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दिल्ली में 'ओपन टोल सिस्टम' की तैयारी: हर दिन लगता है टोल नाकों पर जाम, गाजीपुर बॉर्डर का है सबसे बुरा हाल

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली Published by: अनुज कुमार Updated Sat, 06 Sep 2025 08:55 AM IST
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सार

दिल्ली की सीमाओं पर 100 से अधिक टोल नाकों के कारण वाहनों की रफ्तार थम रही है, जिससे जाम और प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है। दिल्ली सरकार ओपन टोल सिस्टम लागू करने की योजना बना रही है ताकि जाम से निजात मिल सके।  

Preparations for 'Open Toll System' in delhi border mcd toll traffic
टोल प्लाजा पर वाहनों की लाइन - फोटो : संवाद
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विस्तार
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राजधानी में व्यस्त समय में प्रवेश के दौरान वाहनों की रफ्तार थमने से चालकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की ओर से 100 से अधिक टोल नाके दिल्ली की सीमाओं पर बनाए गए हैं। इनसे होते हुए वाहन दिल्ली में प्रवेश करते हैं तो रफ्तार थामनी पड़ती है। ऐसे में वाहनों की कतार लग जाती है। 

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निगम की ओर से टोल और पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क वसूलने के कारण लोग जाम से जूझने के साथ-साथ वायु प्रदूषण भी झेलते हैं। सर्वाधिक प्रदूषण जाम में फंसे भारी मालवाहक वाहनों से होता है। फरीदाबाद से दिल्ली में प्रवेश करने के लिए बदरपुर बॉर्डर, गुरुग्राम से दिल्ली में प्रवेश करने के लिए एनएच-48 पर सरहौल-रजोकरी बॉर्डर, उत्तर प्रदेश से दिल्ली में प्रवेश करने के दौरान गाजीपुर बाॅर्डर, नोएडा से अक्षरधाम की तरफ आने पर चिल्ला बाॅर्डर इन प्रमुख स्थानों पर रोजाना सैकड़ों वाहनों को जाम में फंसना पड़ता है।

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गाजीपुर बाॅर्डर पर स्थिति सबसे ज्यादा बदहाल
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे एनएच-9 पर गाजीपुर बार्डर पर सबसे ज्यादा हालत खराब रहती है। यहां पर 24 घंटे में करीब डेढ़ लाख वाहन गुजरते हैं। गाजीपुर मुर्गा मंडी के पास निगम ने एनएच-9 की सर्विस लेन, दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे और विनोद नगर डिपो के पास टोल बूथ बनाए हैं। गाजियाबाद व नोएडा में रहने वाले काफी संख्या में लोग दिल्ली में नौकरी करने के लिए आते हैं। टोल गाजियाबाद से दिल्ली आने वाली लेन पर हैं। ऐसे में जाम इसी लेन पर रहता है। कई बार निगम के टोल कर्मी अचानक वसूली के लिए वाहनों के सामने आ जाते हैं। टोल पर ट्रक व व्यावसायिक वाहनों के लिए अलग लेन बनी है लेकिन टैक्सी चालक लेन से अलग हटकर आम वाहनों की लेन में आ जाते हैं। रात 11 बजे माल वाहनों की नौ एंट्री खुलती है। इससे पहले ही माल वाहन दिल्ली की सीमा पर खड़े हो जाते हैं। इससे जाम लग जाता है और हादसे की भी आशंका बनी रहती है। 

ओपन सिस्टम के जरिये समस्या से मिलेगा छुटकारा
टोल पर जाम के झाम की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा ने ओपन टोल सिस्टम लागू करने की बात कही है। बीते दिनों पीडब्ल्यूडी मंत्री ने एनएचएआई, एमसीडी, ट्रैफिक पुलिस और अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के अनुसार, राजधानी में इस सिस्टम के लिए एनएचएआई के अधिकारी जर्मनी, बेल्जियम और स्पेन के ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम का अध्ययन कर रहे हैं। यह सिस्टम फास्टैग और ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडिंग (एएनपीआर) के साथ मिलकर काम करेगा। एनएचएआई की टीम टोल चार्जर सॉफ्टवेयर, एन्फोर्समेंट और वैलिडेशन सिस्टम का भी अध्ययन कर रही है।

इस नियम के तहत वसूला जाता है टोल
राजधानी में एमसीडी अपने एक्ट 1957 के अनुच्छेद 113 (2) जी के तहत टोल वसूलती है। वर्ष 2000 से यह व्यवस्था दिल्ली में लागू हुई थी जबकि एक मई 2003 से दिल्ली में पर्यावरण क्षति पूर्ति शुल्क (ईसीसी) मालवाहन वाहनों से वसूला जाता है। निगम को टोल वसूली से करीब 800 करोड़ रुपये राजस्व आता है। दिल्ली में 156 टोल नाके हैं। इसमें 13 प्वाइंट ऐसे हैं जहां से 85 प्रतिशत व्यावसायिक वाहन दिल्ली में आते हैं। इनसे ही टोल वसूली के कारण जाम लगता है। आया नगर, टीकरी, कापसहेड़ा, बदरपुर फरीदाबाद मेन, बदरपुर सराय, शाहदरा फ्लाईओवर, डीएनडी फ्लाईओवर, रजोकरी, कुंडली, गाजीपुर मेन गाजीपुर ओल्ड, केजीटी कुंडली व शाहदरा मेन टोल नाकों से दिल्ली में 85 फीसदी यातायात आता है।

ईसीसी वसूली भी जाम का कारण
राजधानी में निगम ने टोल वसूली के लिए फास्टैग की तर्ज पर एमसीडी के आरएफआइडी टैग से वसूलना अनिवार्य कर रखा है। टोल के साथ ईसीसी वसूली जाम की बड़ी वजह है। ईसीसी वसूलने के लिए मालवाहक वाहनों को रोका जाता है। इसके बाद अगर वाहन खाली है तो उस पर ईसीसी की दर अलग है। वहीं, वाहन के अंदर अगर सामान है तो उसकी ईसीसी की दर अलग है जबकि जरूरी वस्तुएं जैसे दूध, सब्जी ले जाने वाले व्यावसायिक वाहनों को ईसीसी से छूट है। ऐसे में इन वाहन चालकों के दावे को मौके पर रोककर जांच किया जाता है। इससे टोल पर जाम लग जाता है।
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