इंसान ही नहीं फूलों पर भी जलवायु परिवर्तन का असर, समय के साथ बदल रहे हैं अपना रंग
जलवायु परिवर्तन से सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि फूल भी जूझ रहे हैं। ये परिवर्तन फूलों को इस कदर प्रभावित कर रहा है कि रंग-बिरंगी प्रजातियों के फूल अपना रंग बदलने लगे हैं। हाल ही में अमेरिकन साइंस जर्नल करंट बायोलॉजी में एक शोध प्रकाशित किया गया है, जो बताता है कि पिछले 75 सालों में फूलों ने अपने पिग्मेंट्स में बदलाव किए हैं।
शोध में क्या बातें आई सामने?
- पिछले 75 सालों में फूलों ने अपनी पंखुड़ियों में पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करने वाले पदार्थ (पिग्मेंट्स) में बदलाव किए हैं।
- तापमान के बढ़ने और ओजोन स्तर बदलने से इन पदार्थों में बदलाव होता है, जिससे फूल अपना रंग बदलते हैं।
- कुछ फूल के रंगों में इस हद तक सूक्ष्म रूप से इतने बदलाव हुए हैं कि उनका पूरा का पूरा रंग ही बदल गया है।
हालांकि वैज्ञानिकों ने माना है कि प्रकृति सभी जीवों को वातावरण के अनुकूल बदलने की क्षमता देती है। वहीं पौधे और जानवर स्थायी बदलावों के मुताबिक खुद में बदलाव करते हैं। इन बदलावों में नई जगह पर जाकर बसना और प्रजनन के मौसम जैसी चुनौती शामिल है।
यही नहीं कुछ जीव तो अणुओं के स्तर पर बदलाव कर लेते हैं, जिससे उनकी कुछ ऐसी विशेषताओं में परिवर्तन देखने को मिलता है, जो पहले कभी नहीं देखा हो। ठीक ऐसा ही फूलों के रंगों के साथ देखने को मिल रहा है और वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका कारण ओजोन परत है।
किस तरह के फूलों को ज्यादा खतरा?
- शोध में पाया गया है कि पराबैंगनी किरणों का सबसे ज्यादा खतरा ऊंचे इलाके और भूमध्य रेखा (इक्वेटर) के पास पैदा होने वाले फूलों पर रहता है।
- ऐसी जगहों पर पैदा होने वाले फूलों की पंखुड़ियों में पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करने वाले पदार्थ की मात्रा ज्यादा रहती है।
- शोधकर्ताओं ने इस शोध में पड़ताल की है कि वैश्विक तापमान बढ़ने या ओजोन परत के घटने से पिग्मेंट्स की मात्रा पर क्या असर होता है।
शोध में कितने पौधे शामिल किए गए?
- इस शोध में 42 तरह के पौधों की अलग-अलग प्रजातियों को शामिल किया गया।
- वैज्ञानिकों ने अपने शोध में 1,238 फूलों को जमा किया और उनपर शोध किया।
- उत्तरी अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया से इन फूलों को इकट्ठा किया गया।
- 1941-2017 के बीच के समय (75 साल) के फूलों पर शोध किया गया।
- पराबैंगनी संवेदनशील कैमरा के इस्तेमाल कर नमूनों के फूलों की पंखुड़ियों की तस्वीरें लीं।
- ये तस्वीरें अलग-अलग समय पर ली गईं और संग्रहित की गईं।
- पिग्मेंटेशन के बाद को स्थानीय ओजोन स्तर और तापमान में होने वाले बदलावों से तुलना की।
75 साल में सालाना दो फीसदी की दर से बढ़ा यूवी पिग्मेंट
इस शोध में पता चला कि पिछले 75 साल में फूलों में यूवी पिग्मेंट्स की मात्रा सालाना दो फीसदी तक बढ़ी है। शोधकर्ताओं ने पाया कि कटोरे के आकार की संरचना वाले फूल जिनके पराग खुले हुए थे, ओजोन स्तर बढ़ने से उनका पिग्मेंट कम हो गया और स्तर घटने से पिग्मेंट की मात्रा बढ़ गई। वहीं जिन फूलों के पराग पंखुड़ियों से ढंके हुए हैं, उनका यूवी पिग्मेंट तापमान के बढ़ने से कम हो गया है।
कैसे बदलता है फूलों का रंग?
फूलों में रंग पिग्मेंट पैदा करता है, एन्थोसायनिन्स खासतौर पर यह काम करता है। इसके अलावा दूसरे पिग्मेंट्स में कैरोटिनॉइड्स होते हैं, जो टमाटर और गाजर जैसी चीजों को उसका रंग देते हैं। पिग्मेंट में बदलाव का मतलब फूलों में रंग का बदलाव।