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Uttarakhand Samvad 2023: पतंजलि के योगदान से लेकर आयुर्वेद से जुड़ाव की यात्रा तक; पढ़ें बालकृष्ण की अहम बातें

अमर उजाला नेटवर्क, देहरादून Published by: आकाश दुबे Updated Mon, 19 Jun 2023 06:29 PM IST
सार

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आयुर्वेद पर विश्वास करना जरूरी है। उत्तराखंड में सात हजार से ज्यादा पेड़-पौधे और औषधीय वनस्पतियां हैं। उत्तराखंड में आयुर्वेद की दृष्टि से बात की जाए तो यहां अपार संभावनाएं हैं।

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Uttarakhand Samvad Acharya Balakrishna explained importance of Ayurveda from contribution of Patanjali in UK
Uttarakhand Samvad 2023 - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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अमर उजाला उत्तराखंड संवाद 2023 कार्यक्रम के अंतिम सत्र को पतंजलि योग पीठ के आचार्य बालकृष्ण ने संबोधित किया। उन्होंने आयुर्वेद और योग से जुड़ाव की अपनी यात्रा को साझा करते हुए कहा कि मेरी मां जटी-बूटी की जानकार रहीं। बचपन में मुझे कोई परेशानी होती तो माता जी ही मुझे कड़वी जड़ी-बूटी दिया करती थी और मैं ठीक हो जाया करता था, वहीं से मेरे अंदर भी आयुर्वेद को लेकर रुचि जागी।

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आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आयुर्वेद पर विश्वास करना जरूरी है। उत्तराखंड में सात हजार से ज्यादा पेड़-पौधे और औषधीय वनस्पतियां हैं। उत्तराखंड में आयुर्वेद की दृष्टि से बात की जाए तो यहां अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने उत्तराखंड में उगाए जाने वाले मोटे अनाज मिलेट्स को बढ़ावा देने की बात कही। कहा कि घुटनों में जब दर्द होता है तो हम विटामिन सी या कैल्शियम की टैबलेट लेते हैं। इससे दवा बनाने कोई फैक्टरी या कोई कंपनी होगी उसे लाभ मिलेगा। जबकि कैल्शियम या मिनरल्स की पूर्ति हम ज्वार, बाजरा को खाकर भी कर सकते हैं। मोटे अनाज का सेवन करने से सब मिनरल्स की पूर्ति के साथ ही उसका पैसा किसानों को मिलेगा। इसीलिए स्वदेसी से स्वावलंबन की बात हो रही है। लोकल फॉर लोकल की बात हो रही है। इस दौरान अमर उजाला के सलाहकार संपादक और वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने आचार्य बालकृष्ण से उत्तराखंड के विकास और भविष्य में उनके योगदान को लेकर सवाल पूछे। आइए कुछ प्रमुख सवालों पर नजर डालते हैं- 
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सवाल- सरकार ने जो अलग आयुष मंत्रालय बनाया है, उसने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पर क्या प्रभाव डाला ?
जवाब- यह अच्छा कदम है लेकिन पर्याप्त नहीं है। अभी इस दिशा में और काम करने की जरूरत है। आयुष का योगदान भारत में योगदान मात्र दो से ढाई फीसदी है। जबकि चीन का योगदान इससे काफी ज्यादा आगे है।

सवाल- योग गुरु रामदेव और आचार्य बालकृष्ण का मिलन कैसे हुआ?
उत्तर- परमात्मा की इच्छा से हम मिले। हम गुरुकल में पढ़ते थे। स्वामी जी सीनियर थे और हम जूनियर। हमारे पास इतने भी पैसे से नहीं थे कि ट्रस्ट का पंजीकरण करा सकें। दो लोगों से इसके लिए लोन लिया। 

सवाल- उत्तराखंड के विकास के लिए पतंजलि की क्या योजना है?
जवाब- उत्तराखंड के कुल उद्योग द्वारा दी जा रही नौकरियों में 10 प्रतिशत नौकरियां पतंजलि दे रहा है। पहाड़ के पलायन को रोकने के लिए पतंजलि एग्रीकल्चर और हॉर्टिकल्चर को बढ़ावा दे रहा है। स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम चला रहा है। चार हजार से ज्यादा शिक्षक-शिक्षिकाएं गांव-गांव में लोगों को योग सिखा रहे हैं। पतंजलि हर प्रयास कर रहा हैं लोगों को रोजगार देने की।

सवाल- पतंजलि और स्वामी रामदेव पर ये आरोप क्यों लगता है कि पतंजलि एक पक्ष का साथ देता है?
जवाब- हमने न किसी राजनीति पार्टी और न किसी पार्टी की सदस्यता की बात की। हमने देश की बात जो राष्ट्रहित की बात करेगा, उसके साथ हम सदैव खड़े रहेंगे। 

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