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Doon Hospital: रेडियोथेरेपी, सर्जरी और पैट-स्कैन की सुविधा उपलब्ध नहीं, कैंसर के इलाज के लिए भटकते हैं मरीज
अमर उजाला, न्यूज डेस्क, देहरादून
Published by: देहरादून ब्यूरो
Updated Wed, 27 Mar 2024 04:22 PM IST
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सार
दून अस्पताल के कैंसर रोग विभाग के एचओडी व ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. दौलत सिंह ने बताया कि कैंसर का इलाज तीन चरण में सर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी से होता है।

मरीजों की भीड़
- फोटो : अमर उजाला (फाइल फोटो)
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विस्तार
राजधानी के मरीजों को कैंसर के इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कैंसर के इलाज को मरीज आते हैं लेकिन यहां आने के बाद इलाज के लिए निजी अस्पताल जाना पड़ता है। अस्पताल में रेडियोथेरेपी, सर्जरी और पैट-स्कैन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मरीजों को रेफर करना पड़ता है। हर्रावाला में बना कैंसर अस्पताल अबतक शुरू नहीं हो पाया है।

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दून अस्पताल के कैंसर रोग विभाग के एचओडी व ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. दौलत सिंह ने बताया कि कैंसर का इलाज तीन चरण में सर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी से होता है। कैंसर का पता लगने के बाद उसे कीमोथेरेपी देकर के छोटा किया जाता है इसके बाद सर्जरी करके ऑपरेट किया जाता है और रेडियोथेरेपी देने से उसकी जड़ों को खत्म किया जाता है। इससे कैंसर उभरने की संभावना दोबारा नहीं रहती। रेडियोथेरेपी और सर्जरी की सुविधा न होने पर इनके 20 से 25 मरीजों को हर महीने रेफर करना पड़ता है। इमरजेंसी में जनरल सर्जन ही कैंसर सर्जरी करते हैं। यहां पर सिर्फ कीमोथेरेपी की सुविधा मिल पा रही है।
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पैट-स्कैन से कैंसर की शुरुआत पता चलती
डॉ. दौलत सिंह ने बताया कि कैंसर का पता लगाने के लिए पैट-स्कैन की सुविधा होती है लेकिन अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसके माध्यम से कैंसर की प्राथमिक अवस्था में कैंसर का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा कैंसर के लक्षण न होने पर भी कैंसर का पता लग जाता है। यह एक विशिष्ट व महंगी जांच है लेकिन कीमत अधिक होने की वजह से सभी मरीज इस जांच को करवा नहीं पाते हैं। इस जांच की कीमत 20 हजार से 35 हजार रुपये तक है। यह जांच दून के एम्स ऋषिकेश, जौलीग्रांट और कैलाश अस्पताल में उपलब्ध है। यह जांच केवल डॉक्टर की सलाह पर करवानी चाहिए।
हर महीने हो रहे मरीज रेफर
दून अस्पताल में इस सुविधा को शुरू करने के लिए बात चल रही है लेकिन अस्पताल में जगह की पर्याप्त सुविधा भी इसमें बाधा बन रही है। अस्पताल से हर महीने पांच से 10 मरीज इस जांच के लिए निजी अस्पताल भेजे जाते हैं।
आयुष्मान से नहीं हो पाती जांच
डॉ. दौलत सिंह ने बताया है कि आयुष्मान कार्ड धारकों को भी पैट-स्कैन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इस जांच का खर्च आयुष्मान कार्ड से नहीं होता। इसका खर्च मरीजों को खुद ही वहन करना होगा।