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Report: भारत में 8,000 से अधिक स्कूलों में शून्य नामांकन; 20,000 से ज्यादा शिक्षक कार्यरत: मंत्रालय की रिपोर्ट

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: शाहीन परवीन Updated Sun, 26 Oct 2025 02:34 PM IST
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सार

Ministry Data: शिक्षा मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 शैक्षणिक सत्र में देशभर में लगभग 8,000 ऐसे स्कूल हैं जिनमें एक भी छात्र का नामांकन नहीं हुआ। इनमें कुल 20,000 से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें अधिकांश पश्चिम बंगाल और तेलंगाना जैसे राज्यों में हैं।

About 8,000 schools with zero enrolment employ 20,000 teachers in India: Ministry data
Ministry Data - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
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विस्तार
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Ministry of Education: देशभर में 2024-25 शैक्षणिक सत्र में लगभग 8,000 स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी छात्र का नामांकन नहीं हुआ। सबसे ज्यादा ऐसे स्कूल पश्चिम बंगाल में हैं, इसके बाद तेलंगाना का स्थान है। 



शून्य नामांकन वाले स्कूलों में कुल 20,817 शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें बड़ी संख्या 17,965 केवल पश्चिम बंगाल में है। वहीं, नामांकन रहित स्कूलों की संख्या भी पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक, 3,812, रही है।
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शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 7,993 स्कूलों में शून्य नामांकन था, जो पिछले वर्ष की 12,954 की संख्या से 5,000 से अधिक कम है।

कुछ राज्यों में नहीं मिले शून्य नामांकन वाले स्कूल

वहीं, हरियाणा, महाराष्ट्र, गोवा, असम, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में ऐसा कोई स्कूल नहीं था।


एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, "स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है, राज्यों को स्कूलों में शून्य नामांकन के मुद्दे का समाधान करने की सलाह दी गई है। कुछ राज्यों ने बुनियादी ढांचे और कर्मचारियों जैसे संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिए कुछ स्कूलों का विलय कर दिया है।"

आंकड़ों के अनुसार, पुडुचेरी, लक्षद्वीप, दादरा और नगर हवेली, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दमन और दीव तथा चंडीगढ़ जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में कोई भी स्कूल शून्य नामांकन वाला नहीं था।

दिल्ली में भी कोई ऐसा स्कूल नहीं था जहां नामांकन शून्य हो।

तेलंगाना और एमपी में शून्य नामांकन वाले स्कूलों की स्थिति

ऐसे स्कूलों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या तेलंगाना (2,245) में थी, उसके बाद मध्य प्रदेश (463) का स्थान था। तेलंगाना में इन स्कूलों में 1,016 शिक्षक कार्यरत थे, जबकि मध्य प्रदेश में 223 शिक्षक कार्यरत थे।

उत्तर प्रदेश में ऐसे 81 स्कूल थे। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने घोषणा की थी कि वह राज्य भर में अपने संबद्ध उन स्कूलों की मान्यता रद्द करने की तैयारी कर रहा है, जिनमें पिछले तीन लगातार शैक्षणिक वर्षों से शून्य छात्र नामांकन दर्ज किया गया है।

एकल-शिक्षक स्कूलों में छात्रों और स्कूलों की स्थिति

देश भर में 33 लाख से अधिक विद्यार्थी 1 लाख से अधिक एकल-शिक्षक विद्यालयों में नामांकित हैं, जिनमें आंध्र प्रदेश में इन विद्यालयों की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद उत्तर प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक और लक्षद्वीप का स्थान है।

हालांकि, जब एकल शिक्षक वाले स्कूलों में छात्र नामांकन की बात आती है, तो उत्तर प्रदेश सूची में सबसे ऊपर है, उसके बाद झारखंड, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश का स्थान है।

एकल-शिक्षक विद्यालयों की संख्या 2022-23 में 1,18,190 से घटकर 2023-24 में 1,10,971 हो गई, जो लगभग छह प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

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