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Delhi NCR News: हाईकोर्ट ने आठ हजार से ज्यादा वोकेशनल ट्रेनिंग छात्रों को दी राहत
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- अदालत ने नेशनल स्किल डेवलपमेंट कारपोरेशन को छात्रों के सर्टिफिकेट जारी करने के दिए निर्देश
- डीपीएमआई और विरोहन प्राइवेट लिमिटेड ने छात्रों के सर्टिफिकेट के लिए हाईकोर्ट से लगाई गुहार
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने हेल्थकेयर वोकेशनल ट्रेनिंग से जुड़े दो मामलों में करीब 8 हजार छात्रों को राहत दी है। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएसडीसी) को निर्देश दिया कि वह विरोहन प्राइवेट लिमिटेड के शेष 812 छात्रों के लिए पोर्टल से प्रमाणपत्र जारी करे। अदालत ने वर्तमान वर्ष में दाखिला लेने वाले 2212 छात्रों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की है।
मामला डीपीएमआई वोकेशनल प्राइवेट लिमिटेड और विरोहन प्राइवेट लिमिटेड की याचिकाओं से जुड़ा है। विरोहन एक टेक्नोलॉजी आधारित हेल्थकेयर ट्रेनिंग प्लेटफॉर्म है, जो क्वालिफिकेशन पैक्स (क्यूपी-एनओएस) के माध्यम से एलाइड हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को ट्रेनिंग करता है। विरोहन ने अपनी याचिका में मांग की थी कि डीएक्टिवेटेड कोर्सेस में दाखिला लेने वाले छात्रों को प्रमाणपत्र दिए जाएं और अंतरिम आदेशों के तहत दाखिला लेने वाले 2212 छात्रों की रक्षा की जाए। कोर्ट ने पाया कि एनएसडीसी ने कुछ छात्रों को प्रमाणपत्र जारी किए, लेकिन कुछ को नहीं, जो असंगत है। कोर्ट ने अनुच्छेद 14 के तहत समानता के सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा कि समान स्थिति वाले छात्रों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।
डीपीएमआई के मामले में अंतरिम आदेश के तहत लगभग 6000 छात्रों ने कोर्स पूरा किया और उन्हें वैध प्रमाणपत्र जारी किए गए। याचिकाकर्ता ने आगे याचिका न चलाने की इच्छा जताई, लेकिन कोर्ट से प्रमाणपत्रों को रद्द न करने की सुरक्षा मांगी। कोर्ट ने छात्रों के मौलिक अधिकारों की रक्षा पर जोर देते हुए कहा कि छात्रों ने समय, प्रयास और संसाधन लगाए हैं, इसलिए उन्हें प्रमाणपत्र मिलना चाहिए। कोर्ट ने एनएसडीसी को पोर्टल से सभी योग्य छात्रों के प्रमाणपत्र डाउनलोड करने में सहयोग करने का निर्देश दिया।

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नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने हेल्थकेयर वोकेशनल ट्रेनिंग से जुड़े दो मामलों में करीब 8 हजार छात्रों को राहत दी है। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएसडीसी) को निर्देश दिया कि वह विरोहन प्राइवेट लिमिटेड के शेष 812 छात्रों के लिए पोर्टल से प्रमाणपत्र जारी करे। अदालत ने वर्तमान वर्ष में दाखिला लेने वाले 2212 छात्रों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की है।
मामला डीपीएमआई वोकेशनल प्राइवेट लिमिटेड और विरोहन प्राइवेट लिमिटेड की याचिकाओं से जुड़ा है। विरोहन एक टेक्नोलॉजी आधारित हेल्थकेयर ट्रेनिंग प्लेटफॉर्म है, जो क्वालिफिकेशन पैक्स (क्यूपी-एनओएस) के माध्यम से एलाइड हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को ट्रेनिंग करता है। विरोहन ने अपनी याचिका में मांग की थी कि डीएक्टिवेटेड कोर्सेस में दाखिला लेने वाले छात्रों को प्रमाणपत्र दिए जाएं और अंतरिम आदेशों के तहत दाखिला लेने वाले 2212 छात्रों की रक्षा की जाए। कोर्ट ने पाया कि एनएसडीसी ने कुछ छात्रों को प्रमाणपत्र जारी किए, लेकिन कुछ को नहीं, जो असंगत है। कोर्ट ने अनुच्छेद 14 के तहत समानता के सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा कि समान स्थिति वाले छात्रों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।
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डीपीएमआई के मामले में अंतरिम आदेश के तहत लगभग 6000 छात्रों ने कोर्स पूरा किया और उन्हें वैध प्रमाणपत्र जारी किए गए। याचिकाकर्ता ने आगे याचिका न चलाने की इच्छा जताई, लेकिन कोर्ट से प्रमाणपत्रों को रद्द न करने की सुरक्षा मांगी। कोर्ट ने छात्रों के मौलिक अधिकारों की रक्षा पर जोर देते हुए कहा कि छात्रों ने समय, प्रयास और संसाधन लगाए हैं, इसलिए उन्हें प्रमाणपत्र मिलना चाहिए। कोर्ट ने एनएसडीसी को पोर्टल से सभी योग्य छात्रों के प्रमाणपत्र डाउनलोड करने में सहयोग करने का निर्देश दिया।