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World Cup: 'कपड़े नहीं थे, शादी में नहीं बुलाया जाता था', बीच इंटरव्यू में रो पड़ी विश्वकप की यह स्टार खिलाड़ी

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: स्वप्निल शशांक Updated Wed, 15 Oct 2025 11:34 AM IST
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सार

आज मरूफा न सिर्फ बांग्लादेश क्रिकेट की नई पहचान हैं, बल्कि उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं जो मुश्किल हालातों के बावजूद कुछ बड़ा करने का सपना देखती हैं।

Didn't Have Proper Clothes, Was Not Invited To Wedding, Women’s World Cup Star Marufa Akter Emotional Journey
मरूफा अख्तर - फोटो : ICC
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बांग्लादेश की युवा तेज गेंदबाज मरूफा अख्तर ने महिला विश्व कप में अपने पहले ही मैच में सबका ध्यान खींच लिया। 20 साल की इस तेज गेंदबाज ने अपने डेब्यू मैच में सात ओवर में सिर्फ 31 रन देकर दो विकेट हासिल किए और पाकिस्तान को 129 रनों पर रोक दिया।  उनकी शानदार गेंदबाजी के दम पर बांग्लादेश ने यह मैच सात विकेट से जीता और मरूफा को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।
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क्रिकेट विशेषज्ञों ने की तारीफ
मरूफा की स्विंग कराने की कला ने उन्हें महिला क्रिकेट में एक उभरता हुआ सुपरस्टार बना दिया है। कई क्रिकेट विशेषज्ञ उन्हें दक्षिण एशिया की सबसे बेहतरीन तेज गेंदबाजी प्रतिभा मान रहे हैं, लेकिन मरूफा की यह सफलता रातोंरात नहीं आई। उनके पीछे एक ऐसी संघर्ष भरी कहानी छिपी है जो लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा बन सकती है।
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'कपड़े नहीं थे, इसलिए शादी में नहीं बुलाते थे'
मरूफा ने एक इंटरव्यू में अपनी पुरानी यादें साझा करते हुए भावुक होकर कहा, 'लोग हमें शादी या किसी भी समारोह में नहीं बुलाते थे। कहते थे कि हमारे पास ढंग के कपड़े नहीं हैं। अगर हम जाएंगे तो उनके सम्मान को ठेस पहुंचेगी।' यह कहते कहते मरूफा की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने आगे कहा, 'कभी-कभी तो ईद पर नए कपड़े खरीदने के पैसे भी नहीं होते थे।'

पिता किसान, गांव से नहीं मिला सहयोग
उन्होंने आगे बताया कि उनके पिता एक किसान हैं और घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। मरूफा ने कहा, 'हमारे पास ज्यादा पैसे नहीं थे। गांव के लोग भी हमारी क्रिकेट खेलने की इच्छा को समर्थन नहीं देते थे। उन्होंने हमेशा हतोत्साहित किया।' इन मुश्किल हालातों में भी मरूफा ने हार नहीं मानी और लगातार अभ्यास करती रहीं। उनका जज्बा और मेहनत उन्हें आखिरकार बांग्लादेश टीम तक ले आया।

अब परिवार की शान बनीं मरूफा
आज मरूफा अख्तर न सिर्फ अपने परिवार बल्कि पूरे देश का गौरव हैं। वह गर्व से कहती हैं, 'अब हम जिस स्थिति में हैं, वहां तक बहुत लोग नहीं पहुंच पाते। मैं अपने परिवार की मदद कर रही हूं। शायद बहुत से लड़के भी ऐसा नहीं कर पाते। इससे मुझे एक अलग तरह की शांति और गर्व मिलता है।' वह कहती हैं, 'बचपन में मैं सोचती थी कि कब लोग हमें देखेंगे और हमारी तारीफ करेंगे। अब जब मैं खुद को टीवी पर देखती हूं, तो थोड़ा शर्म आती है (हंसते हुए)।'

संघर्ष से सफलता तक की कहानी
मरूफा अख्तर की कहानी सिर्फ एक क्रिकेटर की सफलता की नहीं, बल्कि संघर्ष, आत्मविश्वास और परिवार के प्रति समर्पण की कहानी है। गरीबी और समाज की उपेक्षा के बावजूद उन्होंने दिखाया कि सपने देखने वाले कभी हार नहीं मानते। आज मरूफा न सिर्फ बांग्लादेश क्रिकेट की नई पहचान हैं, बल्कि उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं जो मुश्किल हालातों के बावजूद कुछ बड़ा करने का सपना देखती हैं।
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