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MP Samwad 2025: रोहित-विराट के संन्यास से लेकर नए कप्तान गिल तक..संवाद में मुरली कार्तिक ने बेबाकी से दिए जवाब

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: Mayank Tripathi Updated Thu, 26 Jun 2025 03:59 PM IST
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सार

Amar Ujala Samwad: 'अमर उजाला संवाद' का कारवां इस बार मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल पहुंच गया है। इस संवाद में अलग-अलग क्षेत्रों की हस्तियां शामिल हो रही हैं। भारत के पूर्व क्रिकेटर मुरली कार्तिक भी इस कार्यक्रम में पहुंचे। इस दौरान उनसे रोहित शर्मा और विराट कोहली के संन्यास से लेकर नए कप्तान शुभमन गिल पर चर्चा हुई।

MP Samwad 2025 Bhopal Ex Cricketer Murali Kartik in Amar Ujala Samwad know what he speaks
मुरली कार्तिक - फोटो : अमर उजाला
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'अमर उजाला संवाद' का कारवां इस बार मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल पहुंच गया है। इस संवाद में अलग-अलग क्षेत्रों की हस्तियां शामिल हो रही हैं। भारत के पूर्व क्रिकेटर मुरली कार्तिक भी इस कार्यक्रम में पहुंचे। इस दौरान उनसे रोहित शर्मा और विराट कोहली के संन्यास से लेकर नए कप्तान शुभमन गिल तक पर चर्चा हुई।
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MP Samwad 2025 Bhopal Ex Cricketer Murali Kartik in Amar Ujala Samwad know what he speaks
मुरली कार्तिक - फोटो : अमर उजाला
यहां पढ़िये मुरली कार्तिक से बातचीत के प्रमुख अंश..

प्रश्न: एयरपोर्ट पर एक संवाद चल रहा था वो ये था कि अब इस नई भारतीय टीम में वो दम नहीं है..विराट रोहित के बिना मजा नहीं आ रहा है। क्या भारतीय क्रिकेट को देखने में मजा आएगा? क्या फिर से टीम इंडिया दम दिखा पाएगी?

उत्तर: दो मद्रासी बैठे हैं जो हिंदी में बात कर रहे हैं। तमिल में नहीं हिंदी में। हम स्पोर्ट्स को लेकर काफी भावुक हैं। खासतौर पर क्रिकेट में। हम चाहते हैं कि भारत हमेशा जीते, हार नहीं सकते। क्योंकि दूसरी टीम तो खेलने ही नहीं आती है। दूसरी बात ये है कि आपने कहा विराट रोहित नहीं है। आप इतिहास निकालें भारतीय क्रिकेट का बहुत बड़े बड़े दिग्गज बने और जब उन्होंने छोड़ा तो वो कहते हैं न कि उनकी जगह की भरपाई करना आसान नहीं होता। पर कोई न कोई खरा उतरा है। आप अनिल कुंबले या हरभजन को ले लीजिए तो उसके बाद अश्विन और जडेजा आए। आप सचिन और द्रविड़ की बात ले लीजिए तो उसके बाद विराट कोहली जैसा बड़ा प्लेयर मिला। उन्हें देखकर लगा था कि वो सचिन के 100 शतकों के रिकॉर्ड को भी पार कर लेंगे। अब आप शुभमन गिल और उनकी टीम की बात कर रहे हैं। आप कभी दौर को कंपेयर न करें। मैं खुद की बिशन सिंह बेदी या प्रसन्ना से तुलना नहीं कर सकता क्योंकि वो काफी ऊपर थे। किसी को भी कुंबले या हरभजन से तुलना नहीं करना चाहिए, क्योंकि वो अलग दौर था, अलग खेल था और अलग सोच थी। ये मॉडर्न टीम जो है, सबसे पहली बात सबको खुश करना मुश्किल है। हर कोई कुछ न कुछ कहेगा। कोई कहेगा श्रेयस अय्यर नहीं है। अरे शमी फिट थे ...इनको लेना चाहिए था.. उनको लेना चाहिए था। सबको खुश नहीं रख सकते। हमें थोड़ा संयम से काम लेना होगा। कई खिलाड़ी अभी अभी आए हैं। इंग्लैंड खेलने के लिए आसान नहीं है। आपको तालमेल बिठाने में समय लगेगा। एक दो बार वहां का दौरा करेंगे फिर आप कुछ अच्छा करेंगे। ये खिलाड़ी काफी प्रतिभाशाली हैं। इन्हें वक्त देना पड़ेगा। पहला टेस्ट हम हार गए जो हमें नहीं हारना चाहिए था। हमें उन पर विश्वास करना होगा।

प्रश्न: बुमराह के अलावा कोई बेहतर तेज गेंदबाज क्यों नहीं है। हमारे पास ऑलराउंडर की कमी दिख रही है?

