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Delhi: हाईकोर्ट ने अमानतुल्लाह खान की याचिका खारिज की, कोर्ट ने कहा- पीआईएल नहीं व्यक्तिगत याचिकाएं दाखिल करें

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली Published by: श्याम जी. Updated Wed, 11 Jun 2025 05:34 PM IST
सार

दिल्ली हाईकोर्ट ने आप नेता अमानतुल्लाह खान की पीआईएल खारिज कर दी, जिसमें बाटला हाउस में डीडीए के विध्वंस पर रोक मांगी गई थी। कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत याचिकाओं के जरिए मामला उठाया जाना चाहिए।

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Delhi HC dismisses Amanatullah Khan plea to stop DDA demolition of Batla House
विधायक अमानतुल्लाह खान - फोटो : X/@KhanAmanatullah
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दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) नेता अमानतुल्लाह खान द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) खारिज कर दिया याचिका में बाटला हाउस क्षेत्र में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के प्रस्तावित विध्वंस अभियान पर रोक लगाने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया और न्यायमूर्ति तेजस करिया की अवकाश पीठ ने इस मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुनाया कि यह मामला जनहित के बजाय व्यक्तिगत याचिकाओं के माध्यम से उठाया जाना चाहिए।



याचिका में दावा किया गया था कि डीडीए द्वारा जारी नोटिस सामान्य प्रकृति के हैं और खसरा नंबर 279 से बाहर की संपत्तियों को भी प्रभावित कर रहे हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के 7 मई 2025 के आदेश का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माणों को हटाने के लिए 15 दिन का नोटिस और उचित प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश दिया था। हालांकि, कोर्ट ने पाया कि व्यक्तिगत निवासियों को ही अपनी संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई को चुनौती देने का अधिकार है, न कि सामूहिक रूप से पीआईएल के माध्यम से।
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सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने तर्क दिया कि निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में वे उन लोगों की ओर से बोल रहे हैं जो खुद को प्रभावित नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि बुलडोजर शुरू होने तक यह स्पष्ट नहीं है कि कौन प्रभावित होगा। इसके बावजूद, कोर्ट ने कहा कि सामान्य संरक्षण का आदेश देने से व्यक्तिगत याचिकाकर्ताओं के मामले प्रभावित हो सकते हैं। न्यायमूर्ति कथपालिया ने टिप्पणी की, हम उन्हें रोक नहीं सकते, यही पूरा मुद्दा है। अंत में, कोर्ट ने याचिका को वापस लेने की अनुमति दी ताकि खान स्थानीय निवासियों को तीन दिनों के भीतर उचित याचिका दायर करने के उनके अधिकारों से अवगत करा सकें।
और अचानक नोटिस जारी कर उनके घरों को तोड़ना अनुचित है। इस मामले में डीडीए की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

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