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चीन लैंड क्रूजर तो भारत खच्चरों के जरिये कर रहा व्यापार, देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ रहा असर

गौरव पांडेय, अमर उजाला, पिथौरागढ़ Updated Mon, 04 Jun 2018 07:30 AM IST
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Chinese businessman on land cruiser and Indian businessman on Mule
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भारत-चीन व्यापार की भारतीय अंतरराष्ट्रीय मंडी गुंजी बदहाली के आंसू बहा रही है। चीन के व्यापारी लैंड क्रूजर (वाहन) से व्यापार कर रहे हैं, जबकि भारतीय व्यापारी अब भी खच्चरों पर सफर करने और माल ढोने पर मजबूर हैं।

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बुनियादी सुविधाओं के अभाव में भारतीय व्यापारियों का कारोबार से मोह भंग हो रहा है। इसके चलते दोनों देशों के बीच सदियों से चले आ रहे व्यापार में भारतीय कारोबारियों की संख्या और भारत का निर्यात घट रहा है, जबकि आयात बढ़ता जा रहा है। नतीजतन भारतीय करेंसी चीन की जेब में जा रही है। इससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ रहा है।
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15 साल पहले गुंजी में एसबीआई की शाखा खुलने के बाद भी विदेशी मुद्रा विनिमय की सुविधा नहीं मिल पाई है। मुद्रा विनिमय की समस्या के चलते भारतीय कारोबारी महज लागत वसूल कर लौटने को मजबूर हो रहे हैं।

सुविधाओं के अभाव से पड़े बुरे प्रभाव

Chinese businessman on land cruiser and Indian businessman on Mule
Toyota Land Cruiser
सुविधाओं का अभाव भारतीय व्यापारियों की संख्या घटने और मुद्रा विनिमय निर्यात घटने के सबसे बड़े कारण के रूप में उभरकर सामने आया है।

- सदियों से दोनों देशों के हो रहा परंपरागत व्यापार
- वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद रुका व्यापार
- वर्ष 1992 में दोबारा शुरू हुआ दोनों देशों के बीच व्यापार
- वर्तमान में दोनों देशों के बीच लगभग आठ करोड़ का व्यापार

वर्ष 2002 के बाद नहीं आया कोई चीनी व्यापारी 
भारत की अंतरराष्ट्रीय मंडी की बदहाली के चलते चीनी व्यापारियों ने पूरी तरह से दूरी बना ली है। हालात यह हैं कि वर्ष 2002 के बाद किसी भी चीनी व्यापारी ने गुंजी में कदम नहीं रखे। नतीजतन भारतीय व्यापारी ही कारोबार के लिए तकलाकोट का रुख कर रहे हैं।
 

दोनों देशों के बीच व्यापार की तुलनात्मक स्थिति 

Chinese businessman on land cruiser and Indian businessman on Mule
india china
वर्ष                    आयात               निर्यात         भारतीय व्यापारियों की संख्या
2012      -   18308600    -     8844695       -        201
2013    -     15830300    -     12993817       -       217
2014    -     24875059      -    18206865        -      273
2015     -    32618475       -    16232670         -     191
2016      -   52155619        -    7595650           -    195
2017       -   72449891        -    8546050           -    195
नोट: आयात-निर्यात की राशि भारतीय रुपये में

दोनों देशों की अंतरराष्ट्रीय मंडी की तुलनात्मक स्थिति   
चीन की अंतरराष्ट्रीय मंडी तकलाकोट में सुविधाएं    - भारत की अंतरराष्ट्रीय मंडी गुंजी में समस्याएं 
चमचमाती सड़कें                               -  निर्माणाधीन और बदहाल सड़क 
अत्याधुनिक चिकित्सा सेवा                    - फर्स्ट एड किट पर निर्भरता 
अत्याधुनिक संचार और वाईफाई सेवा         - संचार सेवा का अभाव, नेपाली दूरसंचार कंपनी पर निर्भरता 
अत्याधुनिक सुविधा वाले विश्राम गृह        - सिर छुपाने के लिए महज टेंट की व्यवस्था 
मंडी तक वाहनों की आवाजाही              - खच्चरों से सफर और माल ढोने की मजबूरी 
बिजली से रोशन मंडी                      - सोलर लालटेन पर निर्भरता  
जीवनयापन की आधुनिक सेवाएं           - पीने के लिए अदद पानी का अभाव 
मुद्रा विनिमय की सुविधा                    - मुद्रा विनियम का अभाव 

भारत-चीन के बीच दोबारा व्यापार शुरू हुए 28 साल का समय बीत चुका है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंडी की तस्वीर पुरानी है। हैरत है कि अब तक हमारी सरकार पानी, बिजली, सड़क, संचार की सुविधा तक नहीं दे सकी। इन हालातों में भारतीय व्यापारियों का रुझान कम हो रहा है।
- दिनेश गुंज्याल, सचिव भारत-चीन व्यापार संघ
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