उत्तर: जब मैं मैच देख रहा था तो बाल खींचने की कोशिश कर रहा था। मैं खुद आश्चर्यचकित था कि बुमराह के अलावा हम क्यों नहीं कर पा रहे। यही चीज ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भी देखने मिली थी। सब गेंदबाज अच्छे हैं, इन सभी गेंदबाजों ने बेहतर प्रदर्शन किया है तभी टीम में आए हैं, लेकिन प्रदर्शन क्यों नहीं कर पा रहे ये एक बड़ा सवाल है। इसका जवाब वही लोग दे पाएंगे, यहां बैठकर मैं नहीं दे पाऊंगा।
 
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प्रश्न: बतौर कप्तान शुभमन गिल का पहला इंप्रेशन आपके मन में कैसा है?

उत्तर: आप अगर उनका कप्तानी करियर देखें तो जिस साल उन्होंने कप्तानी शुरू की गुजरात टाइटंस के लिए शुरू की तो वो कप्तानी को महसूस कर रहे थे। फ्रेंचाइजी क्रिकेट अलग है। कॉर्पोरेट वर्ल्ड में ऊपर से काफी दबाव है। क्रिकेट ही नहीं, साइड से जो चीजें चलती हैं, उसका दबाव रहता है। वो शुभमन गिल को हैंडल करना, खासकर गुजरात एक ऐसी टीम जो आते ही चैंपियन बनी। अगले साल चैंपियन बनते बनते रह गई। ऐसे में आप एक ऐसे फ्रेचाइजी की कप्तानी कर रहे जिसका कप्तान कहीं दूसरी फ्रेंचाइजी में चला गया हो, उस साल उनको वक्त लगा कप्तानी के साथ भी और बल्ले के साथ भी। आप जॉब के साथ चीजें सीखते हो, वही याद आ रहा था। अब उनकी कप्तानी देखिए, इस साल आईपीएल में वो शानदार रहे। लीड्स टेस्ट में पहली पारी में वो सही खेल रहे थे। दूसरी पारी में वह दबाव में आए तो तितर बितर हो गए। सब हुए। तो इसलिए मैंने कहा कि संयम बरतना होगा। समय के साथ बिल्कुल वो सुधार करेंगे और बेहतर होते जाएंगे।

प्रश्न: बहुत लोगों को लगता है कि क्रिकेट किसी बंदे की मर्जी से चलता आ रहा है, चाहे वो गांगुली हो, धोनी हो या कोहली हो। अब गंभीर कोच बनकर आए हैं। क्या आपको लगता है कि लॉजिक कम और किसी एक बंदे की ज्यादा चलती है?

उत्तर: नहीं मुझे नहीं लगता ऐसा। सबको खुश करना मुश्किल है। हर फैसले से कोई न कोई नाराज होगा। जो बंदा डिसीजन लेता है वो अपनी सोच के हिसाब से लेता है। यहां किसी ने किसी को आपत्ति होगा ही। मुझे नहीं लगता कि किसी एक की मर्जी से चलता है। हर कोई टीम को आगे रखकर ही फैसला करता है। मैं भी चाहूंगा कि मैं जो फैसले लूं उससे मेरा नाम हो। ऐसा नहीं हुआ तो तलवार मेरी गर्दन पर होगी।

प्रश्न: क्या कप्तान अपने ईर्द गिर्द जिसके साथ आसानी महसूस करता है, या फिर जो कोच अपने आसपास जिसको जानता है उनको चुनकर खेले या फिर जो पांच चयनकर्ता मिलकर चुनते हैं? जैसे सरफराज खान, ईश्वरन के बारे में किसी को पता नहीं। 

