डीयू में दाखिले की सोच रहे हैं तो ध्यान दें: अब कट ऑफ में जगह बनाने की नहीं, सीयूईटी के अंकों की ही होगी जरूरत
दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में दाखिले के लिए अब कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेस टेस्ट(सीयूईटी) में प्राप्त होने वाले अंकों की ही जरूरत होगी।

विस्तार
दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में दाखिले के लिए अब कट ऑफ में जगह बनाने की नहीं बल्कि कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेस टेस्ट(सीयूईटी) में प्राप्त होने वाले अंकों की ही जरूरत होगी। बारहवीं में पास होने वाला भी सीयूईटी को दे सकेगा। डीयू की अकादमिक काउंसिल ने सीयूईटी को हरी झंडी दे दी है। अब इसे शुक्रवार को होने वाली कार्यकारी परिषद की बैठक में रखा जाना है।

सीयूईटी को लेकर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। किसी का तर्क है कि प्रवेश परीक्षा से दाखिले होने से बारहवीं में नंबरों की होड़ कम हो जाएगी। जबकि इसके इतर कहा जा रहा है कि अलग-अलग बोर्ड के छात्रों को इससे नुकसान होगा। अकादमिक काउंसिल सदस्य डॉ आलोक रंजन पांडेय कहते हैं कि प्रवेश परीक्षा होने से उन बोर्ड केस्कूल को नुकसान पहुंच सकता हैं, जहां एनसीईआरटी पाठ्यक्रम से अलग किताबें पढ़ाई जाती है।
डॉ. आलोक कहते हैं कि बारहवीं कक्षा एक बेसिक शिक्षा है इस पर असर पड़ेगा क्योंकि सीयूईटी में बारहवीं के अंकों की कोई वेटेज नहीं दी गई है। छात्र अब कोचिंग पर ज्यादा निर्भर हो जाएंगे। प्रवेश परीक्षा में वैकल्पिक प्रश्न पूछे जाएंगे। ऐसे में छात्र रटने पर ही निर्भर रह जाएगा।
डॉ. पांडेय कहते हैं कि सीयूईटी ग्रामीण क्षेत्रों और अन्य राज्य बोर्डों से आने वाले छात्रों के लिए नुकसानदेह होगा। स्कूल के एक प्रिंसिपल ने कहा कि यदि सीयूईटी का पाठ्यक्रम एनसीईआरटी के 12वीं कक्षा के मॉडल पाठ्यक्रम के अनुरूप होगा तो सीबीएसई के अलावा जो अन्य बोर्ड हैं उन्हें नुकसान होगा। मसलन आईसीएसई बोर्ड के छात्र एनसीईआरटी किताबों से पढ़ाई नहीं करते, उनका पाठ्यक्रम सीबीएसई बोर्ड से अलग है। इसमें बारहवीं के अंकों की वेटेज रखनी चाहिए।