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पेप्टाइड्स की खोज: आ सकता है हड्डी-जोड़ों की बीमारी के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव, शोध में एम्स-IIT खड़गपुर

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विकास कुमार Updated Sun, 14 Sep 2025 09:20 PM IST
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सार

यह शोध बायोमेडिसिन एंड फार्माकोथेरेपी जर्नल में प्रकाशित हुआ। हड्डी और जोड़ों की बीमारियों के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है। 

Scientists discover peptides to treat bone disease
एम्स, आईआईटी खड़गपुर और लखनऊ का सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट शोध में हुआ शामिल - फोटो : adobe stock
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विस्तार
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ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियां कमजोर और नाजुक) और ऑस्टियोआर्थराइटिस (गठिया) की बीमारी से जूझने वाले मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। एम्स दिल्ली, लखनऊ के सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट और आईआईटी खड़गपुर ने मिलकर स्क्लेरोस्टिन प्रोटीन से एससी1 और एससी 3 पेप्टाइड्स (अमीनो एसिड की छोटी श्रृंखलाएं) की खोज की। इस संबंध में चूहे पर प्री क्लीनिकल ट्रायल भी किया जा चुका है। ट्रायल में उपचार को लेकर सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं।

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शोध में लगा पांच साल
यह शोध बायोमेडिसिन एंड फार्माकोथेरेपी जर्नल में प्रकाशित हुआ। हड्डी और जोड़ों की बीमारियों के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है। एम्स दिल्ली के बायोटेक्नोलॉजी विभाग में अतिरिक्त प्रो. डॉ. रुपेश श्रीवास्तव ने बताया कि शरीर में स्केलेटन प्रोटीन होता है उसी के कुछ हिस्सों को ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस की बीमारी में उपचार किया जा सकता है। अभी तक इस संबंध में किसी ने खोज नहीं की थी। इस शोध में तीन से पांच साल का समय लगा। 

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अभी क्लीनिकल ट्रायल की जरूरत 
शरीर में स्केलेटन प्रोटीन की मात्रा बढ़ने पर हड्डी खराब हो जाती है। उस प्रोटीन को बढ़ने से रोकने के लिए दवाएं उपलब्ध हैं। लेकिन वह सारे मरीजों के इस्तेमाल के लिए कारगर नहीं है। मगर, एसी1 और एसी3 से अब उपचार संभव हो सकता है। हालांकि इसके लिए अभी क्लीनिकल ट्रायल की जरूरत है। इसके लिए दवा को विकसित किया जाएगा।

ऑस्टियोपोरोसिस में रुकता है हड्डी का निर्माण
लखनऊ के सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट से सेवानिवृत्त हुए मुख्य वैज्ञानिक डॉ. नायबेद्य चट्टोपाध्याय ने बताया कि शोधकर्ताओं ने स्क्लेरोस्टिन प्रोटीन पर ध्यान केंद्रित किया जो हड्डी कोशिकाओं द्वारा निर्मित होता है। इसमें विरोधाभासी भूमिका होती है। यह ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डी का निर्माण रुकता है। लेकिन ऑस्टियोआर्थराइटिस में असामान्य हड्डी विकास को रोककर उपास्थि की रक्षा करता है। हमें लगा कि स्क्लेरोस्टिन में भी विरोधी कार्यों वाले क्षेत्र हो सकते हैं। अगर यदि ऐसा है तो हम ऐसे पेप्टाइड्स डिजाइन कर सकते हैं जो या तो स्क्लेरोस्टिन का विरोध करके ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डी निर्माण को बढ़ावा दें या इसके अवरोधक प्रभावों की नकल करके ऑस्टियोआर्थराइटिस की प्रगति को रोकें।

शोधकर्ताओं ने तीन पेप्टाइड्स डिजाइन किए
न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस अध्ययनों और आणविक मॉडलिंग की मदद से शोधकर्ताओं ने तीन संभावित पेप्टाइड्स डिजाइन किए जिसमें एससी1 हड्डी निर्माण को प्रोत्साहित और एससी3 ऑस्टियोआर्थराइटिस को बढ़ने से रोकता है। रजोनिवृत्ति के बाद के ऑस्टियोपोरोसिस और पुरानी किडनी रोग से प्रेरित हड्डी हानि के मॉडलों में एससी1 ने हड्डी घनत्व को बहाल किया। ट्रैबेकुलर संरचना में सुधार और यांत्रिक शक्ति को काफी बढ़ाया।

चूहों में एससी 3 का ट्रायल 
उन्होंने बताया कि ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए शोधकर्ताओं ने सर्जरी से प्रेरित जोड़ों के क्षरण वाले चूहों में एससी 3 का ट्रायल किया। साप्ताहिक इंजेक्शन ने उपास्थि हानि को रोका, ऑस्टियोफाइट निर्माण को कम किया और सबकॉन्ड्रल हड्डी की मात्रा को सामान्य किया। जब एससी3 को विशेष रूप से विकसित शीयर-थिनिंग हाइड्रोजेल के माध्यम से दिया गया तो एकल इंजेक्शन ने आठ साप्ताहिक खुराकों की प्रभावशीलता से मेल खाया। यह नवाचार मरीजों की अनुपालन की समस्या को सीधे संबोधित करता है।

दुनिया भर में करोड़ों मरीजों को मिलेगी राहत 
उन्होंने कहा कि इस शोध में आईआईटी खड़गपुर से डॉ. शिवेंदु रंजन की टीम भी शामिल हुई थी। अब अगला कदम एससी1 और एससी3 को विषविज्ञान और क्लीनिकल ट्रायल में आगे बढ़ाना शामिल है, जहां उनकी प्रभावशीलता और सुरक्षा का मनुष्यों पर ट्रायल किया जाएगा। अगर यह सफल रहा तो दुनिया भर में करोड़ों मरीजों को राहत मिल सकेगी।

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