{"_id":"691c3fab3e4e45112807dca5","slug":"terrorism-using-education-madrassa-started-with-terror-funding-imam-used-to-educate-more-than-20-children-2025-11-18","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"शिक्षा के सहारे आतंक का खेल: टेरर फंडिंग से शुरू किया मदरसा... इमाम 20 से अधिक बच्चों को देता था तालीम","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
शिक्षा के सहारे आतंक का खेल: टेरर फंडिंग से शुरू किया मदरसा... इमाम 20 से अधिक बच्चों को देता था तालीम
अमर उजाला नेटवर्क, फरीदाबाद
Published by: शाहरुख खान
Updated Tue, 18 Nov 2025 03:21 PM IST
सार
शिक्षा के सहारे आतंक का खेल खेला जा रहा था। टेरर फंडिंग से मदरसा शुरू किया गया। मदरसे में इमाम 20 से अधिक बच्चों को तालीम देता था। यह मदरसा यूनिवर्सिटी से 700 मीटर की दूरी पर है।
विज्ञापन
अल फलाह यूनिवर्सिटी
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
अल-फलाह यूनिवर्सिटी के व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल लिंक में पकड़े गए डॉ. मुज्जमिल ने शिक्षा के सहारे आतंक का खेल भी शुरू किया था। टेरर फंडिंग से यूनिवर्सिटी से लगभग 700 मीटर की दूरी पर एक 200 गज का प्लॉट खरीदकर मदरसा तैयार कराया गया। यहां इमाम इश्तियाक 20 से अधिक बच्चों को तालीम देता था।
आधिकारिक सूत्रों की मानें तो 14 लाख रुपये में ये प्लॉट लगभग डेढ़ साल पहले खरीदा गया। इस प्लॉट के दस्तावेज इमाम इश्तियाक के नाम पर मिले हैं। सूत्रों के अनुसार ये प्लॉट खरीदने के लिए रुपये डॉ. मुज्जमिल ने ही इश्तियाक को दिए थे। इसके साथ ही यहां निर्माण कार्य के लिए भी टेरर फंडिंग के रुपयों का प्रयोग किया गया।
Trending Videos
आधिकारिक सूत्रों की मानें तो 14 लाख रुपये में ये प्लॉट लगभग डेढ़ साल पहले खरीदा गया। इस प्लॉट के दस्तावेज इमाम इश्तियाक के नाम पर मिले हैं। सूत्रों के अनुसार ये प्लॉट खरीदने के लिए रुपये डॉ. मुज्जमिल ने ही इश्तियाक को दिए थे। इसके साथ ही यहां निर्माण कार्य के लिए भी टेरर फंडिंग के रुपयों का प्रयोग किया गया।
विज्ञापन
विज्ञापन
प्लॉट पर बेसमेंट का लेंटर डाला गया है। इसमें पंखे व लाइट की व्यवस्था है और नीचे कच्चा फर्श है। इसी जगह पर बैठाकर इमाम 20 से अधिक बच्चों को तालीम बीते कुछ दिनों से देने लगा था।
जांच एजेंसी के सूत्रों ने ये भी बताया कि निर्माण कार्य के दौरान इस साइट पर पानी की उपलब्धता के लिए एक समरसिबल भी कराया गया। इसे कराने के खर्च में आने वाले रुपये भी डॉ. मुज्जमिल ने ही इश्तियाक को दिए थे।
रुपयों को लेकर हुआ था डॉ. उमर और डॉ. मुज्जमिल के बीच मन-मुटाव : जांच एजेंसी के सूत्रों की मानें तो पाकिस्तानी हैंडलर के संपर्क में अधिकतर मुज्जमिल रहता था। उसके जरिये ही डॉ. उमर भी संपर्क में रहा। कई महीनों तक दोनों के बीच सब ठीक चलता रहा।
बाद में डॉ. उमर को लगा कि डॉ. मुज्जमिल को उससे ज्यादा त्वज्जो मिल रही है। टेरर फंडिंग के रुपये भी डॉ. मुज्जमिल के पास ही आते थे जो वो आगे संबंधित लोगों को देता था। सूत्रों के अनुसार सितंबर महीने के दौरान डॉ. उमर और डॉ. मुज्जमिल के बीच कहासुनी हो गई थी। ये कहासुनी रुपयों को लेकर हुई थी। इसके बाद से डॉ. उमर अपनी राह अलग से बनाने लगा था।