उत्तर: ये सवाल चयनकर्ताओं से करना चाहिए। जब टीम चुनी जाती है तो 18-19 खिलाड़ियों के पूल से चुनी जाती है। मुख्य चयनकर्ता ही टीम चुनता है। मुझे नहीं लगता कि उसमें किसी व्यक्तिगत फैसले लिए जाते हैं। सबकी सोच के साथ टीम बनती है, कप्तान की राय, कोच की राय चयनकर्ताओं की राय सबसे मिलकर टीम बनती है। ये सवाल आप चयनकर्ताओं से पूछें कि फैसले आप एक टीम के तौर पर ले रहे हैं या कोई व्यक्तिगत फैसले लिए जा रहे हैं।

प्रश्न: क्या आपको लगता है कि विराट कोहली और रोहित शर्मा रिटायर हुए हैं या उनसे रिटायरमेंट लेने कहा गया है?

उत्तर: मुझे नहीं पता। आप मुझसे पुछिए कि मैं रिटायर हुआ था या लिवाया गया था तो मैं आपको इसका जवाब दूंगा। मैं रिटायर हुआ था क्योंकि मैं बूढ़ा हो गया था। अब आप सोचिए उन्होंने कहा कि हम टी20 जीत गए तो रिटायर हो गए। सबका मोटिवेशन अलग अलग होता है।

प्रश्न: हमने पहले टेस्ट में भारत की ओर से पांच शतक देखे, तो क्या हम विराट रोहित को बिल्कुल मिस नहीं करेंगे? उन्होंने इतना कुछ किया है टीम इंडिया के लिए, इतने रन बनाए और एक झटके में पांच शतक लगे और हम कह रहे उन्हें क्यों मिस करेंगे?

उत्तर: समय किसी का इंतजार नहीं करता। जो खिलाड़ी बने हैं वो अपने दम पर बने हैं अपने बलबूते बने हैं। अपने प्रदर्शन से बने हैं। तो जब कोई जाता है तो आप चाहते हैं कि जल्दी वो ट्रांजिशन हो जाए। या आप चाहते हैं कि छह साल बाद रिप्लेसमेंट मिले विराट कोहली का? इस मैच में भारतीय बल्लेबाजी दो बार ढही है, भले ही लोअर ऑर्डर हो। आप एक प्लेयर को जरूर मिस करेंगे। उनको कई उपनाम मिले, जैसे चेज मास्टर या जो भी उनको उनके प्रदर्शन की वजह से मिली है। रोहित शर्मा को व्हाइट बॉल ग्रेट कहा जाता है क्योंकि उस प्रारूप में उन्होंने इतने रन बनाए हैं। तो मिस तो जरूर करेंगे। भले पहले मैच में नहीं किया हो और आगे करेंगे, लेकिन मिस तो जरूर करेंगे। इसका दूसरा पहलू ये है कि आप चाहते हैं कि उनके रिप्लेसमेंट जल्दी मिल जाएं और अच्छी बात है अगर बल्लेबाजों ने रन बनाए तो।

प्रश्न: क्या कुलदीप यादव ही हमारे एकमात्र मर्ज की दवा हैं? हमें ये नहीं देखना चाहिए कि पिच पर कितनी घास है क्या है और आंख बंद करके आपको अपनी बेस्ट प्लेइंग-11 चुनना चाहिए?

उत्तर: सिर्फ कुलदीप यादव ही नहीं, जो भी आपको लगता है कि आपके प्लेइंग-11 में डिजर्व करता है, उसे मौका देना चाहिए। आपके पास बुमराह हैं, लेकिन वो सारे मैच नहीं खेलने वाले। वहां पहले मैच से पता चल गया कि गेंदबाजी आपकी अगर हल्की सी भी कमजोर हुई तो इंग्लैंड के लाइन अप के खिलाफ काफी मुश्किल होने वाला है। ऐसे में कुलदीप जो शानदार रहे हैं और वो विकेटटेकर हैं। उनका स्किल वैसा है कि वो किसी भी विकेट पर अच्छा कर सकते हैं।

प्रश्न: आपको किसकी कप्तानी में खेलना सबसे अच्छा लगा? 

