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बैंड-बाजा-बरात: देवोत्थान एकादशी पर दिल्ली में भी गूंजेंगी शहनाइयां, 2 नवंबर को है शादियों का महासंयोग
अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Thu, 30 Oct 2025 06:15 AM IST
सार
चार महीने के लंबे भद्र काल के बाद अब विवाह का शुभ समय शुरू हो रहा है। देवोत्थान एकादशी पर हजारों जोड़े सात फेरे लेकर जीवन के नए सफर की शुरुआत करेंगे।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
राजधानी में दो नवंबर को शादी के गीतों और बैंड-बाजों की धुनों से गलियां, कॉलोनियां और गांव गूंज उठेंगे। चार महीने के लंबे भद्र काल के बाद अब विवाह का शुभ समय शुरू हो रहा है। देवोत्थान एकादशी पर हजारों जोड़े सात फेरे लेकर जीवन के नए सफर की शुरुआत करेंगे। इस तरह ‘डोली सजाकर रखना, मेंहदी लगाकर रखना, लेने तुझे ओ गौरी आएंगे तेरे सजना...’ जैसे गीतों की गूंज और घोड़ियों पर सवार दूल्हों के साथ राजधानी एक बार फिर शादी के रंग में रंग जाएगी।
गौरतलब है कि आषाढ़ माह में भड्डली नवमी से विवाह जैसे मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं, जो कार्तिक मास की देवोत्थान एकादशी तक नहीं होते। इस बीच करीब चार महीने तक शादियां नहीं होतीं। इस बार यह शुभ अवसर शनिवार दो नवंबर को पड़ रहा है, जिससे ज्यादातर परिवारों ने इसी दिन अपने बच्चों की शादी तय की है। ज्योतिषाचार्य प्रकाश शास्त्री ने बताया कि दिल्ली में कोई भी ऐसा इलाका नहीं है जहां दो नवंबर को शादी न हो रही हो। दक्षिण दिल्ली से लेकर उत्तरी दिल्ली, बाहरी इलाकों से लेकर गांवों तक, हर जगह तैयारियां जोरों पर हैं। कालोनियों में दो-दो, तीन-तीन बारातें निकलेंगी।
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इसके साथ ही कई सामाजिक संगठनों और सेवा संस्थाओं ने गरीब परिवारों की बेटियों के लिए सामूहिक विवाह समारोह आयोजित करने की घोषणा की है। यह आयोजन दिल्ली के कई हिस्सों में होंगे। ट्रैफिक पुलिस ने भी शादी सीजन के मद्देनजर विशेष व्यवस्था करने की तैयारी की है ताकि बारातों के कारण जाम की स्थिति न बने। ज्योतिषियों का कहना है कि देवोत्थानी एकादशी के बाद विवाह के लिए कई शुभ तिथियां और भी आएंगी, लेकिन दो नवंबर की तिथि सबसे श्रेष्ठ मानी गई है।उधर, बाजार में भी रौनक लौट आई है। बैंड, कैटरिंग, ज्वैलरी और कपड़ा बाजारों में ग्राहकों की भीड़ उमड़ रही है।
देवोत्थान एकादशी पर मुहूर्त निकालने की जरूरत नहीं
ज्योतिषाचार्य प्रमोद शास्त्री के अनुसार, देवोत्थान एकादशी वह दिन है जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और देव दरबार पुनः खुल जाता है। इसी के साथ विवाह और मांगलिक कार्यों पर लगी रोक हट जाती है। इस दिन शादी के लिए मुहूर्त निकलवाने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि यह स्वयं में ही अत्यंत शुभ माना गया है। शास्त्री का कहना है कि इस दिन विवाह करने से दंपती का जीवन सुख, समृद्धि और सौभाग्य से भर जाता है।