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शांत फिजा को बिगाड़ने की कोशिश करने वाले एसआईआर विरोधी : भाजपा
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-प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा, एसआईआर डेमोग्राफी बदलने वालों के ताबूत पर आखिरी कील
अमर उजाला ब्यूरो
देहरादून। भाजपा ने एसआईआर की प्रक्रिया को प्रदेश में डेमोग्राफी बदलने की मंशा के ताबूत पर आखिरी कील साबित होने वाला बताया है। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि विपक्ष को क्यों लगता है कि जो भी फर्जी नाम मतदाता सूची से हटे हैं या हटेंगे, वो सभी उनके ही समर्थक होंगे? यह कहीं न कहीं कांग्रेस और विपक्ष के मन में खोट का संकेत करती है।
भट्ट ने चुनाव आयोग के एसआईआर को लेकर विपक्षी आपत्तियों को दरकिनार करने को सांविधानिक प्रक्रिया बताया है। कहा कि सभी जानते हैं कि आजादी के बाद 2004 तक देश में आठ बार यह प्रक्रिया पूरी की गई है। तब किसी तरह की आपत्ति राजनैतिक दलों ने नहीं की। दुर्भाग्यपूर्ण है कि तुष्टिकरण की राजनीति के चलते इस वैधानिक प्रक्रिया पर भ्रम फैलाया जा रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि चुनाव आयोग स्पष्ट कर चुका है कि इस पुनरीक्षण के तहत जो मतदाता मृत हो गए, दूसरे राज्यों में स्थानांतरित हो गए हैं या मतदाता मानकों को पूरा नहीं करते हैं, केवल उनका नाम हटाया जाएगा। उसमें भी उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया जाता है। लिहाजा मतदाता सूची को समय-समय पर संशोधित करने की इस वैधानिक प्रक्रिया के विरोध को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
भट्ट ने कहा कि विपक्ष का यह दावा कि बिहार में एसआईआर हुआ और उनके समर्थक वोटों को ही हटाया गया है, पूरी तरह हास्यास्पद और सफेद झूठ है। कांग्रेस समेत विपक्ष के तर्क से लगता है कि जो भी अयोग्य या फर्जी मतदाता था, वो उनका समर्थक ही था। उनके नेताओं को मालूम है कि कौन-कौन फर्जी वोटर हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा सरकार एसआईआर की इस सांविधानिक प्रक्रिया को उत्तराखंड में पूरा करने में सहयोग करेगी।
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अमर उजाला ब्यूरो
देहरादून। भाजपा ने एसआईआर की प्रक्रिया को प्रदेश में डेमोग्राफी बदलने की मंशा के ताबूत पर आखिरी कील साबित होने वाला बताया है। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि विपक्ष को क्यों लगता है कि जो भी फर्जी नाम मतदाता सूची से हटे हैं या हटेंगे, वो सभी उनके ही समर्थक होंगे? यह कहीं न कहीं कांग्रेस और विपक्ष के मन में खोट का संकेत करती है।
भट्ट ने चुनाव आयोग के एसआईआर को लेकर विपक्षी आपत्तियों को दरकिनार करने को सांविधानिक प्रक्रिया बताया है। कहा कि सभी जानते हैं कि आजादी के बाद 2004 तक देश में आठ बार यह प्रक्रिया पूरी की गई है। तब किसी तरह की आपत्ति राजनैतिक दलों ने नहीं की। दुर्भाग्यपूर्ण है कि तुष्टिकरण की राजनीति के चलते इस वैधानिक प्रक्रिया पर भ्रम फैलाया जा रहा है।
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प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि चुनाव आयोग स्पष्ट कर चुका है कि इस पुनरीक्षण के तहत जो मतदाता मृत हो गए, दूसरे राज्यों में स्थानांतरित हो गए हैं या मतदाता मानकों को पूरा नहीं करते हैं, केवल उनका नाम हटाया जाएगा। उसमें भी उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया जाता है। लिहाजा मतदाता सूची को समय-समय पर संशोधित करने की इस वैधानिक प्रक्रिया के विरोध को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
भट्ट ने कहा कि विपक्ष का यह दावा कि बिहार में एसआईआर हुआ और उनके समर्थक वोटों को ही हटाया गया है, पूरी तरह हास्यास्पद और सफेद झूठ है। कांग्रेस समेत विपक्ष के तर्क से लगता है कि जो भी अयोग्य या फर्जी मतदाता था, वो उनका समर्थक ही था। उनके नेताओं को मालूम है कि कौन-कौन फर्जी वोटर हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा सरकार एसआईआर की इस सांविधानिक प्रक्रिया को उत्तराखंड में पूरा करने में सहयोग करेगी।