उत्तर: इसका जवाब देना सबसे मुश्किल है। मैंने बिशन सिंह बेदी से कोचिंग लिया और मेरे मेंटर मनिंदर सिंह थे। उनसे काफी कुछ सीखने को मिला। सीखने के बाद जब मैंने थोड़ा लीग क्रिकेट खेला तो चंद्रशेखर से सीखने को मिला। फिर मैंने अजहरुद्दीन की कप्तानी में क्रिकेट खेला, भले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम गेंदबाज हो तुम कप्तान हो तुम्हें पता नहीं होना चाहिए कि क्या करना है। वो कभी भी दखलअंदाजी नहीं करते थे। फिर मैंने सौरव गांगुली के अंदर खेला। उन्होंने मुझे महसूस कराया कि तुम अगर खेल रहे हो तो तुम्हें ये करना चाहिए। तो मैं बहुत बहुत अच्छे कप्तानों के अंदर खेला है तो किसी एक का चयन करना मुश्किल है। जिस स्टेज में मैं था करियर के उसमें बहुत फर्क है।

प्रश्न: ड्रेसिंग रूम के वो दो खिलाड़ी, एक जो सबसे अनुशासन में रहता हो और दूसरा जो थोड़ा तुनकमिजाजी हो? प्रैंक मास्टर जैसा?

उत्तर: आपने कहा सबसे अनुशासन में रहने वाला खिलाड़ी तो मैं राहुल द्रविड़ कहूंगा। सब जानते हैं कि जो भी उनके साथ खेलता है वो जानता है कि उनके साथ ज्यादा छेड़खानी नहीं करनी चाहिए। ऐसा नहीं है कि वो हंसी मजाक नहीं करते, लेकिन आप खुद सोचिए कि जो आदमी आउट होने के बाद ड्रेसिंग रूम में दो घंटे पैड में बैठा रहे और सोचता रहे कि मैं क्यों आउट हुआ तो समझ सकते हैं कि उनको कितना फील होता होगा? और जो दूसरे जिनसे हमें बहुत डर लगता था चाहे वो सचिन हों या अजहरुद्दीन हों कोई भी, वो तब जब अनिल कुंबले गेंदबाजी करते थे तो हल्का फुल्का भी इधर उधर हुआ या फिर कुछ छूट गया तो उनकी तरफ भी नहीं देखते थे चाहे कोई भी हो। हमारी टीम में जो तीन स्पिनर थे, मैं, कुंबले और भज्जी...हम तेज गेंदबाजों से ज्यादा आक्रामक थे। हम बल्लेबाजों को ज्यादा स्लेज करते थे। तो हम जब खेलते थे तो हम स्पिनर नहीं होते थे, तेज गेंदबाज होते थे। प्रैंक मास्टर हरभजन से बेहतर कोई नहीं है। हमलोग साल 2000 में ऑस्ट्रेलिया सीरीज की तैयारी कर रहे थे। जब लक्ष्मण ने 281 रन बनाए थे। उस सीरीज में मैंने भाग नहीं लिया क्योंकि मेरे कमर में समस्या थी और मैं एक साल के लिए क्रिकेट से दूर हो गया था। प्रैक्टिस सेशन में हम गेंद डाल रहे थे तो और जो हमारे कोच थे जॉन राइट, उन्होंने पिच पर गुड लेंथ पर शॉर्ट लेंथ पर डब्बे बना दिए। तो हम डब्बे में गेंद डाले जा रहे हैं तो राइट ने कहा कि माइकल स्लेटर इन डब्बों वाली जगहों पर खेलते हैं। फिर दो तीन ऐसा ही चला तो एक दिन अचानक से भज्जी के दिमाग में आया कि अगर स्लेटर ने उन डब्बों पर पांव रख दिया तो हम कहां खेलेंगे। भज्जी ने सोचा कि अगर स्लेटर ने डब्बे वाली जगह पर पांव ही रख दिया तो हम गेंद कहां फेकेंगे। सचिन तेंदुलकर ड्रेसिंग रूम बेबी रहे। सबका प्यार उनको मिला।

प्रश्न: क्रिकेट एक जेंटलमेन गेम है लेकिन तब जब सामने वाला जेंटलमेन हो। सौरव गांगुली के बारे में एक चीज हम सुनते हैं कि वो सज्जन से सज्जन क्रिकेटर को स्लेज करने के लिए कहते थे। क्या सच में वो ऐसे टफ मास्टर थे। क्यो वो सोच कर ऐसा करते थे?

