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ऋषिकेश: 24 घंटे बाद भी ओवरहेड वाटर टैंक से नीचे नहीं उतरे गीता भवन के निष्कासित कर्मचारी
संवाद न्यूज एजेंसी, ऋषिकेश
Published by: अलका त्यागी
Updated Sat, 23 Oct 2021 11:28 AM IST
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सार
स्वर्गाश्रम स्थित गीता भवन की आयुर्वेदिक फार्मेंसी 16 दिसंबर 2020 को सिडकुल हरिद्वार स्थानांतरित हो गई थी। इसके बाद ट्रस्ट ने 32 कर्मचारियों को भुगतान करना बंद कर दिया था।

टैंक पर चढ़े कर्मचारी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
ऋषिकेश में गीता भवन की आयुर्वेदिक फार्मेसी से निष्कासित नौ कर्मचारी और एक आठ साल का बच्चा आश्रम परिसर स्थित टंकी पर बीते 24 घंटे से नीचे नहीं उतरे हैं। प्रशासन और पुलिस की टीम मौके पर मौजूद है और उन्हें मनाने का प्रयास कर रही है, लेकिन कर्मचारी नौकरी पर वापस रखने और लंबित वेतन के भुगतान को लेकर लिखित आश्वासन के बाद ही नीचे उतरने की जिद पर अड़े हैं। वहीं गीता भवन ट्रस्ट ने मामला लेबर कोर्ट में विचाराधीन होने का हवाला देते मांगों को लेकर अपना पल्ला झाड़ दिया है।

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स्वर्गाश्रम स्थित गीता भवन की आयुर्वेदिक फार्मेंसी 16 दिसंबर 2020 को सिडकुल हरिद्वार स्थानांतरित हो गई थी। इसके बाद ट्रस्ट ने 32 कर्मचारियों को भुगतान करना बंद कर दिया था। 16 जून 2021 को इन कर्मचारियों को ट्रस्ट ने निष्काषित कर दिया था। इसके बाद कर्मचारियों ने ट्रस्ट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
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हाल में न्यायालय की ओर से कर्मचारियों को आवास खाली करने का नोटिस जारी किया गया था। जिससे कर्मचारियों में जबरदस्त अक्रोश था। शुक्रवार सुबह निष्कासित कर्मचारी मनोरंजन पासवान, प्रमोद यादव, ललित पासवान, दलीप पासवान, मानव राय, श्रीराम पासवान, बहादुर पासवान, बिजेंद्र, धीरेंद्र सिंह बिष्ट टंकी पर चढ़ गए थे।
वहीं बहादुर पासवान का आठ वर्ष का बेटा श्रीधांसु भी उसके साथ था। कर्मचारी नौकरी पर वापस रखने, 11 महीने के लंबित वेतन के भुगतान, पीएफ, ईएसआई और बीमा की सुविधा मांग करने लगे। वहीं मांग पूरी न होने पर टंकी से कूदकर आत्महत्या करने की चेतावनी दी। तहसीलदार के निर्देश पर लेबर अफसर मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि लेबर कोर्ट 12 नंवबर को मामले की सुनवाई होनी है। तहसीलदार मनजीत सिंह लेबर अफसर से बात कर 23 अक्तूबर को सुनवाई तय कराई। लेकिन इसके बाद कर्मचारी नहीं माने। फिलहाल तहसीलदार कर्मचारियों को मनाने में जुटे हैं।
लीज समाप्त कब्जा बरकरार
तहसीलदार मनजीत सिंह को निष्कासित कर्मचारियों ने बताया कि ट्रस्ट को लीज पर मिली भूमि की अवधि समाप्त हो चुकी है। इसके बावजूद भी भूमि पर ट्रस्ट का कब्जा बरकार है। तहसीलदार ने कर्मचारियों को जिलाधिकारी को शिकायत देने या हाईकोर्ट याचिका दायर करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी या कोर्ट का आदेश मिलने पर आख्या वे ही तैयार करेंगे। ऐसे में अगर अवैध कब्जा है तो उस पर निश्चित तौर कार्रवाई होगी।
विधायक का फोन स्विच ऑफ, सासंद ने दिए निर्देश
मौके से कर्मचारियों ने स्थानीय विधायक रितु खंडूड़ी को फोन किया। लेकिन कर्मचारियों ने कहा कि पहले विधायक से बात हुई। इसके बाद अचानक उनका नंबर स्विच ऑफ हो गया। इसके बाद कर्मचारियों ने पूर्व मुख्यमंत्री और गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत को फोन मिलाया। उन्होंने कर्मचारियों को तत्काल मामले में कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी को निर्देशित करने का आश्वासन दिया।