टीम इंडिया ही नहीं 'कैप्टन कूल' धोनी भी रहे एशिया कप में 'अजेय'
एशिया कप के फाइनल मैच में बारिश ने शुरुआत में मजा किरकिरा कर दिया था, लेकिन खेल खत्म होते-होते मुकाबला कांटे का होता चला गया। बांग्लादेश के गेंदबाजों ने खिताबी जंग में भारतीय बल्लेबाजों को खुलकर खेलने का चांस नहीं दिया और मुकाबले को अंत तक ले गए। भारत को अंतिम 18 गेंदों में 24 रन बनाने थे जबकि क्रीज पर शिखर धवन और विराट कोहली खेल रहे थे, लेकिन 13वें ओवर की चौथी गेंद पर धवन 60 रन बनाकर आउट हो गए।
क्रीज पर जम चुके धवन इसी ओवर की चौथी गेंद पर आउट हुए। उनके आउट होने से मेजबान टीम के गेंदबाजों में जोश आ गया और जब लगा कि वे भारतीय बल्लेबाजों पर अंकुश लगाने की कोशिश करेंगे तो भारतीय कप्तान धोनी ने दांव चला और युवराज सिंह, हार्दिक पांड्या या सुरेश रैना में से किसी को ऊपर भेजने के बजाए खुद को प्रमोट करते हुए नंबर चार बल्लेबाज के तौर पर खुद बल्लेबाजी के लिए आ गए।
भारत को अंतिम 2 ओवरों में जीत के लिए 19 रन और बनाने थे। एक ओर कोहली थे तो दूसरी ओर कप्तान धोनी मौजूद थे। धोनी 2 गेंद पर 3 रन बनाकर खेल रहे थे। टूर्नामेंट के सबसे सफल गेंदबाज अल-अमीन हुसैन जब 14वां ओवर डालने उतरे तो उनकी पहली ही गेंद को धोनी ने मिडविकेट के बाहर छह रनों के लिए भेज दिया।
इस छक्के ने मेजबान दर्शकों को निराश कर दिया जिससे पूरे स्टेडियम में सन्नाटा पसर गया। इसी ओवर की चौथी गेंद को धोनी ने कवर बाउंड्री की दिशा में खेलकर जिससे उनके खाते में 4 रन और जुड़ गए। चौके से भारत अब लक्ष्य से 5 रन दूर था जबकि उसके पास अभी 7 गेंदें और बची थी, लेकिन धोनी देरी से खत्म होने जा रहे मैच को खत्म करने में देरी नहीं करना चाहते थे और पांचवीं गेंद पर भी छक्का जड़कर टीम को खिताबी जीत दिला दी।
एशिया कप में 4 बार बल्लेबाजी को आए और नाबाद होकर लौटे धोनी
टीम इंडिया ने धोनी के इस छक्के के साथ एशिया कप में छठी बार खिताब जमा लिया। उन्होंने सिर्फ 6 गेंदों में 20 रनों की नाबाद पारी खेली और एक बार फिर खुद को दुनिया का 'बेस्ट फिनिशर' साबित कर दिया।
ऐसा नहीं है कि उन्होंने पहली बार छक्का मारकर टीम इंडिया को खिताबी जीत दिलाई है। लगभग 5 साल पहले 2011 में मुंबई में खेले गए वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में भी जोरदार छक्का जमाकर 28 साल बाद भारत को फिर से वर्ल्ड चैंपियन बनाया था।
2011 के वर्ल्ड कप और इस बार के एशिया कप की समानता यही है कि दोनों ही मौकों पर वो खुद को प्रमोट करके नंबर पांच बल्लेबाज के तौर पर खेलने उतरे। एशिया कप के फाइनल में नाजुक मोड़ पर चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने आने से पहले धोनी ने खुद पर जबर्दस्त भरोसा दिखाया क्योंकि फाइनल से उन्होंने टूर्नामेंट में सिर्फ 9 गेंदें ही खेली थी।
एशिया कप में खेले 5 मैचों में धोनी को 4 में बल्लेबाजी करने का चांस मिला जिसमें वह सिर्फ 15 गेंद ही खेल सके और इस दौरान उन्होंने 4 छक्के के साथ-साथ 2 चौके भी जड़े, साथ ही सभी चारों मौकों पर वह नाबाद रहे। एक मैच में उन्हें बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला।
'कैप्टन कूल' धोनी बेहद संयत होकर बल्लेबाजी करते हैं। मुंबई और मीरपुर में खिताबी फाइनल में उन्होंने यह दिखा दिया कि नाजुक मोड़ पर भी वो बेहद कूल किस तरह से रहते हैं। पिछले साल लगातार हार के बाद लोग उनके संन्यास लेने की बात पूछने लगे थे लेकिन इस साल वो दुनिया के सबसे सफल कप्तान बनते जा रहे हैं। इस साल उनकी कप्तानी में भारत ने 11 टी-20 मैचों से 10 मैच जीत लिए हैं।
खैर, एशिया कप के बाद अब वर्ल्ड कप शुरू होने जा रहा है जहां टीम इंडिया प्रबल दावेदारों में है। धोनी ने एशिया कप की जीत के बाद कहा भी है कि उनकी टीम टी-20 में सही ट्रैक पर है। अब भारत की नजर एशिया कप के बाद टी-20 वर्ल्ड कप के बाद एक और खिताब जीतने पर होगी। वहीं भारतीय खिलाड़ी चाहेंगे कि धोनी के खाते में एक और खिताबी जीत आए।