{"_id":"690390c178cc2880e30e8607","slug":"android-apps-pose-a-threat-to-users-privacy-reveals-iit-delhi-study-ashram-news-c-340-1-del1004-110366-2025-10-30","type":"story","status":"publish","title_hn":"Delhi News: एंड्रॉइड एप्स यूजर्स की प्राइवेसी के लिए खतरा, आईआईटी दिल्ली की स्टडी में खुलासा","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
    Delhi News: एंड्रॉइड एप्स यूजर्स की प्राइवेसी के लिए खतरा, आईआईटी दिल्ली की स्टडी में खुलासा
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                -सटीक लोकेशन परमिशन मांगने वाले कई एंड्रॉइड ऐप्स हासिल कर सकते हैं संवेदनशील जानकारी 
                                
                
                
                 
                    
                                                                                                        
                                                
                        
                        
 
                        
                                                                                      
                   
    
                                                                        
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                                
                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
अमर उजाला ब्यूरो
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक ऐसी स्टडी पेश की है, जो मोबाइल यूजर्स की प्राइवेसी पर बड़े सवाल खड़े करती है। शोध में सामने आया है कि सटीक लोकेशन परमिशन मांगते वाले कई एंड्रॉइड ऐप्स यूजर के बारे में केवल जीपीएस डेटा के जरिए ही काफी संवेदनशील जानकारी हासिल कर सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि जीपीएस सिग्नल में छोटे-छोटे उतार-चढ़ाव, जिन्हें आम यूजर महसूस भी नहीं करते है। वह यूजर के आस-पास के माहौल और गतिविधियों के बारे में महत्वपूर्ण संकेत देते हैं। यही नहीं, इन एप्स से यह पता लगा सकते हैं कि कोई व्यक्ति छोटे कमरे में है या बड़े कमरे में, फ्लाइट में है या मेट्रो में, पार्क में है या किसी भीड़-भाड़ वाली जगह पर है। इसके अलावा, कमरे का लेआउट, सीढ़ियां, लिफ्ट और यहां तक कि कितनी भीड़ है, यह सब भी इन एप के जरिए जाना जा सकता है।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
आईआईटी दिल्ली के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन साइबर सिस्टम्स एंड इंफॉर्मेशन एश्योरेंस के एमटेक स्टूडेंट सोहम नाग और प्रोफेसर स्मृति आर सारंगी ने इस रिसर्च के लिए एंड्रोकॉन नामक एक सिस्टम विकसित किया है। एंड्रोकॉन जीपीएस डेटा के नौ लो-लेवल पैरामीटर्स, जैसे डॉपलर शिफ्ट, सिग्नल पावर और मल्टीपाथ इंटरफेरेंस का इस्तेमाल करके यह पता लगा सकता है कि कोई व्यक्ति बैठा है, खड़ा है, लेटा हुआ है, किसी फ्लाइट में है या पार्क में है। शोध में पाया गया कि एंड्रोकॉन ने 40,000 वर्ग किलोमीटर के इलाके और कई अलग-अलग फोन पर टेस्ट के दौरान आस-पास के माहौल की पहचान में 99 फीसदी और इंसानी गतिविधियों की पहचान में 87 फीसदी तक सटीकता हासिल की। यहां तक कि छोटे-मोटे हाव-भाव जैसे हाथ हिलाना या चलना भी पता लगाया जा सकता है।    
             
                                                    
                                 
                                
                               
                                                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
स्टडी जीपीएस का एक नया पहलू दिखाती है
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
प्रो. स्मृति आर. सारंगी ने कहा कि यह स्टडी जीपीएस का एक नया पहलू दिखाती है। एक आम स्मार्टफोन भी जीपीएस डेटा के जरिये अप्रत्याशित रूप से सटीक जानकारी इकट्ठा कर सकता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सटीक लोकेशन परमिशन वाला कोई भी एप यूजर की सहमति के बिना संवेदनशील जानकारी हासिल कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह रिसर्च स्मार्टफोन और एप्स के इस्तेमाल के दौरान प्राइवेसी और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                                                
                                
                                
                
                                                                
                               
                                                        
         
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक ऐसी स्टडी पेश की है, जो मोबाइल यूजर्स की प्राइवेसी पर बड़े सवाल खड़े करती है। शोध में सामने आया है कि सटीक लोकेशन परमिशन मांगते वाले कई एंड्रॉइड ऐप्स यूजर के बारे में केवल जीपीएस डेटा के जरिए ही काफी संवेदनशील जानकारी हासिल कर सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि जीपीएस सिग्नल में छोटे-छोटे उतार-चढ़ाव, जिन्हें आम यूजर महसूस भी नहीं करते है। वह यूजर के आस-पास के माहौल और गतिविधियों के बारे में महत्वपूर्ण संकेत देते हैं। यही नहीं, इन एप्स से यह पता लगा सकते हैं कि कोई व्यक्ति छोटे कमरे में है या बड़े कमरे में, फ्लाइट में है या मेट्रो में, पार्क में है या किसी भीड़-भाड़ वाली जगह पर है। इसके अलावा, कमरे का लेआउट, सीढ़ियां, लिफ्ट और यहां तक कि कितनी भीड़ है, यह सब भी इन एप के जरिए जाना जा सकता है।
आईआईटी दिल्ली के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन साइबर सिस्टम्स एंड इंफॉर्मेशन एश्योरेंस के एमटेक स्टूडेंट सोहम नाग और प्रोफेसर स्मृति आर सारंगी ने इस रिसर्च के लिए एंड्रोकॉन नामक एक सिस्टम विकसित किया है। एंड्रोकॉन जीपीएस डेटा के नौ लो-लेवल पैरामीटर्स, जैसे डॉपलर शिफ्ट, सिग्नल पावर और मल्टीपाथ इंटरफेरेंस का इस्तेमाल करके यह पता लगा सकता है कि कोई व्यक्ति बैठा है, खड़ा है, लेटा हुआ है, किसी फ्लाइट में है या पार्क में है। शोध में पाया गया कि एंड्रोकॉन ने 40,000 वर्ग किलोमीटर के इलाके और कई अलग-अलग फोन पर टेस्ट के दौरान आस-पास के माहौल की पहचान में 99 फीसदी और इंसानी गतिविधियों की पहचान में 87 फीसदी तक सटीकता हासिल की। यहां तक कि छोटे-मोटे हाव-भाव जैसे हाथ हिलाना या चलना भी पता लगाया जा सकता है।
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            स्टडी जीपीएस का एक नया पहलू दिखाती है
प्रो. स्मृति आर. सारंगी ने कहा कि यह स्टडी जीपीएस का एक नया पहलू दिखाती है। एक आम स्मार्टफोन भी जीपीएस डेटा के जरिये अप्रत्याशित रूप से सटीक जानकारी इकट्ठा कर सकता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सटीक लोकेशन परमिशन वाला कोई भी एप यूजर की सहमति के बिना संवेदनशील जानकारी हासिल कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह रिसर्च स्मार्टफोन और एप्स के इस्तेमाल के दौरान प्राइवेसी और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
