देहरादून में हुई ऐसी-ऐसी घटनाएं, हैरत में मौसम विज्ञानी, जानिए...
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में इनदिनों ऐसी-ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनसे मौसम विज्ञानी भी हैरान है। जानिए, ऐसी कौन सी घटनाएं हैं, जिनसे सभी विज्ञानी हैरान हो गए...
राजधानी में बीते 12 जुलाई को भारी से भारी बारिश हुई थी। एक घंटे में करीब 90 मिमी बारिश हुई थी, जो बादल फटने के करीब है। मौसम विभाग के मुताबिक, बृहस्पतिवार को हुई भारी बारिश भी बादल फटने जैसी थी। एक घंटे में 143 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि राजधानी के शहरी क्षेत्र में इस तरह की बारिश जलवायु परिवर्तन के नए बदलावों की ओर इशारा कर रही है। मौसम विभाग खुद इस पर शोध में भी जुट गया है।
अभी तक बादल फटने जैसी घटनाएं ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों में होती आई हैं। मौसम विभाग के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि दून में एक माह के भीतर दो बार भारी बारिश की घटनाएं हुई हैं। हाल के वर्षों में ऐसी घटना इसी साल हुई है। इस पर अध्ययन भी किया जा रहा है।
जानिए, और बातें...
राजधानी में बृहस्पतिवार दोपहर तीन से चार बजे के बीच एक घंटे के भीतर ही 143 मिमी बारिश हो गई। घंटाघर और इसके आसपास के इलाकों में जो सड़कें भारी बारिश के बावजूद पानी से लबालब नहीं होती थी, वहां जबर्दस्त पानी भर गया। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, इसे कोई सामान्य घटना नहीं कहा जा सकता है।
राजधानी में बीते 24 घंटे में मौसम विभाग ने करीब 150 मिमी बारिश रिकॉर्ड की है। इसमें सबसे ज्यादा बारिश बृहस्पतिवार दोपहर तीन बजे से चार बजे के बीच हुई है। हालांकि, शुक्रवार को बारिश का आंकड़ा 0.6 मिमी पर पहुंच पाया।
हर 15 मिनट में मिल रहा बारिश का अपडेट
राजधानी में होने वाली बारिश का हाल अब हर 15 मिनट में मौसम विभाग को पता चल जाता है। पहली बार मौसम विभाग ने अत्याधुनिक उपकरण सर्वे ऑफ इंडिया परिसर में लगाया है। इसके माध्यम से विभाग बारिश का सही आकलन कर पा रहा है।
मौसम विभाग का वेदर स्टेशन हरिद्वार रोड पर स्थित है। यहीं से आने वाली रीडिंग के हिसाब से मौसम का आकलन किया जाता है। पहले सर्वे ऑफ इंडिया परिसर, ईसी रोड पर भी विभाग का केंद्र था, जो बंद कर दिया गया है। हाल ही में विभाग ने यहां एक अत्याधुनिक उपकरण लगाया है।
मौसम विभाग के मुताबिक, इस वेदर इंस्ट्रूमेंट में जीपीआरएस सेटिंग है, जो हर 15 मिनट में होने वाली बारिश का आंकड़ा उन्हें उपलब्ध करा रही है। इस उपकरण के लगने से मौसम का अध्ययन और बेहतर एवं आसान हो गया है।