सुंदरढूंगा ग्लेशियर में जान गंवाने वाले पांच ट्रैकरों के शवों को आखिरकार एसडीआरएफ की टीम, गाइड और स्थानीय लोगों ने ढूंढ लिया। पांचों ट्रैकर बंगाल के रहने वाले थे। इनके शव निकाल लिए गए हैं। पश्चिम बंगाल से पहुंचे उनके परिजनों ने शवों की शिनाख्त की। लापता गाइड कपकोट के जैकुनी (वाछम) निवासी खिलाफ सिंह दानू का कोई सुराग नहीं लगा है। उनकी खोज के लिए एसडीआरएफ की दूसरी टीम सुंदरढूंगा रवाना की जाएगी।
पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के बागवान निवासी सागर डे (27) चंद्रशेखर दास (32), सरित शेखर दास (35) नदिया राजघाट निवासी प्रीतम राय (27) और कोलकाता बिहाला निवासी सादान बसाक (63) 12 अक्तूबर को जैकुनी निवासी गाइड खिलाफ सिंह दानू और चार पोर्टरों के साथ सुंदरढूंगा के लिए रवाना हुए थे। 17 अक्तूबर को बारिश और बर्फबारी के कारण दल लौटने लगा लेकिन बुजुर्ग ट्रैकर सादान बसाक की तबियत बिगड़ने के कारण इन लोगों को लौटने में दिक्कत आई। 18 अक्तूबर को गाइड खिलाफ सिंह दानू ने चारों पोर्टरों से कठलिया लौटकर बेस कैंप बनाने के लिए कहा। पोर्टर तो लौट गए लेकिन खिलाफ सिंह और पांचों ट्रैकर नहीं लौट पाए।
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वापस आए पोर्टरों ने पांचों ट्रैकरों और गाइड के देवीकुंड नामक स्थान में फंसने की जानकारी दी। 21 अक्तूबर से जिला प्रशासन ने खोज और बचाव अभियान शुरू किया। सेना के हेलीकॉप्टरों से भी रेकी की गई लेकिन खराब मौसम के कारण सफलता नहीं मिली। 23 और 24 अक्तूबर को एसडीआरएफ की टीम के साथ स्थानीय लोगों को खोजबीन के लिए पैदल रवाना किया गया। दल ने 25 अक्तूबर को पांच शव देवीकुंड ग्लेशियर में पड़े देखे। मंगलवार को एसडीआरएफ ने बर्फ में दबे पांचों शवों को निकाल लिया। शवों को सेना के दो हेलीकॉप्टरों के माध्यम से कपकोट के केदारेश्वर मैदान में बनाए गए हेलीपैड लाया गया। कपकोट सीएचसी में पांचों शवों की शिनाख्त बंगाल से आए उनके परिजनों सुब्रतो डे, अभिजीत राय और विश्वजीत दास ने की। पोस्टमार्टम के बाद शवों को दिल्ली से आए रेजीडेंट कमिश्नर को सौंप दिया गया। रेजीडेंट कमिश्नर दिल्ली से दो एंबुलेंस के साथ कपकोट पहुंचे थे। शवों को दिल्ली से हवाई जहाज से पश्चिम बंगाल ले जाया जाएगा।
मंगलवार को जब एसडीआरएफ के जवान देवीकुंड में बर्फ में दबे पांचों ट्रैकरों के शव निकाल रहे थे तो वहां जबरदस्त बर्फबारी हो रही थी। एसडीआरएफ की टीम ने हौसला बनाए रखा और पांचों शवों को निकाल लिया। डीएम विनीत कुमार ने एसडीआरएफ की टीम, गाइड और पोर्टरों की सराहना की है। इस मौके पर कपकोट में जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव, विधायक बलवंत सिंह भौर्याल, एसपी अमित श्रीवास्तव, एसडीएम पारितोष वर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष शिव सिंह बिष्ट आदि मौजूद थे।
बचाव अभियान में ये थे शामिल
एसडीआरएफ के दीपक पंत, हृदयेश परिहार, बिजेंद्र कुड़ियाल, दीपक नेगी, श्रीकांत नौटियाल, यशपाल, अभिषेक मंडोली, कैलाश परगाई, गाइड रोहित शाह, बाछम निवासी जय सिंह, गंगा सिंह, जातोली के निवासी भगवत सिंह, शेर सिंह।
