Constipation: कोविड से बढ़े बच्चों में बढ़े कब्ज के 30 फीसदी मामले, खानपान में रखें इन बातों का ध्यान
डॉक्टर ने कहा कि ओपीडी में आने वाले चार में से एक बच्चा कब्ज से पीड़ित है। उन्होंने कहा कि बच्चों में कब्ज की समस्या को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है और इसका डायग्नोसिस भी नहीं किया जाता है।
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कोरोना महामारी के बाद बच्चों में कब्ज के गंभीर मामले 30 फीसदी तक बढ़ गए हैं। कोविड के दौरान बच्चों में शारीरिक गतिविधियां कम हुई, लेकिन बच्चों ने फुल-क्रीम दूध सहित अन्य डेयरी उत्पादों, तली हुई चीजों का ज्यादा सेवन और चॉकलेट ज्यादा खाया। बच्चों ने तरल पदार्थ का सेवन भी कम किया। यही कारण है कि दो से 12 साल के बच्चों की दिक्कत बढ़ गई है।
आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल के निदेशक व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सैयद मुस्तफा हसन ने कहा कि हर दिन ओपीडी में करीब 10 कब्ज के गंभीर केस देख रहे हैं। इस समस्या के कारण बच्चों में मोटापा, जल्दी यौवनावस्था का आना, विटामिन डी की कमी और कब्ज के अलावा मानसिक और व्यवहार संबंधी समस्याओं के होने का खतरा बढ़ा दिया है। क्लीनिकल प्रैक्टिस में कब्ज की घटनाएं बढ़ गई हैं।
एक चौथाई कब्ज से पीड़ित
डॉक्टर ने कहा कि ओपीडी में आने वाले चार में से एक बच्चा कब्ज से पीड़ित है। उन्होंने कहा कि बच्चों में कब्ज की समस्या को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है और इसका डायग्नोसिस भी नहीं किया जाता है। कब्ज की समस्या बच्चों में कम आंकी जाती है। यह समस्या होने पर पेट के लक्षणों के अलावा भी कई लक्षण नजर आते हैं। इसमें चिड़चिड़ापन और गैस्ट्रोएंटेराइटिस के एपिसोड आदि लक्षण हो सकते हैं।
नवजात में कम
कब्ज के मामले नवजात शिशुओं में कम देखने को मिलता है। दो साल से छोटे बच्चों में यह समस्या देखने को नहीं मिलती। डॉ. हसन ने कहा कि बच्चों को फल, सब्जियां, बीन्स और साबुत अनाज अनाज आदि देना चाहिए। अगर आपका बच्चा फाइबर से भरपूर डाइट को नहीं खा पाता है, तो गैस और सूजन को रोकने के लिए एक दिन में कुछ ग्राम फाइबर ही उसे खिलाएं और फिर धीरे-धीरे यह मात्रा बढ़ाते रहें।