपनी ने चोरी-छिपे खुले टैंक को कराया बंद
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ताखा। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे पर बने एक टोल प्लाजा में खुले टैंक में तीन वर्षीय मासूम की मौत के बाद निर्माण कंपनी ने देर शाम चोरी-छिपे खुले टैंक पर पटिया रखवाकर उसे बंद करा दिया गया। प्रोजेक्ट मैनेजर ने इस घटना को लेकर टोल कर्मचारियों की लापरवाही मानकर अपनी गलती न होने से पल्ला झाड़ लिया।
शुक्रवार को बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किलोमीटर संख्या 289 पर स्थित टोल प्लाजा पर कर्मचारी विजय निवासी गंगापुर वरस मधुकरपुर, रायबरेली, ड्यूटी पर सफाई कार्य कर रहा था। इसी दौरान उसका तीन वर्षीय पुत्र अर्पित टोल प्लाजा परिसर में एक कुत्ते के बच्चे के साथ खेलते हुए शौचालय के पास पहुंच गया। निर्माण के बाद टैंक को ढककर बंद नहीं किया गया था। खेलते समय अर्पित का पैर फिसल गया और वह खुले टैंक में भरे मलबे में गिर गया।
काफी देर तक जब अर्पित दिखाई नहीं दिया तो विजय ने खोजबीन शुरू की। टैंक में झांकने पर अर्पित अंदर पड़ा मिला। विजय ने उसे बाहर निकाला। टोल प्लाजा मैनेजर ने तत्काल अर्पित को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भरथना भिजवाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। शनिवार को विजय की सूचना पर ऊसराहार पुलिस ने मासूम का पोस्टमार्टम कराया। पीड़ित पिता विजय ने बताया कि यदि टैंक पर ढक्कन लगाया गया होता तो उसके बेटे की जान नहीं जाती। उनका आरोप है कि निर्माण कार्य पूरा होने के बावजूद कंपनी ने टैंकों पर ढक्कन नहीं लगाए थे जबकि ढक्कन वहीं रखे हुए थे। शुक्रवार को हादसे के बाद दिलीप बिल्डकॉन कंपनी के कर्मचारियों को होश आया और देर शाम चोरी-छिपे दोनों खुले टैंकों पर ढक्कन रखकर बंद करा दिया गया। उधर, दिलीप बिल्डकॉन कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर हितेश धवन ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि निर्माण के बाद टैंक के ढक्कन बंद कर दिए गए थे। संभवतः टोल कर्मचारियों ने ही ढक्कन हटाया होगा। अब टैंकों को पुनः बंद करा दिया गया है और इसमें कंपनी की कोई लापरवाही नहीं है।
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शुक्रवार को बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किलोमीटर संख्या 289 पर स्थित टोल प्लाजा पर कर्मचारी विजय निवासी गंगापुर वरस मधुकरपुर, रायबरेली, ड्यूटी पर सफाई कार्य कर रहा था। इसी दौरान उसका तीन वर्षीय पुत्र अर्पित टोल प्लाजा परिसर में एक कुत्ते के बच्चे के साथ खेलते हुए शौचालय के पास पहुंच गया। निर्माण के बाद टैंक को ढककर बंद नहीं किया गया था। खेलते समय अर्पित का पैर फिसल गया और वह खुले टैंक में भरे मलबे में गिर गया।
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काफी देर तक जब अर्पित दिखाई नहीं दिया तो विजय ने खोजबीन शुरू की। टैंक में झांकने पर अर्पित अंदर पड़ा मिला। विजय ने उसे बाहर निकाला। टोल प्लाजा मैनेजर ने तत्काल अर्पित को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भरथना भिजवाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। शनिवार को विजय की सूचना पर ऊसराहार पुलिस ने मासूम का पोस्टमार्टम कराया। पीड़ित पिता विजय ने बताया कि यदि टैंक पर ढक्कन लगाया गया होता तो उसके बेटे की जान नहीं जाती। उनका आरोप है कि निर्माण कार्य पूरा होने के बावजूद कंपनी ने टैंकों पर ढक्कन नहीं लगाए थे जबकि ढक्कन वहीं रखे हुए थे। शुक्रवार को हादसे के बाद दिलीप बिल्डकॉन कंपनी के कर्मचारियों को होश आया और देर शाम चोरी-छिपे दोनों खुले टैंकों पर ढक्कन रखकर बंद करा दिया गया। उधर, दिलीप बिल्डकॉन कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर हितेश धवन ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि निर्माण के बाद टैंक के ढक्कन बंद कर दिए गए थे। संभवतः टोल कर्मचारियों ने ही ढक्कन हटाया होगा। अब टैंकों को पुनः बंद करा दिया गया है और इसमें कंपनी की कोई लापरवाही नहीं है।