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Delhi News: बच्चों से क्रूरता समाज की सामूहिक चेतना को करते हैं प्रभावित - हाईकोर्ट

Noida Bureau नोएडा ब्यूरो
Updated Mon, 07 Jul 2025 10:16 PM IST
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Cruelty to children affects the collective consciousness of society - High Court
- अदालत ने परिवार के समझौता करने के बाद भी प्राथमिकी रद्द करने से इनकार किया
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अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने सात वर्षीय बच्चे के साथ क्रूरता के मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के अपराध समाज की सामूहिक चेतना को प्रभावित करते हैं। इन्हें केवल निजी विवाद के रूप में नहीं देखा जा सकता। जून 2023 में, बच्चे की मां ने आरोप लगाया था कि उनके पड़ोसी अमित और उसकी पत्नी ने उनके बच्चे के साथ मारपीट की और उसे बिजली के झटके दिए।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने 3 जुलाई के अपने आदेश में कहा, भले ही बच्चे की मां और आरोपियों ने समझौता कर लिया हो, लेकिन इस तरह के कृत्य न केवल पीड़ित को प्रभावित करते हैं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण से जुड़े व्यापक सार्वजनिक हित के मुद्दों को भी उठाते हैं। आरोपियों ने 2023 में गोविंदपुरी पुलिस स्टेशन में क्रूरता के आरोपों पर दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण समझौते पर जोर दिया गया था। बच्चे की मां ने कोर्ट को सूचित किया कि उन्होंने अपनी मर्जी से और बिना किसी दबाव, जबरदस्ती या धमकी के समझौता किया है। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि आरोप गंभीर है और घटना के समय पीड़ित केवल 7 वर्ष का था।
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आदेश में कहा गया, इतनी कम उम्र के बच्चे पर हुए मनोवैज्ञानिक आघात और भय को केवल इस आधार पर नजरअंदाज या तुच्छ नहीं किया जा सकता कि बिजली देने के लिए इस्तेमाल किया गया उपकरण एक टॉर्च था।
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