उत्तर: हमारे देश में इस बात की चर्चा होती है कि क्या क्रिकेट को कोई इकलौता इंसान चलाता है। कई वर्षों तक इस पर बात हुई कि ये जोनल सेलेक्शन है तो जिस जोन का सेलेक्टर है वो वहीं के खिलाड़ी को लेने की कोशिश करता है, उसे भारत के बारे में सोचना चाहिए। कई बार और काफी समय तक इसकी चर्चा हुई। सौरव गांगुली की कप्तानी में कहां कहां से खिलाड़ी टीम में चुने गए। उन्होंने ये नहीं सोचा कि ईस्ट का है वेस्ट का है साउथ का है। उन्होंने कहा कि मुझे बस एक अच्छी टीम बनानी है और अच्छा खेलना है बस। कभी कभी उनसे कुछ चीजें हो जाती थीं और उससे सामने वाली टीम परेशान हो जाती थी और दूसरा ये कि टीम जब अटैकिंग ब्रांड ऑफ क्रिकेट खेलती है तो उससे भी यह सब हो जाता है। आप जिन खिलाड़ियों के साथ खेलते हो उससे भी वह आत्मविश्वास आता है। आप सोचिए उनकी कप्तानी में कौन कौन खेल रहा था? देश के कुछ सबसे महान खिलाड़ी। मास्टर ब्लास्टर, द्रविड़, लक्ष्मण और खुद गांगुली। ओपनिंग कौन करता था वीरेंद्र सहवाग। सहवाग के साथ कुछ बेहतरीन ओपनर्स खेलकर गए हैं, जैसे गंभीर, वसीम जाफर, एसएस दास, सदगोपन रमेश। उसके बाद आप सोचिए, हरभजन, कुंबले, जहीर खान तो आप लिस्ट देखेंगे तो सोचेंगे कि क्या महान खिलाड़ी गांगुली की कप्तानी में खेले हैं। तो वो मैटर करता है क्योंकि सभी जीतना चाहते थे और उनकी कप्तानी करने के लिए गांगुली थे।

मुरली कार्तिक का करियर
मुरली कार्तिक ने भारत के लिए साल 2000 में डेब्यू किया था। उनके करियर का पहला मैच दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वानखेड़े में एक टेस्ट मैच रहा था। इसके बाद उन्होंने 2002 में वनडे डेब्यू किया। हालांकि, वह एक ऐसे में भारतीय टीम का हिस्सा बने थे, जब अनिल कुंबले और हरभजन सिंह अपने चरम पर थे। ऐसे में उन्हें जगह मिलती रही, लेकिन फ्रंटलाइन स्पिनर के तौर पर कम ही मौके मिले। हालांकि, जिन मैचों में उन्हें मौका मिला, उन्होंने कमाल का प्रदर्शन किया। वह टीम में आते रहे, लेकिन प्लेइंग-11 में जगह नहीं मिली।

मुरली ने भारत के लिए आठ टेस्ट, 37 वनडे और एक टी20 मैच खेले। टेस्ट में उन्होंने 24 विकेट, वनडे में 37 विकेट लिए। टी20 में वह कोई विकेट नहीं ले पाए। मुरली ने गांगुली की कप्तानी में करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद वह राहुल द्रविड़ की कप्तानी में भी खेले और महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में करियर का अंत किया। मुरली ने आखिरी टेस्ट 2004 में खेला था, जबकि उनका आखिरी वनडे और टी20 मैच 2007 में आया। उन्होंने 2007 में संन्यास तो नहीं लिया था, लेकिन उन्हें आगे मौका नहीं मिला। मुरली ने 2014 तक आईपीएल भी खेला और इसके 56 मैच में 31 विकेट लिए। आईपीएल में उनका सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन 17 रन देकर तीन विकेट रहा। टेस्ट में उनका सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन 44 रन देकर चार विकेट और वनडे में 27 रन देकर छह विकेट है। 

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