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Ghaziabad: खांसी से परेशान मरीजों की संख्या बढ़ी, प्रदूषण के कारण बढ़ रहा ट्रैकिया सूजन का खतरा

माई सिटी रिपोर्टर, गाजियाबाद Published by: आकाश दुबे Updated Mon, 17 Nov 2025 11:14 PM IST
सार

वरिष्ठ नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ डॉ. बीपी त्यागी का कहना है कि प्रदूषण से श्वसन प्रणाली पर सीधा असर पड़ रहा है। इस कारण कई लोग खांसी और सांस की समस्या से जूझ रहे हैं।

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Number of patients suffering from cough increases in Ghaziabad
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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प्रदूषण बढ़ने के बाद खांसी के बढ़ते मामलों के बीच मरीजों को दवाइयों की डोज बढ़ानी पड़ रही है। पिछले 10 से 15 दिनों में खांसी के इलाज में कोई खास फर्क नहीं देखने को मिल रहा है। हालांकि मरीजों की टीबी जांच रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। प्रदूषण के कारण सांस से संबंधित बीमारियों, विशेषकर ट्रैकिया सूजन की परेशानी के मरीजों की संख्या सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि वातावरण में बढ़ते प्रदूषण के चलते लोग ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। इसके कारण खांसी और श्वसन समस्याएं बढ़ रही हैं।

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वरिष्ठ नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ डॉ. बीपी त्यागी का कहना है कि प्रदूषण से श्वसन प्रणाली पर सीधा असर पड़ रहा है। इस कारण कई लोग खांसी और सांस की समस्या से जूझ रहे हैं। उनका कहना है कि मरीजों को दवाइयों की डोज बढ़ानी पड़ रही है क्योंकि खांसी का असर पहले की तरह जल्दी ठीक नहीं हो रहा है। यह प्रदूषण का ही असर है, जिससे ट्रैकिया में सूजन हो रही है और खांसी की समस्या बढ़ रही है।
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बीस फीसदी बढ़ी टीबी जांच
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अनिल यादव का कहना है कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण टीबी जांच कराने वालों की संख्या में 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। क्षय रोग अधिकारी का कहना है कि प्रदूषण के कारण हवा में घातक तत्वों का स्तर बढ़ गया है, इससे श्वसन तंत्र कमजोर हो रहा है। ऐसे में लोग खांसी और अन्य सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे हैं। टीबी जैसी गंभीर बीमारियों की जांच भी बढ़ी है।

10 से 15 दिन लेनी पड़ रही है दवाई
संयुक्त अस्पताल के चेस्ट फिजिशियन डॉ. राहुल वर्मा का कहना है कि प्रदूषण के कारण श्वसन तंत्र में सूजन और जलन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जिससे खांसी और सांस लेने में दिक्कतें हो रही हैं। यदि समय रहते इलाज नहीं किया गया तो यह समस्याएं बढ़ सकती हैं। डॉ. वर्मा के अनुसार प्रदूषण के कारण मरीजों की स्थिति गंभीर हो सकती है। खासकर अस्थमा और अन्य श्वसन के मरीजों को सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि पहले पांच से सात दिन में दवाई लेने पर खांसी ठीक हो जाती थी, लेकिन दस से पंद्रह दिन लग रहे हैं।

मास्क का प्रयोग करें, गला तर रखने के लिए पानी पीते रहें
आईएमए गाजियाबाद के प्रवक्ता डॉ. नवनीत वर्मा का कहना है कि यदि प्रदूषण कम नहीं हुआ तो श्वसन रोगों के मरीजों की संख्या और बढ़ सकती है। डॉ. नवनीत का कहना है कि श्वसन रोगों के मरीजों को प्रदूषण से बचने के लिए मास्क का प्रयोग करना चाहिए। जितना हो सके घर के अंदर ही रहें। इसके अलावा, प्रदूषण की चपेट में आने से बचने के लिए सरकारी स्तर पर और अधिक प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि आने वाले समय में इस समस्या से निपटा जा सके।

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