डीएम ने लापता गाइड के परिजनों से की मुलाकात
डीएम विनीत कुमार ने मंगलवार को जैकुनी गांव जाकर लापता गाइड खिलाफ सिंह दानू के परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि प्रशासन उन्हें ढूंढने का पूरा प्रयास कर रहा है। प्रशासन और सरकार दानू के परिवार की हरसंभव मदद करेगा। वहां पर खिलाफ सिंह के भाई आनंद सिंह, खिलाफ सिंह के तीनों बच्चे और अन्य परिजन थे।
पंखू टॉप में फंसे 20 लोगों को सुरक्षित निकाला
खातीगांव के पंखू टॉप में फंसे 20 लोगों और 600 बकरियों को पुलिस और एसडीआरएफ की टीम ने सुरक्षित निकाल लिया है। ये लोग पिंडारी, सरमूल, कफनी, सुंदरढूंगा में फंसे थे। पुलिस के अनुसार इन लोगों को खोजने के लिए 24 अक्तूबर को पुलिस, फायर और एसडीआरएफ की संयुक्त टीम बनाई गई थी। मंगलवार को इन लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया।
विस्तार
सुंदरढूंगा ग्लेशियर में जान गंवाने वाले पांच ट्रैकरों के शवों को आखिरकार एसडीआरएफ की टीम, गाइड और स्थानीय लोगों ने ढूंढ लिया। पांचों ट्रैकर बंगाल के रहने वाले थे। इनके शव निकाल लिए गए हैं। पश्चिम बंगाल से पहुंचे उनके परिजनों ने शवों की शिनाख्त की। लापता गाइड कपकोट के जैकुनी (वाछम) निवासी खिलाफ सिंह दानू का कोई सुराग नहीं लगा है। उनकी खोज के लिए एसडीआरएफ की दूसरी टीम सुंदरढूंगा रवाना की जाएगी।
पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के बागवान निवासी सागर डे (27) चंद्रशेखर दास (32), सरित शेखर दास (35) नदिया राजघाट निवासी प्रीतम राय (27) और कोलकाता बिहाला निवासी सादान बसाक (63) 12 अक्तूबर को जैकुनी निवासी गाइड खिलाफ सिंह दानू और चार पोर्टरों के साथ सुंदरढूंगा के लिए रवाना हुए थे। 17 अक्तूबर को बारिश और बर्फबारी के कारण दल लौटने लगा लेकिन बुजुर्ग ट्रैकर सादान बसाक की तबियत बिगड़ने के कारण इन लोगों को लौटने में दिक्कत आई। 18 अक्तूबर को गाइड खिलाफ सिंह दानू ने चारों पोर्टरों से कठलिया लौटकर बेस कैंप बनाने के लिए कहा। पोर्टर तो लौट गए लेकिन खिलाफ सिंह और पांचों ट्रैकर नहीं लौट पाए।
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वापस आए पोर्टरों ने पांचों ट्रैकरों और गाइड के देवीकुंड नामक स्थान में फंसने की जानकारी दी। 21 अक्तूबर से जिला प्रशासन ने खोज और बचाव अभियान शुरू किया। सेना के हेलीकॉप्टरों से भी रेकी की गई लेकिन खराब मौसम के कारण सफलता नहीं मिली। 23 और 24 अक्तूबर को एसडीआरएफ की टीम के साथ स्थानीय लोगों को खोजबीन के लिए पैदल रवाना किया गया। दल ने 25 अक्तूबर को पांच शव देवीकुंड ग्लेशियर में पड़े देखे। मंगलवार को एसडीआरएफ ने बर्फ में दबे पांचों शवों को निकाल लिया। शवों को सेना के दो हेलीकॉप्टरों के माध्यम से कपकोट के केदारेश्वर मैदान में बनाए गए हेलीपैड लाया गया। कपकोट सीएचसी में पांचों शवों की शिनाख्त बंगाल से आए उनके परिजनों सुब्रतो डे, अभिजीत राय और विश्वजीत दास ने की। पोस्टमार्टम के बाद शवों को दिल्ली से आए रेजीडेंट कमिश्नर को सौंप दिया गया। रेजीडेंट कमिश्नर दिल्ली से दो एंबुलेंस के साथ कपकोट पहुंचे थे। शवों को दिल्ली से हवाई जहाज से पश्चिम बंगाल ले जाया जाएगा।